राजस्थान, जहाँ वीरता की गूंज हर ओर सुनाई देती है। यह भूमि नायकों की कहानी से भरी हुई है, जिन्होंने अपनी बहादुरी और बलिदान से न सिर्फ युद्ध लड़े, बल्कि इतिहास के पन्नों में अमिट छाप छोड़ी। राजस्थान, वीरता और साहस की अनगिनत कहानियों का घर है। यहाँ की हर बूँद में नायकों का जज़्बा और बलिदान की महक भरी हुई है।
कहा जाता है—”जहाँ वीरता है, वहाँ राजस्थान है!” यहाँ की धरती पर महाराणा प्रताप, रानी दुर्गावती और जैसे कई नायक हैं, जिनकी कहानियाँ सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह केवल युद्ध की गाथाएँ नहीं, बल्कि प्यार, सम्मान और अपने आदर्शों की रक्षा की कहानी हैं।
ऐसी ही एक कहानी है बिश्नोई समजा (what is bishnoi samaj) की। जो अपने अदम्य साहस और बलिदानों के लिए प्रसिद्ध है। बिश्नोई समाज की कहानी गुरु जंभेश्वर से जुड़ी हुई है। गुरु जंभेश्वर का जन्म राजस्थान में हुआ। वहीं, उन्होंने प्रकृति के प्रति गहरी समझ विकसित की। उनका कहना था, “जियो और जीने दो,” जो हमें सिखाता है कि हर जीव का सम्मान करना जरूरी है।
कौन थे गुरु जंभेश्वर
28 अगस्त 1451 को मध्य राजस्थान की रियासत नागौर के छोटे से गांव पीपासर में क्षत्रिय लोहटजी पंवार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम धनराज रखा गया। उस समय भारत में भक्तिकाल का दौर चल रहा था। धनराज का बचपन कुछ अलग रहा; प्रारंभिक सात वर्षों तक वे मौन रहे, जिसके कारण परिवार वाले उन्हें ‘गूंगा गला’ कहने लगे। लेकिन जैसे ही उन्होंने सात वर्ष की आयु में बोलना शुरू किया, उनका जीवन एक नई दिशा में बढ़ने लगा।
गौचर की जिम्मेदारी मिलने के बाद, उनका ध्यान अध्यात्म की ओर गया और उन्हें एक नया नाम मिला—गुरु जंभेश्वर (who is guru jambheshwar) । 16 वर्ष की आयु में उनकी मुलाकात गुरु गोरखनाथ से हुई, जिन्होंने उन्हें गहरे ज्ञान की ओर अग्रसर किया।
गुरु जंभेश्वर अपने माता-पिता के इकलौते संतान थे और जब तक वे जीवित रहे, उन्होंने उनकी सेवा की। माता-पिता के निधन के बाद, उन्होंने अपनी सभी संपत्तियों का त्याग कर बीकानेर की ओर रुख किया। वहां के एक गांव मुकाम में उन्होंने अपना डेरा डाला और लोगों की सेवा में जुट गए।
उस समय राजस्थान के कई क्षेत्रों में अकाल पड़ा हुआ था। लोग अपने घरों को छोड़कर पलायन कर रहे थे। जब उन्होंने देखा कि पूरा मारवाड़ अकाल की चपेट में है और लोग मध्य प्रदेश की ओर भाग रहे हैं, तो गुरु जंभेश्वर ने उन्हें रोका। उन्होंने अनाज और पैसे से उनकी मदद की और उन्हें संकट के इस समय में सहारा दिया।
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साथ ही, उन्होंने धार्मिक पाखंड और कर्मकांडों के खिलाफ आवाज उठाई, लोगों को सच्चाई की ओर लाने का प्रयास किया। उनके विचार और शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं, और वे समाज में एक महान गुरु के रूप में स्थापित हुए।
बिश्नोई पंथ की स्थापना
