Who is William Lai: जानिए कौन हैं ताइवान के नए राष्ट्रपति विलियम लाई, पिता की मौत के मां बनी थी सहारा
Who is William Lai: चीन और ताइवान के रिश्तों में खटास काफी समय से चलती आ रही है। अब चीन को एक बहुत बड़ा झटका लगा है। ताइवान में हुए चुनाव में चीन के कट्टर विरोधी माने जाने वाले विलियम लाई (Who is William Lai) की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने बाजी मार ली। इस चुनाव के दौरान चीन ने ताइवान के लोगों से विलियम लाई की पार्टी को वोट ना करने की अपील की थी। बता दें विलियम लाई इस समय ताइवान के उप राष्ट्रपति पद पर मौजूद हैं। ताइवान के होने वाले नए राष्ट्रपति विलियम लाई चीन को हमेशा से खटकते रहे हैं। चलिए जानते हैं विलियम लाई से जुड़ी ये ख़ास बातें…
50 लाख वोट हुए हासिल:
बता दें इस समय ताइवान में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की लहर देखने को मिली हैं। ताइवान मीडिया के मुताबिक ताइवान के इतिहास में यह सबसे बड़ी जीत हुई हैं। ताइवान में हुए चुनाव में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी को करीब 50 लाख वोट हासिल हुए हैं। इसके साथ ही उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी पार्टी कोमिंतांग ने हार मान ली। अब विलियम लाई जल्द ही ताइवान की सत्ता संभाल लेंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान की जनता ने आर्थिक हालातों को देखते हुए डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के लिए एकतरफा वोटिंग की।
पिता की मौत के मां बनी थी सहारा:
ताइवान के होने वाले नए राष्ट्रपति विलियम लाई की कहानी भी काफी दर्दभरी हैं। एक ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े विलियम लाई को ये मुकाम बेहद मुश्किलों से गुज़र कर हासिल हुआ। विलियम लाई जब सिर्फ दो साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया था। विलियम लाई के कुल छह भाई-बहन थे। अब इतने बड़े परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनकी मां ने उठाई। विलियम लाई ने मेडिकल की पढ़ाई की और डॉक्टर बनकर घर समाज सेवा में लग गए।
राजनीति के लिए डॉक्टरी छोड़ दी:
बता दें ताइवान और चीन के रिश्ते हमेशा से खटास में रहे हैं। ऐसे में विलियम लाई ने 80 के दशक में ताइवान ने मार्शल लॉ ख़त्म होने के साथ ही राजनीति में कदम रखा। उन्होंने साल 1998 में पहली बार चुनाव लड़ा और उसमें उन्हें बड़े अंतर से जीत मिली। उसके बाद उन्होंने कभी इस क्षेत्र में पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिर 2010 में वो ताइनान शहर के मेयर बने। फिलहाल लाई ताइवान के उप राष्ट्रपति पद पर बने हुए हैं। चीनी सरकार और लाई की ये खटास पुरानी है। चीन ने उनके लिए ‘परेशानी पैदा करने वाला’ बयान दिया था।
चीन के बजाय अमेरिका के पक्षधर:
बता दें विलियम लाई की जीत से चीन को तगड़ा झटका लगा हैं। वो चीन के खिलाफ कई बार बयानबाज़ी भी कर चुके हैं। विलियम लाई की जीत के बाद ताइवान के रिश्ते अमेरिका से मधुर हो सकते हैं। क्योंकि विलियम लाई खुद अमेरिका के पक्षधर हैं। उनकी पार्टी को चीन अलगाववादी मानता हैं। ऐसे में अब आने वाले समय में चीन-ताइवान में दरार और बढ़ सकती हैं। जबकि उनकी विरोधी कोमिंतांग पार्टी ने चुनाव में चीन से बेहतर रिश्ते कायम करने का वादा किया था।
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