अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तिरुपति मंदिर प्रसाद विवाद, याचिका में धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा की मांग

प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में लोगों की दिए डाने वाले लड्डुओं के निर्माण में कथित रूप से जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल को लेकर उठा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इसे लेकर दायर की गई याचिका में दावा किया कि यह कृत्य हिंदू धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन करता है। ये मामला उन असंख्य भक्तों की भावनाओं को आहत करता है , जो इस ‘प्रसाद’ को पवित्र आशीर्वाद मानते हैं।

याचिका में क्या कहा गया

याचिकाकर्ता ने कहा है कि लड्डु बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल होना मंदिर प्रशासन पर सवाल उठाता है। याचिका में हिंदू धार्मिक परंपराओं की पवित्रता की रक्षा करने की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को भेजी गई याचिका में कहा गया कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा प्रबंधित मंदिर के प्रसाद पर लगाए गए आरोपों ने भक्तों की भावनाओं को आहत किया है। लड्डुओं मे जानवरों की चर्बी का उपयोग करना संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है, जो धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार और धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करने का अधिकार सुनिश्चित करता है।

याचिका में हिंदू धार्मिक प्रथाओं की रक्षा और पवित्र संस्थानों के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने की भी मांग की गी है। साख ही सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया गया है।

कब शुरू हुआ ये विवाद?

यह विवाद उस समय शुरू हुआ, जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को कहा कि श्री वेंकटेश्वर मंदिर तिरुपति द्वारा दिए जाने वाले प्रसाद लड्डुओं के निर्माण में पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार के दौरान जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने गुजरात के एक प्रयोगशाला में इसकी जांच कराई। जांच रिपोर्ट में भी मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं में बीफ टैलो, मछली का तेल और लार्ड (सुअर की चर्बी) के निशान पाए गए हैं।

जेपी नड्डा ने नायडू से मांगी विस्तृत रिपोर्ट 

वहीं इससे पहले शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने नायडू से इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी। बीजेपी ने कहा है कि जानवरों के चर्बी के कथित उपयोग को माफ नहीं किया जा सकता। वरिष्ठ नेता बंदी संजय ने संकेत दिया कि यह संभवत इसलिए हुआ होगा, क्योंकि अन्य धर्मों के कुछ लोगों को TTD बोर्ड में शामिल किया गया था।”

ध्यान भटकाने की रणनीति’

वाईएसआर कांग्रेस और पूर्व आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। शुक्रवार को इस विवाद पर अपने पहले बयान में, श्री रेड्डी ने कहा कि यह दावा झूठा है और टीडीपी द्वारा ध्यान भटकाने की एक रणनीति है।

वाईएसआर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वाईवी सुब्बा रेड्डी, जो चार साल तक टीटीडी (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) के अध्यक्ष रहे, ने चंद्रबाबू नायडू पर तिरुमला मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। तिरुमला प्रसाद के बारे में उनके बयान बेहद दुर्भावनापूर्ण हैं। कोई भी व्यक्ति ऐसे शब्द नहीं बोलेगा या इस तरह के आरोप नहीं लगाएगा।”

उन्होंने आगे कहा, “यह फिर साबित हो गया है कि चंद्रबाबू नायडू राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। भक्तों की आस्था को मजबूत करने के लिए मैं अपने परिवार के साथ तिरुमला प्रसाद को लेकर ईश्वर के समक्ष शपथ लेने के लिए तैयार हूं। क्या चंद्रबाबू नायडू और उनका परिवार भी ऐसा करने को तैयार हैं?”

ये भी पढ़ेंः तिरुपति मंदिर के लड्डू में मिलावट की बात सच! चर्बी और बीफ होने की पुष्टि