बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत को ऑस्ट्रेलिया से 3-1 की करारी हार झेलनी पड़ी। यह सीरीज 22 नवंबर को पर्थ में शुरू हुई थी और सिडनी में खत्म हुई। इस सीरीज में जसप्रीत बुमराह ने कमाल करते हुए 32 विकेट झटके, जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया।
वहीं यशस्वी जायसवाल, ट्रेविस हेड और विराट कोहली ने सीरीज में शानदार शतक लगाए, लेकिन कुछ खिलाड़ी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। भारतीय टीम की इस हार के पीछे आखिर कौन-कौन जिम्मेदार रहा? आइए जानते हैं।
वो पांच बड़े नाम
1. कप्तान रोहित शर्मा
भारतीय टीम की हार में कप्तान रोहित शर्मा की भूमिका सबसे अहम रही। रोहित की गैरमौजूदगी में भारत ने जसप्रीत बुमराह की कप्तानी में पर्थ टेस्ट 295 रनों से जीत लिया था। लेकिन इसके बाद के तीन मैचों में रोहित शर्मा की डिफेंसिव कप्तानी और उनके खराब प्रदर्शन की काफी आलोचना हुई। रोहित ने इन तीन मैचों की पांच पारियों में सिर्फ 31 रन बनाए, जो उनकी फॉर्म और टीम के लिए चिंता का कारण बन गया।
2. विराट कोहली
विराट कोहली ने हाल ही में खत्म हुई सीरीज से पहले बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के इतिहास में 42 पारियों में 1,979 रन बनाए थे। लेकिन इस सीरीज में उन्होंने 9 पारियों में सिर्फ 190 रन ही बनाए। पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी में उनकी शानदार शतक को छोड़कर, बाकी 8 पारियों में वो सिर्फ 90 रन बना सके। मिडिल ऑर्डर में विराट का अच्छा प्रदर्शन बहुत जरूरी था, लेकिन इस बार वो उम्मीदों पर पूरी तरह खरे नहीं उतर सके।
3. मोहम्मद सिराज
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में सबसे ज्यादा विकेट जसप्रीत बुमराह ने लिए, जिनके नाम कुल 32 विकेट हैं, जो एक नया रिकॉर्ड है। भारत के लिए दूसरे नंबर पर मोहम्मद सिराज रहे, जिन्होंने 20 विकेट लिए। हालांकि सिराज ने कई विकेट लिए, लेकिन कुछ अहम मौकों पर वो टीम की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। खासकर जब बुमराह एक छोर से दबाव बना रहे थे, सिराज दूसरे छोर से वही असर नहीं डाल पाए।
4. शुभमन गिल
पिछली चार बार से चेतेश्वर पुजारा बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए शानदार रन बना रहे थे। खासकर 2018-19 की सीरीज में, जब पुजारा ने सिर्फ 7 पारियों में 74.42 के औसत से 521 रन बनाए थे। अब तक पुजारा इस सीरीज के इतिहास में 2,033 रन बना चुके हैं। वहीं, हालिया सीरीज में शुभमन गिल ने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 5 पारियों में सिर्फ 93 रन बनाए।
5. कोच गौतम गंभीर
जब सीरीज के पहले मैच में टीम इंडिया मैदान में उतरी, तो बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में शानदार प्रदर्शन किया। लेकिन दूसरे मैच में रोहित शर्मा की वापसी हुई, जिसकी वजह से वाशिंगटन सुंदर को टीम से बाहर कर दिया गया।
दूसरे टेस्ट में जब हर्षित राणा ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, तो उनकी जगह आकाशदीप को दी गई। रोहित शर्मा छठे क्रम पर रन बनाने में संघर्ष कर रहे थे, इसलिए उन्होंने चौथे टेस्ट में ओपनिंग पर वापस आने का फैसला किया।
आखिरी मैच में टीम में दो बदलाव किए गए, जिससे टीम कॉम्बिनेशन लगातार बदलता रहा। ऐसे में खिलाड़ियों के लिए एक-दूसरे के साथ तालमेल बैठाना मुश्किल हो गया। इस हार में टीम मैनेजमेंट की भूमिका को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
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