मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम ने मनमोहन सिंह के बारे में क्यों कही ऐसी बात, जानें पूरा मामला

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से दुनिया भर में शोक की लहर है। भारत के आर्थिक उदारीकरण के लिए जाने जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह को उनके सरल जीवन और कार्य के लिए देश से लेकर विदेश में याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। वैश्विक नेताओं, राजनेताओं और विशेषज्ञों ने मनमोहन सिंह के निधन पर उनके दृष्टिकोण, धैर्य और भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान को याद कर अपनी संवेदना प्रकट कर रहे हैं। इन बीच मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम ने मनमोहन सिंह से जुड़ी एक व्यक्तिगत कहानी साझा की, जो मनमोहन सिंह के मानवीयता को दर्शाती है।

अनवर ने मनमोहन सिंह को बताया मानवता से भरा व्यक्ति

अनवर इब्राहीम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए पोस्ट शेयर किया। अपनी पोस्ट में इंब्राहीम उन्हें एक महान अर्थशास्त्री और सुधारक के रूप में याद किया, लेकिन इसके बाद उन्होंने एक व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किया।

अंवर ने X पर लिखा, “मेरे सम्मानित और प्रिय मित्र डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर से मुझे गहरा दुख हुआ है। इस महान व्यक्ति के बारे में निश्चित रूप से कई निबंध और किताबें होंगी, जो उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों के आर्किटेक्ट के रूप में सम्मानित करेंगी। प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ने के एक प्रमुख वास्तुकार थे।

‘बड़ा मामला सुलझाने में मिलकर किया काम’

अनवर इब्राहीम आगे लिखा, ”जब हम दोनों 1990 के दशक में वित्त मंत्री के रूप में कार्यरत थे। हम दोनों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के प्रति गहरी प्रतिबद्धता साझा की। यहां तक कि एक बड़े मामले को सुलझाने में भी मिलकर काम किया।”

उन्होंने लिखा, ‘ डॉ. मनमोहन सिंह, जिनका राजनीतिक रूप से थोड़ी असहज होना सही था, लेकिन एक राजनेता के रूप में वे निःसंदेह ईमानदार, दृढ़ और अडिग थे। वह एक ऐसी धरोहर छोड़ गए हैं जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।”

मनमोहन सिंह ने बच्चों के लिए था ये प्रस्ताव

अनवर ने मनमोहन सिंह को मानवता से भरे दिल वाला व्यक्ति बताते हुए कहा,” वह इससे भी कहीं अधिक थे। बहुत कम लोग यह जानते हैं और अब मुझे यह मलेशियाई लोगों से साझा करना चाहिए कि जब मैं जेल में था, तो उन्होंने एक ऐसी दयालुता दिखाई, जिसकी उन्हें आवश्यकता नहीं थी। यह दयालुता जो न तो राजनीतिक रूप से लाभकारी थी, न ही उस समय मलेशियाई सरकार द्वारा सराही गई थी, फिर भी उन्होंने इसे किया। उन्होंने मेरे बच्चों के लिए विशेष रूप से मेरे बेटे इहसान के लिए छात्रवृत्तियां प्रदान करने का प्रस्ताव दिया था।”

हालांकि, मैंने उस कृपालु प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। लेकिन मनमोहन सिंह का यह व्यवहार निश्चित रूप से उनकी असाधारण मानवता और उदारता को दर्शाता है, जैसा कि शेक्सपियर ने कहा था, “मानवता की दूध से भरे दिल वाला व्यक्ति।”

अंवर ने आंत में लिखा, ”उन अंधेरे दिनों में, जब मैं बंदीगृह की भूलभुलैया से गुजर रहा था, तब मनमोहन सिंह मेरे सच्चे मित्र की तरह मेरे साथ खड़े थे। इस प्रकार की चुप्पी में दी गई उदारता ने उन्हें परिभाषित किया और ये पल हमेशा मेरे दिल में याद बनकर रहेंगे। अलविदा, मेरे मित्र, मेरे भाई, मनमोहन।”

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