‘CBI ‘पिंजरे में बंद तोता’ ऐसा ना बोले…’ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट दे दी ये सलाह
Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को न्यायपालिका को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को ऐसी किसी भी टिप्पणी करने से बचना चाहिए जो सरकारी एजेंसियों का मनोबल गिराती हों और राजनीतिक बहस को जन्म दें। मुंबई के एलफिनस्टोन टेक्निकल हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज में संविधान मंदिर के उद्घाटन समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति ने ये बातें कहीं।
‘ संस्थाओं के बारे में सतर्क रहने की जरूरत’
जगदीप धनखड़ आगे कहा कि देश की संस्थाओं के बारे में अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है, जो मजबूत हैं और कानून के शासन के तहत उचित संतुलन और नियंत्रण के साथ स्वतंत्र रूप से काम करती हैं। उन्होंने कहा, ”राज्य की सभी संस्थाएं न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का एक ही उद्देश्य है और वो है संविधान की मूल भावना की सफलता सुनिश्चित करना। आम लोगों के सभी अधिकारों की गारंटी देना और भारत को समृद्ध और फलने-फूलने में मदद करना।”
‘भड़काऊ बहस का कारण नहीं बनना चाहिए’
धनखड़ ने कहा, ”इन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों को पोषित करने और संवैधानिक आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ और समन्वय के साथ काम करना चाहिए। एक संस्था की सही ढंग से सेवा तब होती है, जब वह कुछ सीमाओं के प्रति सचेत रहती है। कुछ सीमाएं स्पष्ट होती हैं, कुछ बहुत ही सूक्ष्म होती हैं। इन पवित्र मंचों न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका को राजनीतिक रूप से भड़काऊ बहस का कारण नहीं बनना चाहिए।”
‘एक टिप्पणी उनका मनोबल गिरा सकती है’
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, “हमारी संस्थाएं चाहे वह चुनाव आयोग हो या जांच एजेंसियां। वे कठिन परिस्थितियों में अपना कर्तव्य निभाती हैं। एक टिप्पणी उनका मनोबल गिरा सकती है। यह एक राजनीतिक बहस को जन्म दे सकती है। हमें अपनी संस्थाओं के प्रति बेहद सतर्क रहना होगा।”
‘हमारी संस्थाएं मजबूत हैं, स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं’
धनखड़ ने कहा, हमारी संस्थाएं मजबूत हैं, स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं। वे नियंत्रण और संतुलन के तहत कार्य करती हैं। वे कानून के शासन के अंतर्गत काम करती हैं। ऐसी स्थिति में अगर हम किसी सनसनी पैदा करने के लिए या राजनीतिक बहस या मुद्दे का केंद्र बनने के लिए काम करते हैं, तो मैं संबंधित लोगों से अपील करूंगा कि यह पूरी तरह से टाला जा सकता है।”
CBI को बताया था ‘पिंजरे में बंद तोता’
बता दें कि अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को ‘पिंजरे में बंद तोता’ होने की धारणा को समाप्त करना चाहिए।
न्यायमूर्ति उज्जल भुयान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में जमानत देते हुए कहा, “कानून के शासन के तहत संचालित लोकतंत्र में धारणा का महत्व होता है। जैसे कि सीजर की पत्नी। उन्होंने कहा कि एक जांच एजेंसी को निष्पक्ष और संदेह से परे होना चाहिए। कुछ समय पहले, इस अदालत ने सीबीआई की आलोचना करते हुए इसकी तुलना ‘पिंजरे में बंद तोते’ से की थी। यह आवश्यक है कि सीबीआई इस धारणा को समाप्त करे कि वह पिंजरे में बंद तोता है। बल्कि इसे एक ‘स्वतंत्र तोते’ के रूप में देखा जाना चाहिए।”
न्यायाधीश की टिप्पणियों के बाद, आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की कड़ी आलोचना की। दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने केंद्रीय गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग की, यह तर्क देते हुए कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से उनके नेतृत्व पर सवाल उठते हैं।
ये भी पढ़ेंः CM केजरीवाल को जमानत तो मिली, लेकिन CBI की गिरफ्तारी की वैधता पर जजों में दिखा मतभेद!