बिन ब्याही मां और उसकी जुड़वा बच्चियों का मर्डर केस 19 साल बाद AI की मदद से हुआ सॉल्व, जानें पूरी कहानी

Ranjini and twin daughter murder case: प्यार वैसे तो दुनिया की सबसे खूबसूरत चीजों में से एक है, लेकिन सही व्यक्ति से हो तो, अगर गलत आदमी से प्यार हो जाए, तो यह आपकी जिंदगी को नर्क बना देता है या कहें कि आपकी मौत का कारण भी बन सकता है। जी हां! कुछ ऐसा ही केरल की एक लड़की के साथ हुआ था, जिसे एक व्यक्ति से प्यार हो जाता है। लड़की शादी से पहले ही प्रेग्नेंट हो जाती है और जब उसे अपनी प्रेग्नेंसी का पता चलता है। तो वह लड़के से शादी के लिए कहती है, लेकिन लड़का शादी के लिए तैयार नहीं होता और अबॉर्शन के लिए कहता है। लड़की इसके लिए तैयार नहीं थी और काफी झगड़ा होने के बाद दोनों का रिश्ता टूट जाता है।

क्या थी केरल की रंजिनी की पूरी कहानी?

यह कहानी केरल के कोल्लम जिले के अलायमोन गांव की रहने वाली लड़की रंजिनी की है, जिसे अपने ही गांव के लड़के दिविल कुमार से प्यार था। हालांकि, रंजिनी के प्रेग्नेंट होने के कुछ समय बाद उससे नाता तोड़कर दिविल पंजाब के पठानकोट में आर्मी कैंप चला जाता है। उधर जनवरी 2006 के अंत में रंजिनी तिरुवनंतपुरम के एक अस्पताल में जुड़वा बेटियों को जन्म देती है। इस दौरान अस्पताल में रंजिनी की मां सांथम्मा को एक अनजान शख्स मिलता है, जो अपना नाम अनिल बताता है। वह कहता है कि अगर सी-सेक्शन डिलीवरी में खून की जरूरत पड़ेगी, तो वह मदद करने के लिए तैयार है। रंजिनी को खून की जरूरत तो नहीं पड़ी, लेकिन अनिल ने उससे दोस्ती जरूर कर ली थी।

इतना ही नहीं उसे यह भी पता चल जाता है कि रंजिनी बिन ब्याही मां है। ऐसे में उसे समाज के ताने न सुनने पड़े। इसके लिए वह उसे आंचल गांव में किराए का एक कमरा भी लेकर देता है। सब कुछ सही चल रहा होता है कि रंजिनी अपनी बच्चियों को उनका हक दिलाने के लिए महिला आयोग में शिकायत करती है और दिविल के DNA टेस्ट की मांग करती है, जिसका आयोग ने आदेश भी दे दिया।

प्रेमी ने ही की थी अपनी प्रेमिका और जुड़वा बच्चियों की हत्या

जब तक कि इस आदेश का पालन किया जाता, उससे पहले ही 10 फरवरी 2006 को दिविल अचानक रंजिनी के घर पहुंचा। दोपहर 11 या 12 क वक्त होगा, जब उसने रंजिनी की मां को झूठ बोलकर बच्चों के जन्म के कागज लेकर पंचायत ऑफिस जाने को कहा, जिसके लिए रंजिनी की मां मान गई औऱ पंचायत ऑफिस चली गई। वहीं, जब वह घर लौटीं तो देखकर चौंक गई कि कमरे में खून से लथपथ उसकी बेटी और नातियों की लाश पड़ी हैं। बच्चियों के सिर चाकू से काट दिए गए थे। तुरंत मामले की खबर पुलिस को दी गई और जांच शुरू हुई। जिसमें सबसे पहले घटना-स्थल से एक दुपहिए का सुराग मिला, जो किसी राजेश के नाम पर रजिस्टर्ड था।

केस में चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब पता चला कि राजेश कोई और नहीं बल्कि अनिल ही था, जिसने हॉस्पिटल में रंजिनी को खून देने की पेशकश की थी। वह दिविल का दोस्त था और उन दोनों ने मिलकर यह खूनी साजिश रची थी। दोनों सेना में थे और दिविल के कहने पर ही अनिल रंजिनी से मिला था। ऐसे में दोनों ने मिलकर मौका मिलने पर रंजिनी और उसकी 17 दिन की जुड़वा बच्चियों का बेरहमी से कत्ल कर दिया।

मामले की जांच आगे बढ़ती है, फिर पुलिस पठानकोट पहुंचती है, लेकिन दोनों का कुछ पता नहीं चलता। 4 साल बाद यानी 2010 में मामले को सीबीआई को सौंप दिया जाता है, लेकिन कुछ हासिल नहीं होता और केस बंद हो जाता है। लेकिन 19 साल बाद केरल पुलिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से हत्यारों का पता लगा लेती है और दोनों को सलाखों के पीछे भेज देती है। दरअसल, केरल के एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) मनोज अब्राहम बताते हैं कि डिपार्टमेंट में एक टेक्निकल इंटेलिजेंस विंग है, जो लंबे समय से पेंडिंग पड़े केस को डिजिटल तरीके से सुलझाने की कोशिश करती है और रंजिनी के केस में भी ऐसा ही किया गया।

AI के जरिए 19 साल बाद सुलझा केस

एआई के जरिए पुलिस ने दोनों हत्यारों की अपडेटेड फोटो जनरेट की, ताकि यह समझने में आसानी हो कि 19 साल बाद दोनों कैसे दिखेंगे। तस्वीर बनाई गईं। फिर उन्हें सोशल मीडिया पर मौजूद फोटोज से मिलाया गया, तो एक आरोपी की एआई फोटो, फेसबुक पर शेयर की गई एक शादी की तस्वीर से 90 फीसदी मैच हो गई। छानबीन में पता चला कि यह राजेश ही है, जो अब नाम बदलकर पुडुचेरी में रह रहा है। इसकी जानकारी सीबीआई को दी गई और आखिरकार 19 साल बाद 4 जनवरी 2025 को आरोपी राजेश गिरफ्तार कर लिया गया।

उसकी गिरफ्तारी के बाद दिविल का पकड़ा जाना मुश्किल नहीं था, तो वह भी गिरफ्तार हो गया, जो विष्णु नाम से पुडुचेरी में रह रहा था। जबकि राजेश ने अपना नाम प्रवीण कुमार रख लिया था। दोनों इंटीरियर डिजाइन का काम करते थे और दोनों ही टीचर्स से शादी कर चुके थे। भले ही यह केस 19 साल तक खिंचा, पर आखिरकार रंजिनी और उसकी बच्चियों को न्याय मिल ही गया। इससे यही साबित होता है कि झूठ लंबे समय तक छिप जरूर सकता है, लेकिन वह जीत नहीं सकता।

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