उत्तराखंड में यूसीसी लागू, उपराष्ट्रपति ने जताई खुशी, कहा- “एक दिन पूरे देश में होगा लागू

उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य में यूसीसी लागू होने के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसे एक बहुत अच्छा कदम बताया है और कहा कि यह भारतीय संविधान में दर्ज अनुच्छेद 44 का पालन करने वाला है। उनके मुताबिक, यह कदम देश के नागरिकों के लिए समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है और इससे समाज में लिंग समानता और सामंजस्य बढ़ेगा।

क्या है समान नागरिक संहिता (UCC)?

समान नागरिक संहिता यानी UCC का मतलब है कि सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून हो, चाहे उनका धर्म, जाति या समुदाय कुछ भी हो। UCC का उद्देश्य यह है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार मिले, और किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर कोई भेदभाव न हो। इससे महिलाओं को भी समान अधिकार मिलेंगे और समाज में सामंजस्य बढ़ेगा।

उपराष्ट्रपति ने दी प्रतिक्रिया

राज्यसभा इंटर्नशिप प्रोग्राम के उद्घाटन के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उत्तराखंड द्वारा यूसीसी अपनाने की तारीफ की। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक पल है। उत्तराखंड ने संविधान के अनुच्छेद 44 को साकार किया है, जो पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात करता है।” इसके अलावा, उन्होंने कहा कि यह कदम समाज में समानता और समरसता लाएगा। धनखड़ ने यह भी कहा कि यह कदम उत्तराखंड की सरकार की दूरदर्शिता को दिखाता है और उम्मीद जताई कि जल्द ही बाकी राज्य भी इस दिशा में कदम बढ़ाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पूरा देश एक दिन यूसीसी को अपनाएगा, और यह संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर का सपना था, जिसे पूरा करना बेहद जरूरी था।

UCC का विरोध करने वालों पर तंज

उपराष्ट्रपति ने उन लोगों पर भी निशाना साधा जो यूसीसी का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना था कि यह संविधान का निर्देश है और इसका विरोध करना अविवेकपूर्ण है। उन्होंने कहा, “कुछ लोग सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट्रीयता की कुर्बानी देने में संकोच नहीं करते। यह समझना जरूरी है कि UCC केवल लिंग समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा।” उन्होंने यह भी कहा कि संविधान सभा के सदस्य और सुप्रीम कोर्ट ने कई बार UCC की आवश्यकता पर जोर दिया है, तो फिर इसका विरोध क्यों किया जा रहा है?

अवैध प्रवासियों पर चिंता

उपराष्ट्रपति ने अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर भी चिंता जताई। उनका कहना था कि अवैध प्रवासी देश के संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसके अलावा, इन प्रवासियों की वजह से चुनावी प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है। उनका कहना था कि यह स्थिति अब और सहन नहीं की जा सकती और सरकार को इस समस्या का समाधान प्राथमिकता से करना चाहिए।

युवाओं के लिए नई दिशा

भारत में पिछले कुछ सालों में बेमिसाल आर्थिक विकास हुआ है। उपराष्ट्रपति ने इसकी सराहना की और कहा कि यह विकास हर क्षेत्र में हुआ है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सरकारी नौकरी की सोच से बाहर निकलें और अपने लिए नए अवसरों की तलाश करें। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गई आकांक्षी जिलों की पहल की भी तारीफ की, जो देश के हर कोने में विकास पहुंचाने का काम कर रही है।

संवाद की भारतीय परंपरा

धनखड़ ने भारतीय परंपरा में संवाद की अहमियत को भी रेखांकित किया। उनका कहना था कि भारत में समस्याओं का समाधान हमेशा विचार-विमर्श और संवाद से हुआ है। चाहे वह जलवायु परिवर्तन का मुद्दा हो या वैश्विक संघर्ष, भारतीय संस्कृति में हमेशा कूटनीति और संवाद को प्राथमिकता दी जाती रही है।

अनुच्छेद 370 पर भी बोले उपराष्ट्रपति

अंत में उपराष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 के बारे में भी बात की, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था। उन्होंने डॉ. बी.आर. अंबेडकर के दृष्टिकोण का हवाला देते हुए कहा कि अगर अंबेडकर की सलाह मानी जाती, तो जम्मू-कश्मीर के मामले में हमें वह कीमत नहीं चुकानी पड़ती जो अब तक चुकानी पड़ी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक समावेशी, सहिष्णु और अनुकूलनशील राष्ट्र है, और हम सब मिलकर संविधान निर्माता के सपने को साकार करेंगे।

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