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UPSC Lateral Entry: सरकार ने लेटरल एंट्री से नियुक्ति पर क्यों लगाई रोक? जानिए क्या है ये…

UPSC Lateral Entry Controversy: केंद्र सरकार ने विपक्ष के हंगामें के बाद UPSC में लेटरल एंट्री से होने वाली नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। इस मामले पर यू-टर्न लेते हुए सरकार ने नियुक्ति के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है। केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर इस प्रस्ताव को वापस लिया गया है।

अश्विनी वैष्णव की सफाई

इस मामले पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को एक बार पुनः बेहद महत्वपूर्ण निर्णय से प्रतिस्थापित किया है। यूपीएससी ने लैटरल एंट्री के लिए एक बेहद ट्रांसपेरेंट मेथड अपनाया था। हमने ऐसा निर्णय लिया है कि उसमें भी अब रिजर्वेशन का प्रिंसिपल लगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने सामाजिक न्याय के प्रति हमेशा अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।”

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राहुल गांधी ने किया था विरोध

बता दें कि सरकार ने 17 अगस्त को लेटरल एंट्री के जरिए 45 पोस्ट पर नियुक्तियां निकाली थीं। जिसे लेकर उन्हें विपक्ष का भारी विरोध झेलना पड़ा था। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि लेटरल एंट्री में आरक्षण का प्रावधान नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि लेटरल एंट्री के जरिए खुलेआम SC-ST और OBC वर्ग का हक छीना जा रहा है। सरकार यहां RSS वालों की भर्तियां करा रही है।

क्या होती है लेटरल एंट्री?

सराकार द्वारा पहले UPSC में लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति का प्रस्ताव जारी करने और अब रद्द करने के बाद कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिर ये लेटरल एंट्री होती क्या है?

दरअसल लेटरल एंट्री एक ऐसी प्रक्रिया है जिममें बिना एग्जाम लिए सीधी भर्ती की जाती है। इसके द्वारा केंद्र सरकार UPSC में बड़े पदों पर प्राइवेट सेक्टर के एक्सपर्ट्स की भर्ती करती है। बता दें कि इस भर्ती में राज्स्व, आर्थिक, शिक्षा, कृषि और वित्त जैसे सेक्टर्स में काफी दिनों से काम कर रहे अनुभवी लोगों को शामिल किया जाता है।

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यही नहीं सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में डायरेक्टर्स, डिप्टी सेक्रेटरी और ज्वाइंट सेक्रेटरी की नियुक्ति लेटरल एंट्री के जरिए की जाती है। बता दें कि UPSC में लेटरल एंट्री के तहत नियुक्ति करने की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी।

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