pm modi maharashtra rally

मोदी की रैली से अजित पवार ने क्यों बनाई दूरी? नाराजगी है या कोई रणनीति?

महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन के भीतर क्या सब कुछ ठीक नहीं चल रहा? क्या महायुक्ति में दरार आ गई है या आने के संकेत हैं? ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि हाल के दिनों में घटी कुछ घटनाएं इन सवालों को जन्म दें रही हैं। दरअसल, गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी (pm modi rally) की मुंबई के छत्रपति शिवाजी पार्क में एक चुनावी रैली हुई।

इस रैली से राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (ajit pawar) और उनकी पार्टी एनसीपी ( NCP) से कई वरिष्ठ नेता नदारत रहें। जिसके बाद राजीतिक गलियारों में महायुक्ति में सब कुछ ठीक ना होने की बहस चल पड़ी। बता दें कि अजीत पवार की पार्टी, एनसीपी, शिंदे गुट की शिवसेना और बीजेपी के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन का एक अहम हिस्सा है।

PM मोदी की रैली में नहीं दिखे अजित पवार?

गुरुवार को मुंबई में हुई पीएम मोदी की रैली में एनसीपी के उम्मीदवार सना मलिक, नवाब मलिक, और जीशान सिद्दीकी भी गायब रहे। इस रैली में शिंदे शिवसेना और रामदास अठावले के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के नेता प्रमुख रूप से शामिल थे। लेकिन अजित पवार और उनकी पार्टी से जुड़े नेताओं की अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।

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अजित पवार की नाराजगी है या कोई रणनीति?

ऐसी कटकले लगाई जा रही है कि महायुक्ति गठबंधन के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा या फिर अजित पवार किसी रणनीति के तहत ये कर रहे। पीएम मोदी की रैली में अजित पवार का ना जाना और ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ बयान का विरोध, इसे देखर ऐसा लग रहा है कि वो अपने वोट बैंक पर फोकस कर रहे हैं।

बता दें क एनसीपी के वोटर मुस्लिम और क्रिश्चियन ही रहे हैं। बीजेपी के साथ होने पर अजित पवार को उनका वोट नहीं मिलने वाला। वहीं, अजित पवार को साथ लेने से बीजेपी का वोटर भी नाराज है। ऐसे में हो सकता है कि महायुक्ति के घटक दलों ने फैसला किया हो कि वह अपना अपना एजेंडा आगे बढ़ाएं। बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ के जरिये हिंदुत्व का एजेंडा आगे रखा है। वहीं अजित पवार ने विरोध करके अपना एजेंडा सामने रख दिया है।

एकता दिखाने के लिए आयोजित की गई थी रैली

पीएम मोदी की रैली में एनसीपी नेताओं की अनुपस्थिति इसलिए भी सबका ध्यान खिंच रही है, क्योंकि जब यह रैली महायुति गठबंधन की एकता को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित की गई थी। लेकिन एकता रैली में ही महायुक्ति के घटक दल एनसीपी के नेता नदारत थे।

रिपोर्ट्स के अनुसार, एनसीपी नेता बीजेपी के “बटेंगे तो कटेंगे” (हम बंटेंगे तो गिरेंगे) अभियान नरेटीव से नाराज हैं। जिसे वे गठबंधन की एकता को कमजोर करने के रूप में देख रहे हैं।

महायुति के नेताओं ने मतभेद को नकारा

हालांकि, महायुति नेताओं ने किसी भी तरह के मतभेद की बात को नकारा है। शिवसेना के सांसद मिलिंद देवरा ने बीते गुरुवार को यह स्पष्ट करते हुए कहा कि गठबंधन पूरी ताकत से चुनाव लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि महायुति की स्थिति मजबूत है, जबकि विपक्षी महा विकास आघाडी (MVA) में एकता की स्थिति उतनी मजबूत नहीं दिखती।

देवरा ने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा, “महायुति एकजुट है और पूरी ताकत से चुनावी मैदान में है। MVA के बारे में ऐसा कहना ठीक नहीं।

milind deora

 अजित पवार ने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे की आलोचना की थी

बता दें कि अजीत पवार ने पहले ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे की आलोचना की थी, जो हिंदू एकता का आह्वान करता है। उन्होंने कहा कि यह महाराष्ट्र में काम नहीं करेगा। उन्होंने कहा था कि इसकी जगह राज्य में हुए विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जनता उसी पर वोट देगी।

इस बीच, वरिष्ठ भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने टिप्पणी की कि उनकी पार्टी का ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारा महा विकास आघाडी (MVA) के अभियान के खिलाफ एक काउंटर-नैरेटिव है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके सहयोगी अशोक चव्हाण, पंकजा मुंडे और अजीत पवार इसके “मुख्य” अर्थ को समझने में विफल रहे हैं।

शिवसेना ( एकनाथ शिंदे गुट), बीजेपी और एनसीपी का सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन 20 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महा विकास आघाडी (एनसीपी (SP), शिवसेना (UBT) और कांग्रेस) के साथ कड़ा मुकाबला कर रहा है।