तिरुपति लड्डू विवाद से जुड़ी बड़ी ख़बर सामने आई है। आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुपति प्रसाद लड्डू को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कथित जानवरों की चर्बी के मामले में विशेष जांच टीम ( SIT) की जांच पर सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 3 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।
राज्य सरकार ने जांच पर लगाई रोक!
आंध्र प्रदेश के प्रमुख पुलिस अधिकारी द्वारका तिरुमाला राव ने कहा कि यह निर्णय जांच की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए गई है। उन्होंने कहा, “हमने सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई को देखते हुए फिलहाल जांच रोक दी है।” आगे की जांच सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद जो भी निर्देश दिए जाएंगे उसके मुताबिक तय किए जाएं।
राव ने बताया कि पिछले दो दिन में SIT ने लड्डुओं की खरीद और सैंपलिंग प्रक्रिया की जांच की है। इस जांच में यह समझने की कोशिश की गई कि लड़्यो में मिलावट कैसे की जा सकती है।
SIT ने आटा मिल का निरीक्षण किया
वहीं, इस सप्ताह की शुरुआत में SIT ने तिरुमला के आटे के मिल का निरीक्षण किया। जहां घी को लड्डू बनाने के लिए उपयोग किए जाने से पहले संग्रहित किया जाता है। ये लड्डू हर साल लाखों भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं। बता दें कि इस मामले में 25 सितंबर को एक FIR दर्ज की गई थी। एक दिन बाद 26 सितंबर को इस मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने की आलोचना
सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट की आलोचना का सामना करना पड़ा। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने कहा, “जब आप संवैधानिक पद पर होते हैं, तो आपसे यह अपेक्षा की जाती है कि भगवानों को राजनीति से दूर रखा जाएगा।”
अदालत ने रोहतगी से पूछा कि क्या आपने इस मामले में एसआईटी जांच का आदेश दिया। परिणाम आने तक प्रेस में जाने की क्या आवश्यकता थी?
रोहतगी ने चंद्रबाबू नायडू सरकार की ओर से तर्क दिया कि ये वास्तविक याचिकाएं नहीं हैं। बल्कि पिछली सरकार द्वारा वर्तमान सरकार पर हमला करने का प्रयास है। वहीं जब न्यायमूर्ति गवई ने पूछा कि क्या वह घी, जो मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया प्रसाद के लिए उपयोग किया गया था?
इसके जवाब में अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, ”हम इसकी जांच कर रहे हैं।” इसके बाद न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, “फिर तुरंत प्रेस में जाने की क्या आवश्यकता थी? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
इस पर लूथरा ने अदालत को बताया कि लोगों ने शिकायत की थी कि लड्डू का स्वाद सही नहीं था। लूथरा के इस जवाब पर अदालत ने पूछा, “जिस लड्डू का स्वाद अलग था, क्या उसे लैब में भेजा गया था यह पता लगाने के लिए कि उसमें मिलावटी सामग्री थी या नहीं?”
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने तब पूछा, “क्या समझदारी यह नहीं कहती कि आप दूसरी राय लें? सामान्य परिस्थितियों में, हम दूसरी राय लेते हैं। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि उक्त घी का उपयोग किया गया था।”
कैसे शुरू हुआ विवाद
बता दें कि यह एक विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया कि तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर में अर्पित किए जाने वाले पवित्र लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी। बाद में लैब रिपोर्टों ने भी इन दावों की पुष्टि की गई। जिसमें पता चला कि जगन मोहन रेड्डी के प्रशासन के दौरान पवित्र मिठाइयों को बनाने के लिए उपयोग किया गया घी घटिया गुणवत्ता का था और इसमें बीफ का तेल और लार्ड दोनों थे।
रेड्डी ने बताया झूठा आरोप
हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इन आरोपों का खंडन किया। रेड्डी ने कहा कि यह दावा झूठा है और टीडीपी द्वारा ध्यान भटकाने की एक रणनीति है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने नायडू पर घिनौने आरोप लगाकर राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगाया है।
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