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Maneka Gandhi Birthday: आखिर किस बात पर हुआ था ‘सास-बहू’ का झगड़ा, मेनका गांधी ने रातों-रात छोड़ दिया घर!

Why did Maneka Gandhi leave Indira Gandhi's residence in the middle of the night?
Maneka Gandhi Birthday: आज, सोमवार 26 अगस्त को, पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी अपना 68वां जन्मदिन मना रही हैं। इस खास मौके पर उन्हें चारों ओर से ढेरों शुभकामनाएं मिल रही हैं। दिल्ली के एक सिख परिवार में जन्मीं मेनका गांधी की शिक्षा लॉरेंस स्कूल और लेडी श्रीराम कॉलेज में हुई।

मॉडलिंग के क्षेत्र में कदम रखने के बाद मेनका की मुलाकात संजय गांधी से हुई, जिन्होंने जुलाई 1974 में उनसे सगाई की और सितंबर में शादी कर ली। संजय गांधी की आकस्मिक मौत जून 1980 में हुई, जिससे इंदिरा गांधी को गहरा सदमा पहुंचा। संजय की जगह उनके बड़े बेटे राजीव गांधी को राजनीति में लाया गया, जबकि कांग्रेस के कई नेता मेनका को संजय की विरासत का असली हकदार मानते थे।

Maneka Gandhi and Indira gandhi

बात ना मानने पर नाराज हो गई थी इंदिरा गांधी 

जेवियर मोरो के किताब के मुताबिक मार्च 1982 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता अकबर अहमद डंपी ने लखनऊ में एक सभा का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य संजय गांधी की विरासत को उजागर करना था। मेनका गांधी को इस सभा में आने का न्योता भेजा गया, जबकि इंदिरा गांधी ने उन्हें इस सभा में शामिल न होने की सख्त हिदायत दी थी। इंदिरा गांधी उस समय लंदन में थीं और उन्हें सभा के बारे में जानकारी मिली। जब उन्होंने देखा कि मेनका गांधी ने उनकी सलाह मानने से इनकार कर दिया और सभा में शामिल हो गईं, तो वे बेहद नाराज हो गईं।

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सास-बहू के बीच हो गया  झगड़ा

28 मार्च 1982 की सुबह, जब मेनका गांधी अपने सास के घर पहुंचीं, तो उन्होंने इंदिरा गांधी से सामना किया। इंदिरा गांधी ने तल्ख लहजे में कहा कि मेनका तुरंत घर छोड़ दें। इस घटना के बाद, मेनका ने अपनी बहन अंबिका को फोन किया, जिससे झगड़े की जानकारी मीडिया तक पहुंच गई। इंदिरा गांधी ने मेनका को घर से निकालने के लिए तुरंत आदेश दिया, जबकि अंबिका ने विरोध किया कि यह घर भी मेनका का है। इंदिरा ने गुस्से में कहा कि यह घर भारत के प्रधानमंत्री का है।

Maneka Gandhi

देर रात सूटकेस लेकर घर से निकल गईं मेनका

मेनका गांधी ने रात करीब 11 बजे अपने सामान को पैक किया और एक सूटकेस लेकर घर से निकल गईं। इस दौरान इंदिरा गांधी ने अपने मुख्य सचिव पीसी एलेक्जेंडर को बुलाया, लेकिन कानूनी सलाह के बाद यह तय हुआ कि उनके पोते वरुण गांधी को उनके पास नहीं रखा जा सकता। इस तरह, मेनका गांधी ने अपनी मां के घर की ओर रवाना हो गईं, और यह घटना भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।

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