डोनाल्ड ट्रम्प (Trump) की फिर से राष्ट्रपति बनने की खबर ने दुनिया में हलचल मचा दी है। दुनिया के अलग-अलग देशों से इस पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ देश इसे मौके की तरह देख रहे हैं तो कुछ देश चिंता में हैं कि इससे उनके व्यापार, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा? आइए जानते हैं अलग-अलग देशों के इस जीत के लिए इस जीत के क्या मायनें है, कौन से देश ट्रम्प की जीत से खुश है और कौन नहीं। कौन सा देश इस जीत को कैसे देख रहा है और इसके चलते उनके अमेरिका के साथ संबंध कैसे बदल सकते हैं।
भारत: उम्मीद के साथ थोड़ी चिंता भी
भारत में Trump की जीत को लेकर सकारात्मकता है, खासकर अमेरिका और भारत के रिश्तों को लेकर। भारतीय-अमेरिकी समुदाय में ट्रम्प का काफी समर्थन है, और उनकी हिंदू अधिकारों की सुरक्षा की बात ने भी लोगों का ध्यान खींचा है। इसी चुनाव प्रचार में ट्रम्प ने बांग्लादेशी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर खुलकर भी बोला था।
- रक्षा और व्यापार संबंध: ट्रम्प का 2025 में भारत दौरा दोनों देशों के रिश्तों में नई दिशा दे सकता है। उनकी इस यात्रा में क्वाड सम्मेलन को फिर से आयोजित करना भी शामिल है, जो भारत-अमेरिका के सहयोग को मजबूत करेगा। इसके अलावा, ट्रम्प का रूस पर से आर्थिक प्रतिबंध हटाने का फैसला भारत को सस्ती कीमत पर रक्षा उपकरण खरीदने का मौका दे सकता है। इसके चलते तेल की कीमतें भी कम हो सकती हैं, जिससे भारत को ऊर्जा सुरक्षा में लाभ होगा।
- व्यापार की चिंता: हालांकि चीन के खिलाफ ट्रम्प की सख्ती से भारत को कुछ फायदे मिल सकते हैं, लेकिन अमेरिकी निर्यात पर भारत को दबाव का सामना करना पड़ सकता है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में पहुंच कठिन हो सकती है। भारत को आने वाले समय में रक्षा और व्यापार दोनों को संतुलित करना होगा।
रूस: प्रतिबंध हटने की उम्मीद
रूस Trump की जीत से सबसे अधिक खुश नजर आ रहा है, खासकर आर्थिक प्रतिबंधों से राहत की उम्मीद में। रूस को उम्मीद है की ट्रम्प के आने से युद्ध की स्तिथि में सुधार होगा, बता दें की ट्रम्प और पुतिन के बीच अच्छे व्यक्तिगत सम्बन्ध है।
- आर्थिक और रक्षा लाभ: ट्रम्प के रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने और प्रतिबंधों को हटाने के फैसले से रूसी अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इससे भारत जैसे देश, जो रूस से रक्षा उपकरण खरीदते हैं, को भी फायदा होगा।
- तेल कीमतों पर असर: प्रतिबंध हटने से रूस वैश्विक बाजारों तक अधिक पहुंच बना सकेगा, जिससे तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इससे ऊर्जा आयात करने वाले देशों को तेल खरीदने के विकल्प बढ़ेंगे और रूस की आर्थिक ताकत बढ़ेगी।
बांग्लादेश: ट्रम्प की नीतियों को लेकर चिंतित
बांग्लादेश में ट्रम्प की जीत को लेकर थोड़ी चिंता है, खासकर उनके इमिग्रेशन पर रुख और आलोचना के कारण।
- आर्थिक अनिश्चितता: ट्रम्प की दक्षिण एशियाई इमिग्रेशन पर सख्ती से बांग्लादेशियों के लिए अमेरिका में काम करने और पैसे भेजने पर असर पड़ सकता है, जो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाते हैं।
- व्यापार पर प्रभाव: अगर ट्रम्प व्यापार पर सख्त नीतियां लागू करते हैं तो इससे बांग्लादेश का टेक्सटाइल निर्यात भी प्रभावित हो सकता है। देश को आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए इन नीतियों पर नजर रखनी होगी।
- ट्रम्प का विरोध: बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के हेड मुहम्मद यूनुस शुरू से ही ट्रम्प के धुर विरोधी रहे है, दोनों नेता एक दूसरे को पसंद नहीं करते है। 2016 में ट्रम्प की जीत को लेकर यूनुस ने विवादस्पद बयान दिया था उन्होंने कहा “ट्रंप की जीत एक सोलर एक्लिप्स की तरह है मगर जो एक उजाला है वो एक दिन आएगा वो इतना दूर नहीं है।” हाली में ट्रम्प ने कहा था कि ‘बांग्लादेश में जो हो रहा है वह बिलकुल ठीक नहीं है।’
चीन: नए व्यापारिक संकट की तैयारी
चीन ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से मुश्किलों में पढ़ सकता है, खासकर उनके व्यापारिक रुख के चलते।
