बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी संस्था यूएसएड (USAID) भारत को बांटने की साजिश के तहत कुछ संगठनों को फंड दे रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस मामले की जांच कराई जाए और अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भेजा जाए।
दुबे ने कांग्रेस पर फिर से निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी का अमेरिकी व्यापारी जॉर्ज सोरोस से संबंध है। उनके मुताबिक, यूएसएड के फंड और जॉर्ज सोरोस की मदद से कांग्रेस ने अग्निवीर योजना का विरोध किया, जाति जनगणना और नक्सलवाद को बढ़ावा दिया। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस देश को तोड़ने की साजिश में लगी हुई है।
राजीव गांधी फाउंडेशन की हो जांच
सांसद ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने USAID को बंद कर दिया था, क्योंकि इसका इस्तेमाल दुनियाभर में सरकारों को अस्थिर करने के लिए फंड देने में किया जाता था। उन्होंने यह भी मांग की कि राजीव गांधी फाउंडेशन की जांच होनी चाहिए कि क्या उसे जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से 5000 करोड़ रुपये मिले थे या नहीं।
इसके बाद, कांग्रेस के सदस्यों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की और सांसद निशिकांत दुबे द्वारा सदन में किए गए दावे पर आपत्ति जताई।
ट्रंप ने USAID को किया बंद
सांसद ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि अमेरिका में नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएसएड (USAID) संस्था को पूरी तरह बंद कर दिया है। उनका कहना था कि यह संस्था सालों से अलग-अलग सरकारों को गिराने के लिए पैसा खर्च कर रही थी। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि क्या यूएसएड ने जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को भारत को विभाजित करने के लिए 5000 करोड़ रुपए दिए थे या नहीं? साथ ही, उन्होंने यह भी पूछा कि क्या इस संस्था ने राजीव गांधी फाउंडेशन को धनराशि दी थी या नहीं?
यूएसएड ने किसको दिया पैसा?
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सवाल उठाया कि क्या अमेरिका की संस्था यूएसएड (USAID) ने तालिबान को फंडिंग दी थी? उन्होंने विपक्ष से पूछा कि क्या इस संस्था ने देश में आतंकवादी और नक्सलवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले कुछ संगठनों को पैसे दिए या नहीं?
दुबे ने आरोप लगाया कि मानवाधिकार और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च जैसे नामों का इस्तेमाल कर यूएसएड ने कई संगठनों को फंडिंग दी है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मामले की जांच हो और अगर किसी ने देश को नुकसान पहुंचाने के लिए यह पैसा लिया है, तो उसे जेल भेजा जाए।
उनके इस बयान पर कांग्रेस के सांसदों ने जोरदार विरोध किया और नारेबाजी की। कुछ सांसद इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन पीठासीन सभापति संध्या राय ने साफ कर दिया कि शून्यकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। निशिकांत दुबे इससे पहले भी संसद में ऐसे मुद्दे उठा चुके हैं।