भारतीय न्याय व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट ही देश का सबसे बड़ा संस्थान होता है। सुप्रीम कोर्ट में जो फैसला होता है, उसे आखिरी माना जाता है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के बाद सिर्फ राष्ट्रपति के पास ही अपील की जा सकती है। वहीं सुप्रीम कोर्ट में सबसे बड़े पद पर जो जज होते हैं, उन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कहा जाता है। इतना ही नहीं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नेतृत्व में ही देश के तमाम बड़े मामलों की सुनवाई होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के बाकी जजों के सैलरी में कितना अंतर होता है।
चीफ जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट में सबसे बड़े पद पर जो जज होते हैं, उन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कहा जाता है। सीजेआई को बंगला, सरकारी गाड़ी, समेत सुरक्षा दी जाती है। इतना ही नहीं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नेतृत्व में ही देश के तमाम बड़े मामलों की सुनवाई होती है। इसके अलावा वो ये तय करते हैं कि किन मामलों की सुनवाई कौन से जज करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के जज
बता दें कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की सैलरी सुप्रीम कोर्ट के जजों की सैलरी से थोड़ी ज्यादा होती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में तमाम जजों को एक जैसी सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं। जबकि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की सैलरी थोड़ी ज्यादा होती है। वहीं इनके पेंशन में भी अंतर होता है। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के आंकड़ों के मुताबिक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को हर महीने 2 लाख 80 हजार रुपये की सैलरी मिलती है, इसके अलावा एचआरए और बाकी तरह के अलाउंस भी मिलते हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के बाकी जजों की सैलरी दो लाख 50 हजार रुपये है, यानी उन्हें सीजेआई से कम सैलरी मिलती है। हालांकि बाकी तमाम अलाउंस भी उन्हें मिलते हैं, जिसके बाद ये सैलरी बढ़कर ज्यादा हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट के जजों को ग्रैच्युटी भी काफी अच्छी मिलती है। सीजेआई समेत तमाम जजों को रिटायरमेंट पर 20 लाख रुपये की ग्रैच्युटी मिलती है।
सीजेआई को रिटायरमेंट के बाद मिलती हैं ये सुविधा
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को रिटायरमेंट के बाद भी सरकारी आवास मिलता है। जिसमें सीजेआई अपने परिवार के साथ रह सकते हैं, सुरक्षा और सुरक्षा गार्ड्स इसके अलावा रिटायरमेंट के बाद सीजेआई को पेंशन और विशेष भत्ते भी दिए जाते हैं। रिटायरमेंट के बाद से ही उन्हें जीवनभर के लिए नौकर और ड्राइवर भी दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें कुछ अन्य भत्ते भी मिलते हैं, जैसे चिकित्सा भत्ते, जो उन्हें स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करते हैं। रिटायरमेंट के बाद भी CJI को उच्चतम न्यायालय द्वारा अन्य कानूनी मामलों में मदद और सलाह देने का अधिकार होता है।