Varanasi Mohalla Name Change: वाराणसी, जिसे मोक्ष नगरी कहा जाता है, अब एक नई बहस के केंद्र में आ गई है। शहर के कई मोहल्लों के नाम मुगल आक्रांताओं के नाम पर होने के कारण हिंदूवादी संगठनों द्वारा उन्हें बदलने की पुरजोर मांग उठाई जा रही है। इस विवाद के बीच नगर निगम में यह मुद्दा जोर पकड़ चुका है। (Varanasi Mohalla Name Change) गुरुवार को नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक में इस विषय पर विस्तार से चर्चा होगी, खासकर औरंगाबाद मोहल्ले का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर या नारायणी धाम नगर करने का प्रस्ताव शामिल किया गया है।
वाराणसी में क्यों उठी नाम बदलने की मांग?
बीते कुछ दिनों में इस मुद्दे को और बल तब मिला जब वाराणसी में जगतगुरु रामभद्राचार्य ने सार्वजनिक रूप से यह बयान दिया कि काशी के किसी भी मोहल्ले या स्थान का नाम मुगलों के नाम पर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी मेरे मित्र हैं, मैं उनसे यह मुद्दा उठाऊंगा।” इसी बयान के बाद वाराणसी में यह मांग और जोर पकड़ने लगी और स्थानीय संगठनों ने नगर निगम को नाम परिवर्तन की मांग वाला ज्ञापन सौंप दिया।
किन मोहल्लों के नाम बदले जाने की है मांग?
हिंदूवादी संगठनों की ओर से एक सूची तैयार की गई है, जिसमें काशी के 50 से अधिक मोहल्लों के नाम शामिल हैं। जिन मोहल्लों के नाम बदलने की मांग प्रमुखता से की जा रही है, वे हैं…औरंगाबाद → लक्ष्मीनगर / नारायणी धाम नगर…मदनपुरा गोल चबूतरा → सिद्ध पीठ / सिद्ध महाल…खालिसपुरा → ब्रह्मेश्वर महाल / ब्रह्म तीर्थ…गोलगड्डा → विश्वकर्मा नगर / विश्वकर्मा तीर्थ…पीलीकोठी → स्वर्णतीर्थ…कज्जाकपुरा / सरैया → अनारस तीर्थ…अंबिया मंडी → अमरेश्वर तीर्थ…चौखंबा (अमिरचंद मोहल्ला) → नया नाम प्रस्तावित।
नगर निगम की बैठक में क्या होगा?
नगर निगम के सूत्रों के अनुसार, आज की कार्यकारिणी बैठक में यह मामला प्रमुख बिंदु के रूप में उठेगा। नगर निगम के जन सूचना अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने कहा कि “कुछ संस्थाओं ने नाम बदलने को लेकर आवेदन दिया है। कार्यकारिणी बैठक में इस पर चर्चा होगी और काशी के विद्वानों से प्रमाण भी मांगे जाएंगे।”
राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया
इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। जहां हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि यह धर्म और संस्कृति की पुनर्स्थापना का विषय है, वहीं विरोधी दल इसे ध्रुवीकरण की राजनीति बता रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि चुनावों से पहले धार्मिक मुद्दों को उछालकर वोटबैंक की राजनीति की जा रही है।
क्या बदलेगा वाराणसी का इतिहास?
नगर निगम की बैठक के बाद यह तय होगा कि काशी के मोहल्लों के नाम इतिहास का हिस्सा बने रहेंगे या उन्हें बदल दिया जाएगा। यह मुद्दा सिर्फ वाराणसी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है। क्या काशी अपने ऐतिहासिक नक्शे से मुगल नामों को हटाकर एक नया अध्याय लिखने जा रही है? इसका जवाब जल्द ही सामने आएगा!
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