शिमला

इस चर्च में क्रिसमस पर आते हैं हजारों लोग, ये है एशिया का दूसरा सबसे पुराना क्राइस्ट चर्च

आज देशभर में क्रिसमस की धूम है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के हिमाचल प्रदेश के शिमला में एशिया का दूसरा सबसे पुराने चर्च है, जहां क्रिसमस के दिन सैलानियों की भीड़ लगी रहती है। खासकर क्रिसमस और न्यू ईयर पर सैलानी यहां दूर-दूर से जश्न मनाने के लिए पहुंचते हैं।

ये है शिमला का क्राइस्ट चर्च

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के शिमला का क्राइस्ट चर्च एशिया का दूसरा सबसे पुराना चर्च है। जानकारी के मुताबिक 9 सितंबर, 1844 में इस चर्च की नींव कोलकाता के बिशप डेनियल विल्सन ने रखी थी। वहीं साल 1857 में इसका काम पूरा हो गया था। इतिहासकारों के मुताबिक इस चर्च को नियो गोथिक शैली के द्वारा बनाया गया था।

इस चर्च में है इंग्लैंड की पुरानी बेल

जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के शिमला के क्राइस्ट चर्च में एक पुरानी बेल है। जानकारी के मुताबिक ये बेल करीब 150 साल से ज्यादा पुरानी है। कहा जाता है कि देश में जब ब्रिटिश शासनकाल था, उस दौरान यह बेल इंग्लैंड से लाई गई थी। शिमला के लोकल गाइड ने बताया कि यह कोई साधारण बेल नहीं है। इस बेल में मेटल से बने छह बड़े पाइप के हिस्से हैं। इन पाइप पर ए, बी, सी, डी, ई और एफ तक सुर हैं, जो संगीत के ‘सा रे ग म प’ की तरह ध्वनि करते हैं। इतना ही नहीं पाइप पर हैमर यानी हथौड़े से आवाज होती है, जिसे रस्सी खींचकर बजाया जाता है, बता दें कि यह रस्सी मशीन से नहीं, बल्कि हाथ से खींचकर बजाई जाती है।

कब बजाई जाती है बेल

शिमला चर्च में यह बेल हर रविवार सुबह 11 बजे होने वाली प्रार्थना से पांच मिनट पहले बजाई जाती है। वहीं इसके अलावा क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर भी रात 12 बजे इस बेल को बजाकर जश्न मनाया जाता है। बता दें कि बीते 24 दिसंबर की रात को भी ये बेल बजाई गई थी, इस दौरान वहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक और स्थानीय लोग क्रिसमस मनाने के लिए जुटे थे।

बर्फबारी के कारण चर्च को हुआ था नुकसान

बता दें कि आजादी के बाद साल 1961 में भारी बर्फबारी हुई थी। इस दौरान ऐतिहासिक चर्च की इमारत को काफी नुकसान हुआ था। वहीं भारी बर्फबारी की वजह से इमारत के साथ बने पिनेकल ध्वस्त हो गए थे।

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