डिजिटल अरेस्ट से आगरा की टीचर मालती वर्मा की हुई मौत
यूपी के आगरा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां साइबर ठगों ने एक सहायक शिक्षिका, मालती वर्मा, को डिजिटल अरेस्ट करके उनकी जान ले ली। ठगों ने उन्हें चार घंटे तक बंधक बनाए रखा और कहा कि उनकी बेटी एक सेक्स स्कैंडल में फंस गई है। इस घबराहट में शिक्षिका ने अपने बेटे को फोन किया, जिसने उन्हें बताया कि यह सब एक फ्रॉड है। हालांकि, तब तक उनकी तबियत बिगड़ चुकी थी और वे हार्ट अटैक के कारण चल बसीं।
परिवार झेल रहा है सदमा
खबरों के मुातबिक मालती के परिवार में पति-पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां शामिल हैं। मालती वर्मा, जो राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल अछनेरा में काम करती थीं, उनके पति, शिवचरण वर्मा, हाल ही में एक प्राइवेट कंपनी से रिटायर हुए थे।
30 सितंबर को स्कूल से लौटते समय मालती के मोबाइल पर एक कॉल आई, जिसमें कॉल करने वाले ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी सेक्स रैकेट में पकड़ी गई है। ठग ने कहा कि अगर वे एक लाख रुपये नहीं भेजतीं, तो बेटी की बदनामी हो सकती है। इस डर के कारण मालती वर्मा तुरंत अपने बेटे दीपांशु को फोन किया और पैसे निकालने के लिए कहा।
दीपांशु ने जब उस नंबर को देखा, तो उसे शक हुआ कि यह पाकिस्तान का नंबर है। उन्होंने अपनी मां को समझाने की कोशिश की कि यह एक धोखाधड़ी है। बावजूद इसके, मालती की घबराहट बढ़ती गई। उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को कॉल किया, जिन्होंने उन्हें यकीन दिलाया कि वे सुरक्षित हैं और यह सब एक फ्रॉड कॉल है।
हालांकि, 11 बजे से लेकर 3:30 बजे तक चलने वाले इस तनाव ने मालती की तबियत बिगाड़ दी। दीपांशु उन्हें तुरंत अस्पताल ले गया, लेकिन उनकी हालत बिगड़ चुकी थी और उन्होंने दम तोड़ दिया। परिवार ने 1 अक्टूबर को उनका अंतिम संस्कार किया और 3 अक्टूबर को पुलिस को पूरी घटना की जानकारी दी।
जगदीशपुरा थाना प्रभारी आनंदवीर सिंह ने बताया कि मामले की गहन जांच की जा रही है। परिवार ने देर से तहरीर दी, जिसके लिए उन्होंने कहा कि वे दुख में थे। पुलिस ने कॉल डिटेल्स और अन्य साक्ष्य इकट्ठा कर लिए हैं।
डिजिटल अरेस्ट का तंत्र
डिजिटल अरेस्ट की प्रक्रिया में ठग पहले अपने शिकार की पूरी जानकारी इकट्ठा करते हैं। वे जानने की कोशिश करते हैं कि उनका शिकार किसके लिए चिंतित हो सकता है—जैसे कोई बच्चा जो शहर से बाहर पढ़ाई कर रहा है या कोई परिवार का सदस्य जो बड़े पैमाने पर धन रखता है। इसके बाद, एक कॉल के जरिए ठग खुद को पुलिस या किसी बड़ी एजेंसी का अधिकारी बताकर आपके सामने आते हैं।
उदाहरण के लिए, ठग आपको बताते हैं कि आपके परिवार के किसी सदस्य को किसी गंभीर मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। वे आपसे तत्काल पैसे की मांग करते हैं, ताकि मामला निपट सके। इस दौरान, वे आपको घबराने और सोचने का मौका नहीं देते। ठग आपको वीडियो कॉल पर भी रखते हैं, ताकि आप उनके प्रभाव में रहें।
घबराहट में लेते हैं फैसले
इस स्थिति में लोग अक्सर सोचने की क्षमता खो देते हैं। मालती वर्मा के मामले में भी ऐसा ही हुआ। उन्होंने अपने बेटे को बताया कि ठगों ने उन्हें क्या कहा, लेकिन पहले से ही घबराई हुई स्थिति में उनकी तबियत बिगड़ गई। कई लोग ऐसे मामलों में अपनी मेहनत की कमाई को बिना सोचे-समझे ठगों को दे देते हैं, बस इसलिए कि वे अपने प्रियजनों को सुरक्षित देखना चाहते हैं।
बचाव के लिए ये करें
इस तरह के साइबर ठगों से बचने के लिए ये तरीके अपना सकते हैं।
कभी भी पैसे न दें: अगर कोई व्यक्ति आपको पैसे भेजने के लिए कहता है, तो तुरंत अपने परिवार के किसी विश्वसनीय सदस्य या पुलिस से संपर्क करें।
पुलिस से संपर्क करें: पुलिस या किसी बड़ी एजेंसी कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। यदि कोई ऐसा दावा करे, तो इसे फ्रॉड समझें।
अज्ञात कॉल्स को नजरअंदाज करें: अनजान नंबरों से आने वाले कॉल्स को अनदेखा करें। +92 जैसे अंतरराष्ट्रीय नंबरों से आने वाली कॉल्स से विशेष सावधानी बरतें।
अपने परिवार के सदस्यों से बातचीत करें: किसी भी संकट की स्थिति में सीधे अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क करें। घबराने की बजाय संयम बनाए रखें।
ऑनलाइन सुरक्षा का ध्यान रखें: कभी भी अपने बैंक विवरण, ओटीपी या अन्य संवेदनशील जानकारी किसी को न दें।
शिकायत दर्ज करें: अगर आपको ठगी का अनुभव होता है, तो तुरंत 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
साइबर ठगी एक गंभीर समस्या है, जो तेजी से बढ़ रही है। हमें जागरूक रहना होगा और अपनी जानकारी को सुरक्षित रखना होगा। ठगों के जाल में फंसने से बचने के लिए हमेशा सतर्क रहें और आपको भी ऐसी कॉल आएं, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें और घबराएं नहीं।
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