UP Madarsa Board: उत्तर प्रदेश सरकार ने खत्म की 16 हजार मदरसों की मान्यता, जानिए नया नियम
UP Madarsa Board: लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के मदरसा पर एक आदेश दिया था। जिसके बाद सूबे की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए करीब 16 हजार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद कर दिया है। जो मदरसे मानकों को पूरा नहीं करते हैं। वह बंद कर दिए जाएंगे। वहां पढ़ने वाले बच्चों का एडमिशन अन्य स्कूलों में कराया जाएगा। वहीं शेष बचें मानकों को पूरा करने वाले मदरसा (UP Madarsa Board) यूपी बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों की तर्ज संचालित होंगे।
यह भी पढ़े: लोक सभा चुनाव अमेठी से लड़ सकते रॉबर्ट वाड्रा! सांसद स्मृति ईरानी को लेकर बोले…
डीएम की अध्यक्षता में समिति बनी
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने करीब 16 हजार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद कर दिया है। जो मदरसे मानकों को पूरा नहीं करते हैं। वह इस आदेश के बाद बंद कर दिए जाएंगे। वहां पढ़ने वाले बच्चों का एडमिशन अन्य स्कूलों में कराया जाएगा। इसके लिए सरकार ने प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई है। यह समिति बच्चों को निजी विद्यालयों में भी प्रवेश के निर्देश दे सकती है।
यह भी पढ़े: वायनाड से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किया नामांकन, बहन प्रियंका गांधी रही साथ मौजूद
यूपी में करीब 16 हजार मदरसे
इसके बाद भी यदि छात्र-छात्राएं दाखिला पाने से वंचित रह जाते हैं। तो स्थानीय स्तर पर सीटों की संख्या बढ़ाने और नए विद्यालयों की स्थापना के संबंध में भी समिति कार्य करेगी। वहीं शेष बचें मानकों को पूरा करने वाले मदरसा यूपी बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों की तर्ज संचालित होंगे। यूपी में करीब 16 हजार मदरसे हैं, जिनमें कुल 13.57 लाख छात्र हैं।
यह भी पढ़े: लोक सभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी आज जारी करेगी घोषणा पत्र, जनता से कर सकती यह बड़े वादे
जिलाधिकारियों को निर्देश दिए
इन कुल मदरसों में 560 अनुदािनत मदरसे हैं, जहां 9,500 शिक्षक कार्यरत हैं। बता दे हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 22 मार्च को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा अधिनियम 2004 को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था। जिसके बाद गुरुवार को मुख्य सचिव ने आदेश का पालन कराने के जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं। यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने सबका पक्ष सुनने की बात कहीं है।