भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारत में हर दिन 13,000 से ज्यादा ट्रेनें चलती हैं। वहीं रोजाना करीब 2 करोड़ 31 लाख यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं। भारत में रेलवे की कुल लंबाई 115,000 किलोमीटर है। लेकिन आज हम आपको भारतीय रेल से जुड़ा एक ऐसा तथ्य बताने वाले हैं, जो आपने कभी पहले नहीं सुना होगा। जी हां, भारत में एक जगह ऐसी भी है, जहां पर यात्री बिना टिकट के ट्रेन में सफर करते हैं।
भारतीय रेलवे
भारत में भारतीय रेलवे को लाइफ लाइन कहा जाता है। क्योंकि पूरे देश में एक जगह से दूसरी जगह पर जाने के लिए इससे सस्ता विकल्प कुछ भी नहीं है। हालांकि भारतीय रेलवे की ट्रेनों में सफर करने के लिए अलग-अलग ट्रेनों और दूरी के हिसाब से टिकट का रेट तय है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे रेलवे रूट के बारे में बताने वाले हैं, जहां पर सफर करने के लिए आपको टिकट की जरूरत नहीं होगी।
भाखड़ा-नांगल ट्रेन रूट
बता दें कि इस ट्रेन रूट को भाखड़ा-नांगल के नाम से जाना जाता है। यहां पर 75 सालों से लगातार लोग बिना ट्रेन के टिकट के सफर करते हैं। हालांकि यह ट्रेन पंजाब के नांगल और हिमाचल प्रदेश के भाखड़ा के बीच केवल 13 किलोमीटर की दूरी तय करती है। वहीं इस पूरी यात्रा में यह केवल पांच स्टेशनों पर रुकती है। यह सतलुज नदी और शिवालिक पहाड़ियों के ऊपर से गुजरती है, जहां रास्ते में सुंदर नजारे देखने को मिलते हैं। इस ट्रेन का इस्तेमाल मूल रूप से भाखड़ा-नांगल बांध के निर्माण के लिए मजदूरों और सामग्री को ले जाने के लिए किया जाता था।
डैम के निर्माण के लिए बनी रेल लाइन
भाखड़ा-नांगल डैम के निर्माण के समय बड़ी मशीनें, लोहा, पत्थर समेत तमाम सामान ढोने के लिए इस रेल ट्रैक का निर्माण किया गया था। वहीं डैम निर्माण के समय काम में आसानी के लिए यह रेल लाइन काफी मददगार साबित हुई थी। यहां डैम निर्माण के बाद भी गांवों को जोड़ने के लिए यह रेल सेवा जारी रखी गई है। यह ट्रेन भाखड़ा-नांगल डैम के निर्माण के समय मशीनों, सामान को मुफ्त में ढोती थी। जिसके बाद ये यात्रियों को भी मुफ्त सेवा देने लगी थी। यह ट्रेन 1948 से लगातार चल रही है। वहीं 1953 में इसे एक बड़ा अपग्रेड मिला था, जब इसमें अमेरिका से आयातित डीजल इंजन लगाए गये थे।
क्यों लगा टिकट
इस ट्रेन में टिकट नहीं लगाए जाने के कई कारण हैं। सबसे पहला ये है कि इसका संचालन और देखरेख भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) करता है। हालांकि एक बार बीबीएमबी ने परिचालन लागतों के कारण इसका किराया वसूलने पर विचार किया था, क्योंकि ट्रेन चलने पर हर घंटे लगभग 18 से 20 गैलन ईंधन की खपत होती है। लेकिन ट्रेन की विरासत के सम्मान में इसे मुफ्त रखने का निर्णय लिया गया है। यहां टिकट नहीं लगने की वजह से इस ट्रेन में कोई टीटी भी नहीं होता है। इस ट्रेन के कोचों की खासियत यह है कि इनका निर्माण कराची में हुआ था। इसके अलावा कुर्सियां भी अंग्रेजों के जमाने में मिलने वाली लकड़ियों से बनी हैं। जानकारी के मुताबिक इन ट्रेन के जरिए हर करीब 800 लोग मुफ्त में सफर करते हैं।