जस्टिस संजीव खन्न (chief justice sanjiv khanna) ने आज भारत के नए मुख्य न्यायाधीश के रुप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संजीव खन्न को देश के 51वें चीफ जस्टिस (cji) के रुप में शपथ दिलाई। बता दें कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना (justice sanjiv khanna) अगले 6 महीने तक सुप्रीम कोर्ट में अपनी सेवाएं देंगे। उनका कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। इसके बाद वह रिटायर्ड हो जाएंगे।
सोमवार को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह के दौरान देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस संजीव खन्ना को पद और गोपनियता की शपथ दिलाई। बता दें कि 8 नवंबर को डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर्ड हुए थे। जस्टिस खन्ना ने उनकी ही जगह ली और देश के 51वें सीजेआई बने हैं।
किस की शपथ खाते हैं देश के चीफ जस्टिस
देश के मुख्य न्यायाधीश को अपना पदभार संभालने से पहले राष्ट्रपति पद और गोपनियता की शपथ दिलाती हैं। इस दौरान चीफ जस्टिस को संविधान को साक्षी मानकर शपथ लेनी होती है। बता दें कि संविधान के थर्ड शेड्यूल के भाग-4 के तहत सीजेआई को शपत दिलाई जाती है।
क्या होती है शपथ
सीजेआई जो शपत लेते हैं वह इस तरह होती है- ”मैं (नाम) भारत के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया हूं और ईश्वर की शपथ लेता हूं/लेती हूं कि मैं सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की संप्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा। मैं विधिवत और निष्ठापूर्वक और अपनी सर्वोत्तम योग्यता, ज्ञान और विवेक से बिना किसी भय या पक्षपात, स्नेह या द्वेष से अपने पद के कर्तव्यों का पालन करुंगा। मैं संविधान और कानूनों को अक्षुण्ण रखूंगा।
कितनी होती है CJI की सैलरी
देश के चीफ जस्टिस को 2 लाख 80 लाख रुपए हर महीने वेतन दिया जाता है। इसके अलावा उन्हें टाइप VIII बंगला मिलता है। यह सबसे उच्च श्रेणी के बंगले होते हैं। इसके अलावा उन्हें सरकारी गाड़ी और ड्राइवर भी दिया जाता है। बता दें कि चीफ जस्टिस बनने से पहले संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस थे। उन्हें पहले 2 लाख 50 हजार सैलरी मिल रही थी जो अब उनके चीफ जस्टिस बनने पर 30 हजार बढ़ गई है।
जानिए कौन हैं चीफ जस्टिस संजीव खन्ना?
18 जनवरी 2019 को जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। अपने कानूनी करियर में उन्होंने कई संवेदनशील मामलों की अध्यक्षता की। बता दें कि सीजेआई बनने से पहले जस्टिस खन्ना ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, और संजय सिंह की जमानत याचिकाओं से संबंधित दिल्ली शराब नीति मामलों पर सुनवाई की थी।
इस साल मई में जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी, जिसके बाद वह काफी चर्चा में आ गए थे। उनका यह फैसला एक अनोखा फैसला बताया गया था।
जस्टिस खन्ना की पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) और वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल्स (VVPATs) से संबंधित मुद्दों को भी सुनवाई की है। उन्होंने विपक्ष द्वारा 100 प्रतिशत वीवीपीएटी सत्यापन की अपील को खारिज कर दिया था। लेकिन अपने फैसले में उन्होंने चुनाव आयोग से अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू करने की सिफारिश की थी। उन्होंने अनुच्छेद 370 और इलेक्टोरल बॉन्ड्स मामले से जुड़े मामलों पर भी फैसला सुनाया है।
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