West Bengal: कोलकाता की एक डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले ने पूरे देश में आक्रोश फैलाया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और इसे एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बताया है। उनके बयान के बाद पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं।
ममता बनर्जी की कुर्सी पर खतरा
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी को लेकर भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। भाजपा के नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी इस मुद्दे पर भयभीत हैं और इसलिए उन्होंने कई बार बीजेपी शासित राज्यों पर आक्रोश जताया है। भाजपा का आरोप है कि ममता बनर्जी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही हैं, जिससे उनकी कुर्सी पर संकट गहरा सकता है।
राष्ट्रपति शासन की संभावना
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि भारत को ऐसी ‘विकृतियों’ के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 355 और 356 का उपयोग किया जा सकता है, जो आंतरिक अशांति और संवैधानिक तंत्र के असफल होने पर लागू होते हैं। पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग को लेकर चर्चा अब तेज हो गई है, क्योंकि भाजपा ने इस दिशा में कदम उठाने की बात की है।
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भाजपा अपना रही कांग्रेस का तरीका
भाजपा की प्रतिक्रिया से कांग्रेस के नेताओं की उन टिप्पणियों की याद ताजा हो गई है, जिनमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस के पूर्ववर्ती कार्यों को ‘कॉपी-पेस्ट’ कर रहे हैं। कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि बीजेपी अब बंगाल में वही तरीका अपनाने जा रही है, जिसे कांग्रेस ने अपने शासनकाल में विपक्षी सरकारों को बर्खास्त करने के लिए अपनाया था।
क्या है ममता के पास विकल्प?
ममता बनर्जी के पास यदि राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो उनके पास कोर्ट जाने का विकल्प होगा, जैसा कि उत्तराखंड में 2017 में हुआ था। बंगाल में राष्ट्रपति शासन का इतिहास भी रहा है; यहां पर पहले भी चार बार राष्ट्रपति शासन लागू किया जा चुका है। इससे पहले, राज्य में राष्ट्रपति शासन जुलाई 1971 में लागू किया गया था।
पश्चिम बंगाल में पहले भी लग चुका है राष्ट्रपति शासन
पश्चिम बंगाल में अब तक कुल चार बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है। पहली बार 1 जुलाई 1962 को नौ दिनों के लिए, दूसरी बार 20 फरवरी 1968 को लगभग एक साल के लिए, और तीसरी बार 19 मार्च 1970 को करीब एक साल के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया। राज्य में राष्ट्रपति शासन की आखिरी बार घोषणा 29 जून 1971 को की गई थी, जो 20 मार्च 1972 को नई विधानसभा के गठन के बाद समाप्त हो गया।