राज्यसभा और लोकसभा

लोकसभा और राज्यसभा सांसद में किसकी सैलरी होती है ज्यादा, जानिए दोनों में क्या है अंतर

भारत में लोकसभा और राज्यसभा दो सदन होते हैं। वहीं लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में सांसदों का चुनाव अलग-अलग तरीके से होता है। हालांकि कई बार दावा किया जाता है कि लोकसभा सांसदों को राज्यसभा सांसदों की तुलना में सैलरी और अन्य सुविधाएं ज्यादा मिलती है। आज हम आपको बताएंगे कि दो सदनों के सांसदों को क्या-क्या सुविधाएं दी जाती है।

लोकसभा और राज्यसभा में अंतर

बता दें कि लोकसभा को हाउस ऑफ पीपल (लोअर हाउस) भी कहा जाता है। वहीं लोक सभा जनता के प्रतिनिधियों से बनी होती है। लोकसभा का उम्मीदवार देश की जनता द्वारा चुना जाता है। लोकसभा में राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 530 सदस्य और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 20 सदस्य शामिल हो सकते हैं। वहीं लोकसभा सदस्य बनने के लिए 25 वर्ष से अधिक आयु होना चाहिए। इसके साथ ही व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना जरूरी है।

लोकसभा का कार्यकाल 5 साल तक

लोकसभा सदस्यों का कार्यकाल पांच साल के लिए होता हैं। लेकिन प्रधानमंत्री की सलाह पर उसे राष्ट्रपति पहले भी भंग कर सकते हैं। वहीं लोकसभा को असामान्य स्थिति या अन्य बड़े कारणों के चलते भंग भी किया जा सकता है। लोकसभा का काम कानून बनाना, कानून में संशोधन करना , मंत्रिपरिषद के कामों पर अपना नियंत्रण रखना और जनता पर कर लगाने और खर्च करने का निर्णय लेना होता है।

राज्यसभा में कितनी सीट?

राज्यसभा को काउंसिल ऑफ स्टेट्स (अपर हाउस) भी कहा जाता है। वहीं राज्यसभा के उम्मीदवार MLA (Member Of Lagislative Assembly) द्वारा चुने जाते हैं और इसका चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। राज्यसभा में कुल 250 सीट हैं, जिसमें 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं। वहीं राज्यसभा के चुनाव में सभी विधानसभाओं के विधायक हिस्सा लेते हैं। हालांकि इसमें विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं कर सकते हैं। राज्यसभा एक स्थाई सदन है और इसे भंग नहीं किया जा सकता है। वहीं राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है, इसमें हर दो साल पर एक तिहाई सदस्य रिटायर हो जाते हैं, जिस वजह से हर दो साल पर चुनाव होता है।

 

लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों की सैलरी में अंतर

बता दें कि भारत में संसद के दोनों सदनों के सांसदों की सैलरी और भत्ते लगभग एक जैसे होते हैं, क्योंकि ये सभी सांसद भारतीय संसद के सदस्य होते हैं। इनकी सैलरी और भत्ते पार्लियामेंटरी एक्ट के तहत निर्धारित होते हैं। हालांकि राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों के बीच कुछ अंतर हो सकता है, जो कार्यशैली, सदस्यता और प्रतिनिधित्व के आधार पर होता है, लेकिन इनकी सैलरी में कोई बड़ा अंतर नहीं है। जानकारी के मुताबिक संसद के नियमों और कानूनों के तहत लोकसभा सांसद की सैलरी तय की जाती है।

सांसदों को मिलता है अलग से भत्ता

2020-21 के वित्तीय वर्ष में लोकसभा सांसदों की बेसिक सैलरी 1,00,000 रुपये प्रति माह निर्धारित की गई थी। इसके अलावा, सांसदों को डेली अलाउंस, भत्ते, यात्रा भत्ता और टीए (Travel Allowance) भी मिलते हैं। वहीं साथ ही संसद सत्र के दौरान डेली अलाउंस भी मिलता है और अन्य भत्ते जैसे कि संसद भवन में बैठने की सुविधा, सरकारी आवास आदि भी सांसदों को मिलते हैं। वहीं राज्यसभा सांसदों की सैलरी और भत्ते भी लोकसभा सांसदों के समान होते हैं। राज्यसभा के सदस्य भी वही नियम और भत्ते पाते हैं, जो लोकसभा के सांसदों को मिलते हैं। राज्यसभा के सांसद की बेसिक सैलरी 1,00,000 रुपये प्रति माह होती है।