उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में कहा कि किसी भी क्षेत्र पर काबू पाने का सबसे आसान तरीका उसकी संस्कृति और भाषा को खत्म करना है। उन्होंने याद दिलाया कि करीब 1200-1300 साल पहले भारत ज्ञान का केंद्र था। उस समय हमारे पास नालंदा और तक्षशिला जैसे महान शिक्षा संस्थान थे, और पूरी दुनिया हमें ज्ञान के भंडार के रूप में देखती थी। लेकिन फिर आक्रमणकारी आए, जिन्होंने हमारी भाषा, संस्कृति और धार्मिक स्थलों को नष्ट करने की कोशिश की। उस दौर में अत्याचार और बर्बरता अपने चरम पर थी।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आक्रमणकारियों ने हमारे धार्मिक स्थलों पर कब्जा करके हमारे मन पर गहरा असर डाला। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हमारी भाषा कमजोर पड़ जाएगी, तो हमारा इतिहास भी मिट जाएगा।
सांस्कृतिक विरासत है देश की सबसे बड़ी संपत्ति
उन्होंने कहा कि किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति उसकी संस्कृति होती है, और भाषा इस संस्कृति की सबसे अहम कड़ी होती है। कार्यक्रम में बोलते हुए, जगदीप धनखड़ ने कहा कि भाषा सिर्फ़ साहित्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ज्ञान और समझ को आगे बढ़ाने का जरिया भी है। यह हमें मौजूदा हालात, समय की चुनौतियों और समाज में हो रहे बदलावों को समझने में मदद करती है।
मातृभाषा के महत्व पर दिया जोर
उपराष्ट्रपति ने मातृभाषा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हाल के वर्षों में भाषा को लेकर बड़े बदलाव हुए हैं। तीन दशकों बाद, सरकार ने इस दिशा में बड़ी पहल की है। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य मातृभाषा को बढ़ावा देना है, क्योंकि यही वह भाषा होती है जिसे बच्चा सबसे पहले समझता और सोचता है। यह सहज रूप से विकसित होती है और हर किसी के लिए फायदेमंद होती है।
उन्होंने भारत सरकार द्वारा मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर खुशी जाहिर की। मराठा गौरव और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अगर किसी गौरव को परिभाषित करना हो, तो वह मराठों का गौरव ही होगा।
शिवाजी महाराज कभी किसी के सामने नहीं झुके
भारतीय संविधान के भाग-15 में चुनाव से जुड़े प्रावधानों के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज की छवि दिखाई गई है। शिवाजी महाराज कभी किसी के सामने नहीं झुके, और इसी प्रेरणा को ध्यान में रखते हुए संविधान निर्माताओं ने चुनाव संबंधी अनुभाग में उनकी छवि को स्थान दिया।
इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, वरिष्ठ राज्यसभा सांसद शरद पवार और लोकसभा सांसद मौजूद थे। साथ ही, अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन मंडल की अध्यक्ष सुप्रिया सुले, प्रोफेसर उषा तांबे, सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. तारा भावकर, उपाध्यक्ष के सचिव सुनील कुमार गुप्ता और अन्य गणमान्य लोग भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।