बिश्नोई का नाम ‘बिस’ (20) और ‘नोई’ (9) से आया है, जिसका अर्थ है 29। ये नियम महत्वपूर्ण थे और समाज के सदस्यों ने इन्हें अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। इनमें से कुछ नियम जीवों की रक्षा, वृक्षों की सुरक्षा, और अहिंसा को सर्वोच्च मानते हैं। साल 1485 में गुरु जंभेश्वर ने अपने अनुयायियों के लिए 29 नियम बनाए। ये नियम न केवल व्यक्तिगत जीवन को सुधारने के लिए थे, बल्कि समाज और जीवों की रक्षा के लिए भी थे। उन्होंने इस पंथ की स्थापना समराथल धोरा पर एक बड़े हवन के दौरान की। यहां से बिश्नोई (bishnoi community) पंथ की शुरुआत हुई और लोग धीरे-धीरे इस सिद्धांत से जुड़ने लगे।
उन्नतीस धर्म की आखड़ी, हिरदै धरियो जोय।
जाम्भोजी किरपा करी, नाम बिश्नोई होय॥’
राजस्थान की स्थानीय भाषा में लिखी यह कहावत बिश्नोई समाज के सिद्धांतों का प्रतीक है, जिसमें जाम्भेश्वर जी के 29 नियमों का महत्व बताया गया है। इसका हिंदी में अर्थ है: “जो लोग जंभेश्वर के 29 नियमों का हृदय से पालन करते हैं, वे ही बिश्नोई कहलाते हैं।”
क्या है बिश्नोई समाज और सलमान की कहानी
बिश्नोई समाज के लोग काले हिरणों(bishnoi community and black buck) को भगवान की तरह प्रिय मानते हैं और उन्हें बचाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। बताया जाता है कि एक बार, जब अंग्रेजी अधिकारी काले हिरणों का शिकार कर रहे थे, तब एक बिश्नोई किसान, तरोजी राहड़ ने इस अत्याचार का विरोध किया। वह भूख हड़ताल पर बैठ गए और अंततः उनकी मेहनत रंग लाई। अधिकारियों को हिरणों के शिकार पर रोक लगानी पड़ी।
इसी काले हिरण का सलमान खान पर शिकार करने का आरोप है। सलमान और बिश्नोई समाज का विवाद 1998 से शुरू हुआ, जब उनकी फिल्म “हम साथ-साथ हैं” की शूटिंग के दौरान राजस्थान के जोधपुर में काले हिरण के शिकार का मामला सामने आया। शूटिंग लोकेशन से करीब 40 किलोमीटर दूर भवाद गांव के पास उन पर आरोप लगा। जांच के दौरान मौके पर काला हिरण मिला। 2 अक्टूबर को बिश्नोई समाज ने सलमान खान के खिलाफ FIR दर्ज कराई, जिसके बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा। बिश्नोई समाज आज भी सलमान को उनके 29 नियमों में से 9 नियमों का उल्लंघन करने का आरोपी मानता है । उनका कहना है कि अगर सलमान खान गुरु जंभेश्वर के धाम पर आकर माफी मांगें, तो समाज उन्हें माफ कर सकता है।
बिश्नोई पंथ के 29 नियम
क्रम संख्या | नियम |
---|---|
1 | तीस दिन सूतक रखना |
2 | पांच दिन ऋतुवन्ती स्त्री का गृहकार्य से पृथक रहना |
3 | प्रतिदिन सवेरे स्नान करना |
4 | शील का पालन करना और संतोष रखना |
5 | बाह्य और आंतरिक पवित्रता रखना |
6 | द्विकाल संध्या-उपासना करना |
7 | संध्या समय आरती और हरिगुण गाना |
8 | निष्ठा और प्रेमपूर्वक हवन करना |
9 | पानी, ईंधन और दूध को छानकर प्रयोग में लेना |
10 | वाणी विचार कर बोलना |
11 | क्षमा-दया धारण करना |
12 | चोरी नहीं करनी |
13 | निन्दा नहीं करनी |
14 | झूठ नहीं बोलना |
15 | वाद-विवाद का त्याग करना |
16 | अमावस्या का व्रत रखना |
17 | विष्णु का भजन करना |
18 | जीव दया पालना |
19 | हरा वृक्ष नहीं काटना |
20 | काम, क्रोध आदि को वश में करना |
21 | रसोई अपने हाथ से बनानी |
22 | थाट अमर रखना |
23 | बैल बधिया नहीं कराना |
24 | अमल नहीं खाना |
25 | तम्बाकू का सेवन नहीं करना |
26 | भांग नहीं पीना |
27 | मद्यपान नहीं करना |
28 | मांस नहीं खाना |
29 | नीला वस्त्र और नील का त्याग करना |