जब संजय दत्त ने पिता से कहा- ‘मेरी रगों में मुस्लिम खून है’, सन्न रह गए थे सुनील दत्त
बॉलीवुड के चमकदार सितारे संजय दत्त ने अपने करियर के साथ-साथ अपनी निजी जिंदगी और विवादों को लेकर भी खूब चर्चा बटोरी है। एक शानदार अभिनेता के तौर पर तो उनकी पहचान है ही, लेकिन उनकी लव लाइफ और शादीशुदा जिंदगी भी हमेशा सुर्खियों में रही है।
संजय ने तीन बार शादी की और उनके कई अफेयर भी रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने जेल की हवा भी खाई है। हिंदू पिता और मुस्लिम मां के बेटे संजय दत्त ने एक बार अपने पिता सुनील दत्त से कहा था कि उनकी रगों में मुस्लिम खून है। इस पर सुनील दत्त का जो रिएक्शन था, वो वाकई दिलचस्प और चौंकाने वाला था।
‘संजय दत्त: द क्रेजी अनटोल्ड लव स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड बॉय’
यह घटना किताब ‘संजय दत्त: द क्रेजी अनटोल्ड लव स्टोरी ऑफ बॉलीवुड्स बैड बॉय’ (The Crazy Untold Story of Bollywood’s Bad Boy Sanjay Dutt’ ) में भी दर्ज है, जिसे लेखक यासिर उस्मान ने लिखा है। इस किताब में संजय दत्त की जेल की यात्रा और उनके विवादित जीवन की कहानियां शामिल हैं। साल 1993 में मुंबई बम ब्लास्ट के मामले में संजय दत्त का नाम आने के बाद, उन्हें गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया था।
किताब के मुताबिक, 90 के दशक में मुंबई बम धमाकों के बाद शहर में गम का माहौल था। संजय दत्त, जिनका नाम इस घटना में शामिल होने के चलते चर्चाओं में था, पुलिस की पूछताछ के दौरान जेल की सलाखों के पीछे थे। संजय दत्त ने इस मामले में सरेंडर किया था, लेकिन उनके पिता सुनील दत्त इस बात को स्वीकार करने में कठिनाई महसूस कर रहे थे कि उनका बेटा इस बम ब्लास्ट में शामिल हो सकता है।
इस मामले की जांच कर रहे डिप्टी पुलिस कमिशनर राकेश मारिया ने संजय दत्त से साफ तौर पर पूछा कि सच क्या है। इस पर संजय ने स्वीकार किया कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम से मिली एक राइफल और कुछ गोला-बारूद को अपने पास छिपाया था। संजय दत्त ने बताया कि उन्होंने यह सामग्री बम धमाकों में इस्तेमाल के लिए नहीं, बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए रखी थी।
संजय दत्त की इस बात को सुनकर सुनील दत्त को गहरा सदमा पहुंचा। उन्होंने केवल एक ही सवाल पूछा, “क्यों?” संजय का जवाब था, “क्योंकि मेरी रगों में मुसलमान का खून है। मैं शहर में हुए घटनाओं को बर्दाश्त नहीं कर सकता।” संजय दत्त का यह बयान बाबरी मस्जिद विवाद के संदर्भ में था, जो 1992 में हुआ था और जिसके बाद मुंबई में बम धमाके हुए थे। सुनील दत्त यह सुनकर बिना कुछ कहे पुलिस हेडक्वार्टर से बाहर चले गए।
संजय ने इन सब बातों को बताया था मनगढ़ंत
यासीर उस्मान की किताब पर पहले ही विवाद उठ चुका है। संजय दत्त ने किताब में दर्ज तथ्यों को मनगढ़ंत बताते हुए आलोचना की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनकी आधिकारिक जीवनी नहीं है और उनकी खुद की आत्मकथा जल्द ही आने वाली है। संजय ने किताब पर कानूनी कार्रवाई की भी धमकी दी थी।
