टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का आज यानी 28 दिंसबर को बर्थ एनीवर्सरी है। देश के लिए गये कामों के लिए ये देश उनको हमेशा याद करता है। रतन टाटा एक उद्योगपति होने के साथ साथ ही सामाजिक चिंतक भी थे, वो हमेशा देश को आगे बढ़ाने के लिए काम करते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि टाटा को इस शिखर पर पहुंचाने वाले रतन टाटा ने एक बार बहुत सादगी से अपने अपमान का बदला लिया था। जी हां, रतन टाटा का एक बार एक कंपनी ने अपमान किया था। जानिए क्या था वो पूरा किस्सा।
90 के दशक की है ये बात
बता दें कि ये किस्सा 90 के दशक का है। उस समय टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा थे। बता दें कि उनके ही नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपनी कार Tata Indica लॉन्च की थी। भारतीय बाजार में आने के बाद यह कार काफी पॉपुलर भी हुई थी। हालांकि टाटा कारों की बिक्री उस हिसाब से नहीं हो पाई थी, जैसा रतन टाटा ने सोचा था। जिसके बाद टाटा इंडिका के ग्राहकों के खराब रिस्पांस और लगातार बढ़ते घाटे की चलते रतन टाटा ने पैसेंजर कार डिवीजन को साल 1999 में बेचने का फैसला किया था। इसको लेकर उन्होंने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी फॉर्ड मोटर्स से बात भी की थी।
कंपनी को बेचने गये थे अमेरिका
रतन टाटा साल 1999 में अपनी टीम के साथ अमेरिकी शहर डेट्रॉइट स्थित फॉर्ड मोटर्स कंपनी के ऑफिस गये थे। जहां पर रतन टाटा की उस समय कंपनी के चेयरमैन बिल फोर्ड से करीब 3 घंटे की मीटिंग हुई थी। लेकिन इस दौरान रतन टाटा को कंपनी के चेयरमैन ने अपमानित किया था। उस दौरान फोर्ड ने अपमान करते हुए कहा था कि तुम कुछ नहीं जानते हो, आखिर तुमने पैसेंजर कार डिवीजन क्यों शुरू किया? अगर मैं ये सौदा करता हूं तो ये तुम्हारे ऊपर बड़ा एहसान होगा। रतन टाटा को बिल फोर्ड की ये बात उस समय चुभ गई थी।
अपमानित होने के बाद बदला अपना फैसला
बता दें कि रतन टाटा जिसने सरल और सुलझे हुए उद्योगपति थे, वो अंदर से उतने ही मजबूत भी थे। यही कारण है कि अमेरिका में बिल फोर्ड से हुई मुलाकात के बाद उन्होंने कुछ नहीं कहा था। लेकिन उस दौरान उन्होंने मन ही मन बड़ा फैसला किया था। इसके बाद उन्होंने अपने बिजनेस को बेचने का फैसला कैंसिल करके वापस भारत आ गये थे।
टाटा ने लिया था अपने अपमान का बदला
बिजनस में समय हमेशा एक जैसे नहीं रहता है. रतन टाटा के जीवन के साथ भी ऐसा ही हुआ था, जिस कंपनी के चेयरमैन ने उन्हें अपमानित किया था, वो कंपनी 2008 में बिकने की कगार पर पहुंच गई थी। बता दें कि फोर्ड की सब्सिडियरी कंपनी जगुआर और लैंड रोवर साल 2008 की मंदी के बाद दिवालिया होने के कगार पर थीं। जिसके बाद रतन टाटा ने अपने अपमान का बदला लेते हुए टाटा मोटर्स के जरिए इन दोनों कंपनियों को खरीद लिया था। इस डील के बाद बिल फोर्ड ने रतन टाटा का धन्यवाद किया था और साथ ही कहा था कि आपने हमारे ऊपर बहुत बड़ा एहसान किया है।
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