1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट पेश करेंगी। देश की अर्थव्यवस्था इस समय मंदी से गुजर रही है, और ऐसे में यह बजट काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। लोग और कॉरपोरेट जगत इसे लेकर उम्मीदें लगाए बैठे हैं। पर यह पहली बार नहीं है कि भारत का बजट चर्चा में हो। भारत के इतिहास में कई ऐसे बजट पेश किए गए हैं, जिन्होंने सिर्फ देश में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में हलचल मचा दी। आइए, ऐसे 5 ऐतिहासिक बजटों के बारे में जानते हैं, जिन्होंने भारत की दिशा और दशा बदल दी।
1. पहला बजट: जब भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था की नींव रखी
भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश हुआ। यह बजट देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया। यह बजट 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक की अवधि को कवर करता था।
क्यों खास था यह बजट?
यह बजट विभाजन की त्रासदी और शरणार्थियों के पुनर्वास की चुनौतियों के बीच तैयार किया गया।
कुल अनुमानित रेवेन्यू 171 करोड़ रुपये था, जबकि खर्च 197 करोड़ रुपये था।
इस बजट का मुख्य फोकस कानून-व्यवस्था बनाए रखना और आर्थिक स्थिरता लाना था।
चेट्टी ने इस बजट में भारत को “एशिया का लीडर” बनाने का सपना रखा।
यह बजट उस समय का आइना था, जब भारत अपनी आजादी की नई शुरुआत कर रहा था।
2. ‘कैरेट और स्टिक’ बजट: सुधारों की शुरुआत
1986 में वित्त मंत्री वीपी सिंह ने ऐसा बजट पेश किया, जिसे ‘कैरेट और स्टिक बजट’ के नाम से जाना गया।
क्यों बना यह बजट ऐतिहासिक?
इस बजट ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लाइसेंस राज से बाहर निकालने की कोशिश शुरू की।
इसमें MODVAT (संशोधित मूल्य वर्धित कर) की शुरुआत की गई, जिससे टैक्स सिस्टम को सरल बनाया गया।
वीपी सिंह ने पब्लिक सेक्टर को मजबूत करने और आम आदमी को राहत देने पर जोर दिया।
यह बजट भारत में आर्थिक सुधारों का पहला कदम था, जिसने आगे के लिए जमीन तैयार की।
3. 1991 का बजट: जब भारत ने खोली अपनी अर्थव्यवस्था
1991 का बजट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। यह बजट तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पेश किया।
क्या था इस बजट में खास?
यह बजट विदेशी मुद्रा संकट के बीच पेश किया गया था।
मनमोहन सिंह ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) के तीन बड़े सुधार पेश किए।
बजट में आर्थिक नियंत्रणों को खत्म कर भारत को एक खुली अर्थव्यवस्था में बदल दिया गया।
आयात-निर्यात के नियम आसान बनाए गए, और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया।
मनमोहन सिंह के इस बजट ने भारत की आर्थिक व्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया। इसे “एक नए युग की शुरुआत” कहा गया।
4. 1997 का ‘ड्रीम बजट’: टैक्स का बोझ कम हुआ
1997 में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने ऐसा बजट पेश किया, जिसे ‘ड्रीम बजट’ कहा गया।
क्यों था यह बजट खास?
चिदंबरम ने टैक्स रेट घटाकर लोगों और कॉरपोरेट्स को राहत दी।
उन्होंने वॉलेंटरी इनकम डिसक्लोजर स्कीम (VIDS) शुरू की, जिससे लोग बिना जुर्माना या ब्याज दिए अपनी छिपाई गई आय का खुलासा कर सकते थे।
टैक्स सिस्टम को सरल बनाया गया, जिससे टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़ी।
इस बजट ने देश के टैक्स सिस्टम को पूरी तरह से बदल दिया और आर्थिक विकास को नई दिशा दी।
5. 2000 का ‘मिलेनियम बजट’: IT सेक्टर को बढ़ावा
सहस्राब्दी के पहले बजट को 2000 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पेश किया। इसे ‘मिलेनियम बजट’ कहा जाता है।
क्या खास था इस बजट में?
भारतीय आईटी सेक्टर को दुनिया के नक्शे पर लाने की नींव रखी गई।
‘मेड इन इंडिया’ को प्रमोट किया गया।
बजट में फॉरेन इन्वेस्टमेंट बढ़ाने और सॉफ्टवेयर सेक्टर को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
ग्लोबल इकोनॉमी में भारत को मजबूती से खड़ा करने की बात कही गई।
इस बजट ने भारतीय आईटी सेक्टर को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया और भारत को तकनीकी महाशक्ति के रूप में स्थापित किया।
इन बजटों ने बदली भारत की तस्वीर
ये पांच बजट सिर्फ कागज पर आंकड़ों का खेल नहीं थे, बल्कि भारत के लिए नए रास्ते खोलने वाले और इतिहास बनाने वाले फैसलों का हिस्सा थे। इन बजटों ने न सिर्फ भारत को आर्थिक रूप से मजबूत किया, बल्कि दुनिया को भी हमारी ताकत का एहसास कराया।
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