फिर इसको लेकर विवाद इतना बढ़ गया संजय दत्त ने यासिर उस्मान और पब्लिकेशन के खिलाफ कानूनी नोटिस भेज दिया। पब्लिशर्स ने जवाब में कहा कि किताब की सामग्री पब्लिक डोमेन से ली गई है और पुराने इंटरव्यूज और पत्र-पत्रिकाओं पर आधारित है। यासिर उस्मान ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी किताब पूरी तरह से प्रमाणित स्रोतों पर आधारित है, जिसमें संजय दत्त के इंटरव्यूज और उनकी बहनों द्वारा लिखी किताब “मिस्टर एंड मिसेज दत्त” शामिल हैं।
किताब में बम धमाकों से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्य शामिल हैं। जैसे कि दाऊद इब्राहिम और उनके साथियों ने बम धमाके को अंजाम देने के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल किया। ‘गिटार’ का मतलब AK-57 राइफल और ‘टेनिस बॉल’ का मतलब ग्रेनेड था। 1993 के बम धमाके में 257 लोग जान गंवा चुके थे और 713 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। संजय दत्त को दोषी ठहराया गया और अदालत ने उन्हें सजा सुनाई, लेकिन वे अब जेल से रिहा हो चुके हैं।
कुछ लोग उन्हें उनके परिवार की रक्षा करने वाला ही मानते थे
एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में किताब के लेखक यासिर उस्मान ने बात करते हुए कहा था कि संजय दत्त के जेल की सजा के बाद कुछ लोग उन्हें उनके परिवार की रक्षा करने वाला ही मानते थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मेरी बात बाई हुई। वो हंसते हुए बोले संजय दत्त, जो कि एक प्रसिद्ध अभिनेता और सत्ताधारी दल के सांसद सुनील दत्त के बेटे हैं, अगर उन्होंने पुलिस को फोन किया होता तो उन्हें सुरक्षा जरूर मिलती। अधिकारी ने यह भी बताया कि संजय दत्त ने एके-56 खरीदी थी, जबकि उनके पास पहले से ही तीन लाइसेंसी हथियार थे।
उस्मान ने यह भी खुलासा किया कि 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस और उसके बाद हुए दंगों के चलते राजनीति में काफी बदलाव आया। संजय दत्त के पिता सुनील दत्त, जो कांग्रेस पार्टी के सांसद थे, पर आरोप लगाया गया कि वे केवल मुसलमानों की मदद कर रहे थे। यह दुष्प्रचार था और 1993 में हुए धमाकों के बाद यह स्थिति और बिगड़ी।
बाला साहेब ठाकरे ने की मदद
इस किताब के मुताबकि इस मामले में किसी भी तरफ से कोई मदद नहीं मिलने पर सुनील दत्त बाला साहेब ठाकरे (शिवसेना के संस्थापक) से मिलने गए। सुनील दत्त ने ठाकरे से कहा कि वे एक पिता के तौर पर मदद मांगने आए हैं, न कि किसी राजनीतिक दल के सदस्य के रूप में।
ठाकरे ने तत्परता से उनकी मदद की और शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में संजय दत्त को एक महान देशभक्त बताया गया। जब संजय दत्त जमानत पर बाहर आए, तो उनके माथे पर बड़ा तिलक था और वे सीधे मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर गए। हालांकि, इससे पहले वे अपने धर्म को लेकर इतने स्पष्ट नहीं थे।
किताब के अनुसार महेश भट्ट ने संजय दत्त की मुस्लिम पहचान को लेकर कहा था कि वे एक लॉकेट में कुरान की आयत पहनते हैं, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि संजय अब बदल गए हैं और टीका लगाते हैं। संजय दत्त ने जेल के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा कि वे गीता पढ़ते थे और हिंदू धर्म की कई किताबें पढ़ीं। उन्होंने कहा कि वे बहुत बड़े शिवभक्त हैं।