Panama canal trump warning

पनामा कैनाल पर जल्द होगा अमेरिका का कब्ज़ा? ट्रम्प ने क्यों दी पनामा को ये चेतावनी? जानें पूरा विवाद

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका के जहाजों से पनामा नहर इस्तेमाल करने पर ज्यादा शुल्क लिया जा रहा है, जो उन्हें मंजूर नहीं है। ट्रंप ने यहां तक कहा कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो अमेरिका को फिर से पनामा नहर पर नियंत्रण लेना पड़ सकता है। उनके इस बयान पर पनामा के राष्ट्रपति ने भी प्रतिक्रिया दी है, हालांकि दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत की संभावना बनी हुई है।

राष्ट्रपति मुलिनो ने क्या कहा ?

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पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रंप की बातों का सीधा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पनामा की आज़ादी पर कभी समझौता नहीं होगा, और नहर के प्रशासन पर चीन का कोई दबाव या प्रभाव नहीं है। मुलिनो ने नहर से गुजरने वाले जहाजों पर लगने वाले शुल्क का भी समर्थन किया। उन्होंने साफ किया कि ये शुल्क मनमाने ढंग से नहीं लगाए जाते, बल्कि विशेषज्ञों द्वारा तय किए जाते हैं। आगे बोलते हुए मुलिनो ने कहा, ‘पनामा नहर और उसके आसपास का हर इंच पनामा का था, है और रहेगा।’ इस पर ट्रंप ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘हम इस मामले को देखेंगे।’

नहर को गलत लोगों के हाथों में नहीं जाने देंगे: ट्रम्प 

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एरिजोना में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि वह नहर को गलत लोगों के हाथों में नहीं जाने देंगे। उन्होंने नहर पर चीन के प्रभाव का भी जिक्र किया। बाद में, ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अमेरिकी झंडे की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘अमेरिकी नहर में आपका स्वागत है।’ ट्रंप ने आगे कहा, ‘क्या आपने कभी पनामा नहर के बारे में सुना है? हमें पनामा नहर में भी वैसे ही धोखा दिया गया, जैसे हमें हर जगह दिया जाता है। यह पनामा और वहां के लोगों को दी गई थी, लेकिन इसमें कुछ शर्तें भी थीं। अगर नैतिक और कानूनी नियमों का पालन नहीं होता, तो हम पनामा नहर को जल्दी और बिना किसी बहस के वापस लेने की मांग करेंगे।’

पनामा कैनाल का अमेरिका ने किया था निर्माण

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अमेरिका ने एक समय बड़े पैमाने पर नहर का निर्माण किया और इसके आसपास के क्षेत्र की देखभाल की। लेकिन 1977 में अमेरिका और पनामा के बीच हुए दो समझौतों ने नहर को पनामा के पूर्ण नियंत्रण में देने का रास्ता साफ कर दिया। आखिरकार, 1999 में अमेरिका ने इस नहर का नियंत्रण पूरी तरह से पनामा को सौंप दिया।

 

 

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