देशभर में वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन को लेकर विवाद के बीच, वक्फ संशोधन विधेयक -2024 पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट आज लोकसभा में पेश की जाएगी। इस रिपोर्ट में वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण, पारदर्शिता और अवैध कब्जे हटाने जैसे कई अहम सुधारों की सिफारिशें की गई हैं। लेकिन विपक्ष इसे असंवैधानिक बताते हुए विरोध कर रहा है, जिससे संसद में आज घमासान तय माना जा रहा है।
44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव
भाजपा सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया था कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करेगा। समिति ने भाजपा सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था। समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और दावा किया था कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के ‘‘दमनकारी’’ चरित्र को बरकरार रखेगा और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा।
वक्फ कानून से सबको मिलेगा लाभ- जगदंबिका पाल
जगदंबिका पाल ने कहा था कि वक्फ का कानून बनने के बाद देश के गरीबों, अल्पसंख्यकों, विधवाओं को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा था, “तीन तलाक पर सरकार ने जो फैसला लिया, मुस्लिम महिलाओं ने इसका स्वागत किया। मैं समझता हूं कि जब जेपीसी की यह रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, तो देश के सभी लोग यह महसूस करेंगे कि उनकी सरकार वक्फ बोर्ड में अच्छा संशोधन लेकर आई है। इसका लाभ लोगों को मिलेगा।”
आठ अगस्त, 2024 को जेपीसी में भेजा गया था
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद आठ अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है।
बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी दिन
बता दें कि संसद के वर्तमान बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी कामकाजी दिन है। वक़्फ़ संशोधन बिल पर गठित JPC की की रिपोर्ट गत 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की सौंपी गई थी। समिति की 655 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट को बहुमत से स्वीकार किया था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझाव समाहित हैं। विपक्षी सदस्यों ने इसे असंवैधानिक करार दिया था और आरोप लगाया था कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा।
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