- आयात पर 60% शुल्क: ट्रम्प के चीन से आने वाले सामान पर 60% टैरिफ लगाने की योजना से चीन की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इसका असर बाकी दुनिया पर भी होगा, जिससे कई उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- क्षेत्रीय संतुलन: ट्रम्प का क्वाड संगठन को मजबूत करना चीन के खिलाफ एक बड़ी रणनीति हो सकता है। इससे अमेरिका, भारत और बाकी क्वाड सदस्य देशों में रक्षा सहयोग बढ़ेगा, जो चीन के प्रभाव को सीमित कर सकता है।
- चीन – ताइवान मामला: इसमें चीन के लिए अच्छी बात यह हो सकती है कि ट्रंप वॉर नहीं चाहते तो कल को अगर चीन ताइवान पर अटैक करता है तो जिस तरीके से जो बाइड यूक्रेन की मदद के लिए कूद गए थे ट्रंप हो सकता है कि इतना कुछ ना करें ताइवान के लिए।
कनाडा: आर्थिक दबाव में
कनाडा की अर्थव्यवस्था पर ट्रम्प की कर नीतियों का असर हो सकता है।
- मुद्रा और निवेश पर असर: अमेरिका में कॉरपोरेट टैक्स घटाने की योजना से कनाडाई डॉलर की कीमत घट सकती है, जिससे कनाडाई निवेशक अमेरिकी बाजार की तरफ आकर्षित होंगे। कनाडा के विपक्षी नेता पियरे पोलीएवर भी कह रहे हैं कि ‘हमें कनाडा में अब टैक्सेस कम करने होंगे ट्रंप को चुनौती देनी है अगर तो हमें भी कुछ ना कुछ करना होगा’
- तेल बाजार में प्रतिस्पर्धा: अमेरिका के तेल निर्यात बढ़ने से कनाडा के तेल निर्यात पर भी दबाव बढ़ सकता है, जिससे कनाडाई अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। कनाडा को बदलते व्यापारिक परिदृश्य में अपने हितों की सुरक्षा करनी होगी।
पाकिस्तान: स्थिर लेकिन सीमित उम्मीदें
ट्रम्प की जीत से पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में ज्यादा बदलाव नहीं दिखता, हालांकि ट्रम्प और इमरान खान के व्यक्तिगत रिश्ते अच्छे है।
- सामान्य रिश्ते: ट्रम्प ने खान की तारीफ जरूर की है, लेकिन पाकिस्तान की राजनीति में कोई ठोस समर्थन नहीं दिया है, जो उनके संबंधों में सीमित अमेरिकी हस्तक्षेप की ओर इशारा करता है।
- व्यापार पर असर: अगर ट्रम्प चीन से आयात घटाते हैं तो पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष लाभ हो सकता है। लेकिन उसे चीन और अमेरिका के साथ अपने संबंधों में संतुलन बनाए रखना होगा।
यूरोप: नाटो और रूस पर गहरी चिंता
यूरोप में ट्रम्प की जीत को लेकर नाराजगी है, खासकर उनके नाटो और रूस पर रुख के कारण।
- कमला हैरिस के प्रति समर्थन: सर्वेक्षणों में यूरोपीय नागरिकों ने कमला हैरिस का समर्थन किया है, खासकर जर्मनी में, जहां ट्रम्प के रूस समर्थक रवैये को खतरे के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, ट्रंप ने कुछ महीने पहले यह कह दिया था कि मैं रशिया को कहूंगा कि नेटो के साथ जो करना है करो जो यूरोप के साथ करना है करो मैं इनकी रक्षा करने के लिए नहीं आ रहा क्योंकि ये पेमेंट उतनी करते नहीं है जितनी इनको करनी चाहिए।
- नाटो सुरक्षा पर चिंता: नाटो के रक्षा दायित्वों पर ट्रम्प के रुख से यूरोपीय नेताओं में चिंता है। उन्हें डर है कि अमेरिकी प्रतिबद्धता में कमी से यूरोप असुरक्षित हो सकता है। यूक्रेन-रूस संघर्ष पर ट्रम्प के असर से क्षेत्रीय स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।
- यूक्रेन पर असर: ट्रम्प की जीत से यूक्रेन की चिंताएं बढ़ने वाली है, ट्रंप ने बार-बार अपने भाषणों में कहा है कि जेलेंस्की को बहुत सारे बिलियंस ऑफ डॉलर्स मिल रहे हैं यूएसए से जब यह प्रेसिडेंट बनेंगे तो ऐसा नहीं होगा। दरअसल ट्रंप जल्द से जल्द यूक्रेन पर प्रेशर डालेंगे की जो जमीन गई वो गई अब बस वॉर खत्म करो।
ट्रम्प की जीत से अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में बड़े बदलाव आने की संभावना है। हर देश अपनी रणनीति को बदलते हालात के हिसाब से ढाल रहा है, ताकि अपने आर्थिक और सुरक्षा हितों की रक्षा कर सके। अगले चार साल दुनिया के लिए नए रिश्तों की परिभाषा तय करेंगे, जिसमें हर देश अमेरिका के साथ अपनी भूमिका को समझकर कदम बढ़ाएगा।
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