आतिशी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया गया है।

Delhi CM Atishi: आतिशी मार्लेना की ‘एक्सीडेंटल चीफ मिनिस्टर’ बनने की पूरी कहानी

Delhi CM Atishi: आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक दल की बैठक में आतिशी मार्लेना को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुना गया है। केजरीवाल ने शराब घोटाले के आरोपों के चलते अपनी गद्दी को छोड़ने का निर्णय लिया, और इसी के चलते राजनीतिक समीकरण बदल गए। अब आतिशी के हाथ में दिल्ली की बागडोर है लेकिन केजरीवाल के इस फैसले ने लोगों के मन में बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आतिशी को ही मुख्यमंत्री क्यों बनाया गया। क्या सुनीता केजरीवाल को भी इस पद पर नहीं रखा जा सकता था?

आतिशी ही क्यों?

दरअसल,आम आदमी पार्टी के विधायकों की बैठक से पहले कई लोग ये कयास लगा रहे थे कि केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बना सकते हैं। लेकिन बैठक में शायद सुनीता के नाम पर सहमति नहीं बनी। एक वजह ये भी हो सकती है कि अगर सुनीता सीएम बनतीं, तो आम आदमी पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लग सकता था।

अब कई लोगों के मन में सवाल ये है कि क्या, आतिशी को सीएम बनाना केजरीवाल की मजबूरी थी या उन्होंने उन पर सबसे ज्यादा भरोसा किया है। लेकिन आतिशी को सीएम पद मिलने की वजहें कई हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद वे काफी चर्चा में रही हैं। जून में उन्होंने हरियाणा सरकार के खिलाफ अन्न आंदोलन किया था, क्योंकि दिल्ली को रोजाना 11 मिलियन गैलन पानी नहीं मिल रहा था, जिससे लोगों को पानी की भारी दिक्कतें हो रही थीं।

दरअसल, आतिशी 2013 से आम आदमी पार्टी में हैं, इसलिए केजरीवाल ने उन पर सबसे ज्यादा विश्वास जताया। राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता; ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं, जब लोग मौके का फायदा उठाकर विश्वासघात कर देते हैं। इसीलिए केजरीवाल ने किसी और पर भरोसा करना ठीक नहीं समझा, क्योंकि आतिशी उनकी करीबी सहयोगी हैं।

आतिशी की सबसे बड़ी खासियत उनकी वफादारी है। जब केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाला मामले में जेल में थे, तब उन्होंने तिरंगा फहराने के लिए आतिशी का नाम आगे किया था, हालांकि उपराज्यपाल ने इसकी इजाजत नहीं दी।

जब से केजरीवाल और मनीष सिसौदिया जेल गए, आतिशी ने दिल्ली सरकार की ज़िम्मेदारियों को संभालना शुरू कर दिया था। वे न केवल पार्टी के आंतरिक मामलों को देख रही थीं, बल्कि भाजपा के खिलाफ भी मोर्चा संभाले हुए थीं। उनकी तेजतर्रार शैली और केजरीवाल पर उनका विश्वास उन्हें एक मजबूत नेता बनाता है। ऐसे में उनका सीएम बनना एक तरह से आश्चर्य भी नहीं है।

इसके साथ ही आतिशी को सीएम बनाकर आम आदमी पार्टी महिलाओं के प्रति अपनी इमेज को सुधारने की कोशिश कर रही है, खासकर स्वाति मालीवाल मामले के बाद। वे AAP के सबसे पढ़े-लिखे सदस्यों में से एक हैं और उनका पोर्टफोलियो भी काफी मजबूत है। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद, आतिशी ने दिल्ली कैबिनेट में मंत्री के तौर पर शपथ ली और शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली, जिससे उनका दर्जा और भी बढ़ गया।

दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री

सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद आतिशी अब दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं। खास बात ये है कि वर्तमान में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद आतिशी देश की दूसरी महिला मुख्यमंत्री हैं। इसके साथ ही आतिशी अब दिल्ली की पहली ऐसी महिला मुख्यमंत्री होंगी, जो कई मंत्रालयों का भी प्रभार संभालेंगी। यह उनके लिए एक चुनौती है, लेकिन उनके नेतृत्व कौशल और राजनीतिक अनुभव के कारण यह उनके लिए अनुकूल साबित हो सकता है। हालांकि, केजरीवाल अभी भी सुपर सीएम बने रहेंगे और उनकी रणनीतियों का पालन करना होगा।

आतिशी की नियुक्ति से राजनीतिक परिदृश्य में कई बदलाव आ सकते हैं। उनके नेतृत्व में आम आदमी पार्टी नई दिशा में बढ़ने की उम्मीद कर रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय पार्टी के लिए एक मजबूत संदेश है कि वे अपनी कड़ी मेहनत और निष्ठा के बल पर किसी भी संकट का सामना कर सकते हैं।

दिल्ली की नई सीएम आतिशी कौन हैं?

 

आतिशी का जन्म दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विजय कुमार सिंह और त्रिप्ता वाही के घर हुआ। उनकी स्कूली शिक्षा दिल्ली के स्प्रिंगडेल स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज में इतिहास की पढ़ाई की, जहां उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में पहले स्थान हासिल किया। इसके बाद, वे Chevening scholarship पर मास्टर डिग्री लेने के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गईं। कुछ साल बाद, उन्होंने एजुकेशन रिसर्च में रोड्स स्कॉलर के तौर पर ऑक्सफोर्ड से अपनी दूसरी मास्टर डिग्री भी पूरी की।

फिलहाल वे कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से विधायक और आम आदमी पार्टी की नेता हैं, साथ ही पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) की सदस्य भी हैं। वर्तमान में, वे केजरीवाल सरकार में शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। इससे पहले, वे पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के तौर पर भी काम कर चुकी हैं।

2019 के लोकसभा चुनावों में, आतिशी आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों में शामिल थीं और उन्हें संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी। उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सीएम की रेस में था इन लोगों का भी नाम?

 

दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनने के लिए कई आम आदमी पार्टी के नेताओं के नाम पर चर्चा हुई थी, लेकिन अंत में मुहर आतिशी के नाम पर लगी।

गोपाल राय: आम आदमी पार्टी के अनुभवी और सम्मानित नेताओं में से एक हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद, अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान भी उन्होंने सक्रियता दिखाई।

राघव चड्ढा: वे कभी केजरीवाल के करीबी सहयोगी माने जाते थे, और उनके मुख्यमंत्री बनने की बातें भी चलती थीं। हालांकि, केजरीवाल की जेल में रहने के दौरान राघव चड्ढा का गायब थे। ऐसे में इनका नाम तो कटना तय था।

संजय सिंह: जेल से बाहर आने के बाद वे सुर्खियों में थे, लेकिन स्वाति मालीवाल केस में उनके बयानों ने केजरीवाल के विश्वास को कमजोर किया। इसलिए, उन्हें भी संभावित नेताओं की सूची से बाहर होना पड़ गया।

कैलाश गहलोत: दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री होने के बावजूद, जांच एजेंसियों के ध्यान में आने के बाद उनकी मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदें खत्म हो गईं।

मनीष सिसोदिया: केजरीवाल ने साफ कर दिया था कि सिसोदिया मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। उनके कई विवादों और जेल जाने के बाद, उनकी संभावनाएं खत्म हो गईं।

सुनीता केजरीवाल: मनीष सिसोदिया के साथ रहते हुए सुनीता केजरीवाल का नाम भी संभावित सीएम की सूची से हटा दिया गया। केजरीवाल अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाते, तो ये उनकी बड़ी राजनीतिक भूल होती।

सोमनाथ भारती: अंत में एक मान आता है सोमनाथ  का। ये भी सीनियर नेता हैं, लेकिन विवादों में रहने के कारण उनकी उम्मीदें भी नहीं टिक पाईं।