8000 रुपये में बिक रहा ये पत्थर, लोग खरीदने के लिए हो रहे पागल, जानिए क्यों?

अजीबो-गरीब ट्रेंड्स की दुनिया में एक नया और दिलचस्प ट्रेंड इन दिनों सोशल मीडिया पर छाया हुआ है, जो किसी के भी होश उड़ा सकता है। क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि लोग अब कुत्ते, बिल्ली नहीं बल्कि पत्थर को पालतू बना रहे हैं? ये सुनकर आपको थोड़ा अजीब जरूर लगेगा, लेकिन ये सच है। इस अजीबोगरीब शौक के पीछे एक दिलचस्प कहानी छिपी हुई है, जो 50 साल पुरानी है, लेकिन आजकल फिर से चर्चाओं में है। आइए जानते हैं कि कैसे ये पत्थर का शौक फिर से चर्चा में आया और क्यों लोग इसके लिए मोटी रकम खर्च करने को तैयार हैं।

पेट रॉक: पालतू जानवरों से बेहतर

यह सब शुरू हुआ था 1970 के दशक में, जब गैरी डाहल नामक शख्स ने अपने दोस्तों से सुना कि वे उनके पालतू जानवरों से परेशान हैं। लोगों की पालतू जानवरों को लेकर शिकायतें सुनने के बाद गैरी के दिमाग में एक आइडिया आया – क्यों न लोग पालतू जानवर की बजाय पत्थर को अपना साथी बनाएं। उनका कहना था कि पेट रॉक (पत्थर जैसा पालतू) रखने में कोई झंझट नहीं है। न तो इनको नहाने की जरूरत है, न खिलाने की और न ही बाहर घुमाने की। यानी कम खर्च में बोरियत दूर करने का एक बेहतरीन तरीका।

इसके बाद, गैरी डाहल ने 1970 में पेट रॉक बेचना शुरू किया। पेट रॉक एक चिकना पत्थर होता था, जिसे सजावट की तरह बेचा जाता था। यह पत्थर पुआल के बिस्तर पर रखा जाता और इसके साथ एक छोटा सा बोर्ड भी होता, जिसपर यह लिखा होता कि यह पेट रॉक मरेगा नहीं, कभी बीमार नहीं होगा और इसका जीवन बहुत लंबा होगा। इसके अलावा, एक गाइड भी दी जाती थी, जिसमें बताया जाता कि आप इस पेट रॉक का ख्याल कैसे रख सकते हैं। इस पैकेजिंग के साथ पेट रॉक ने खूब सुर्खियां बटोरीं।

1975 में हुआ था पेट रॉक का क्रेज

साल 1975 में पेट रॉक का क्रेज अपने चरम पर पहुंच गया, खासकर क्रिसमस सीजन के दौरान, जब यह बड़े पैमाने पर बिकने लगा। लोगों ने इसे एक मजेदार और अनोखा गिफ्ट माना और इसको जमकर खरीदा। उस समय, पेट रॉक ने न केवल गैरी डाहल को काफी पैसा दिलाया, बल्कि यह एक सनक के रूप में सामने आया, जिसे लोग अपनी शौकिया चीजों की लिस्ट में शामिल करने लगे। लेकिन, समय के साथ-साथ इस ट्रेंड की लोकप्रियता कम होने लगी और पेट रॉक धीरे-धीरे बाज़ार से गायब हो गया।

सुपर इंपल्स के पास हैं इसके राइट्स

हालांकि पेट रॉक की लोकप्रियता खत्म हो चुकी थी, लेकिन 2022 में एक खिलौना कंपनी, सुपर इंपल्स ने इसके राइट्स खरीद लिए और पेट रॉक को फिर से बाज़ार में लाकर उसकी लोकप्रियता को एक बार फिर से जिंदा किया। अब पेट रॉक की डिमांड फिर से बढ़ने लगी है। और ये पत्थर अब 8000 रुपये तक बिकने लगा है, जबकि पहले ये सिर्फ कुछ रुपये में बिकता था। लोग अब इसे एक नया ट्रेंड मानते हुए खरीदने के लिए पागल हो रहे हैं। यह ट्रेंड खासकर उन लोगों में ज्यादा देखा जा रहा है, जो कुछ अलग और अनोखा अपनाना चाहते हैं। यह चीज़ अब एक प्रकार के कलेक्टर आइटम के रूप में देखी जा रही है। पेट रॉक को लोग अब शौकिया तौर पर नहीं बल्कि एक स्टाइलिश और कूल चीज़ मानते हैं।

आखिर क्या है पेट रॉक का जादू?

पेट रॉक का सबसे बड़ा आकर्षण इसका अनोखापन और विचित्रता है। यह पत्थर किसी सामान्य कुत्ते-बिल्ली की तरह ही घर में रखा जा सकता है, लेकिन इसके साथ न कोई देखभाल की जरूरत होती है और न ही इसे खिलाने-पिलाने की कोई चिंता। बस, यह किसी शो-पीस की तरह रखा जाता है और अपनी उपस्थिति से घर की सजावट को अलग रंग-रूप देता है। अब लोग इसे एक नए तरीके से देख रहे हैं और इसे खरीदने के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च कर रहे हैं।

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