डिजिटल अरेस्ट का बढ़ता खतरा
पीएम मोदी ने कहा कि हर उम्र और वर्ग के लोग डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं, और कई लोगों ने डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए लाखों रुपए गंवा दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि आपको इस तरह का कोई कॉल आता है, तो आपको घबराना नहीं चाहिए। पीएम ने स्पष्ट किया कि कोई भी जांच एजेंसी कभी भी फोन या वीडियो कॉल पर इस तरह की पूछताछ नहीं करती।
डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए पीएम मोदी ने तीन महत्वपूर्ण चरण बताए
1- रुको: जब आपको ऐसा कोई कॉल आता है, तो पहले घबराना नहीं है। शांत रहिए और जल्दबाजी में कोई कदम मत उठाइए। किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें और संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें या रिकॉर्डिंग करें।
2- सोचो: पीएम ने कहा कि सोचिए, कोई भी एजेंसी फोन पर धमकी नहीं देती और न ही वीडियो कॉल पर पैसे की मांग करती है। अगर आपको डर लगे, तो समझ जाइए कि कुछ गड़बड़ है।
3- एक्शन लो: आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण चरण है एक्शन लेना। पीएम मोदी ने राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 डायल करने और साइबर क्राइम की वेबसाइट पर रिपोर्ट करने की सलाह दी। इसके साथ ही परिवार और स्थानीय पुलिस को सूचित करें।
पीएम मोदी ने बताया शिकायत कैसे करें?
पीएम मोदी ने बताया कि ऐसे फ्रॉड करने वाले हजारों वीडियो आईडी और लाखों सिम कार्ड, बैंक अकाउंट को ब्लॉक किया गया है। एजेंसियां अपना काम कर रही हैं, लेकिन डिजिटल अरेस्ट के नाम पर हो रहे स्कैम से बचने के लिए नागरिकों की जागरूकता जरूरी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर हैशटैग #SAFEDIGITALINDIA के साथ साझा करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस खतरे के बारे में जान सकें।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक नया ठगी का तरीका है जिसमें ठग आपको यह बताकर डराते हैं कि आपके परिवार का कोई सदस्य या दोस्त किसी गंभीर मामले में फंस गया है। ये ठग खुद को पुलिस या किसी जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर आपसे तुरंत पैसे मांगते हैं। उनका मकसद होता है कि आप घबराकर बिना सोचे-समझे पैसे दे दें।
सबसे पहले, ठग आपके बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं, जैसे कि आपके परिवार में कौन है या कौन पढ़ाई के लिए बाहर है। फिर, जब वे आपको कॉल करते हैं, तो कहते हैं कि आपके प्रियजन को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें तुरंत पैसे की जरूरत है।
ये ठग अक्सर वीडियो कॉल पर भी रहते हैं ताकि आप उन पर विश्वास करें और घबराएं। इस घबराहट में लोग सोचने की क्षमता खो देते हैं और बिना किसी जांच-पड़ताल के पैसे दे देते हैं।