चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से क्यों कहा कि साफ-साफ लिखें, ‘यह कंटेंट AI है’?

आजकल चुनावों में सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। इसके जरिए चुनावी प्रचार करना आसान हो गया है, लेकिन इसी रास्ते से भ्रामक और गलत जानकारी फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। अब इस पूरी स्थिति को लेकर चुनाव आयोग ने एक खास आदेश दिया है, जो सीधे तौर पर राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को प्रभावित करता है। चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर चुनाव प्रचार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो वो साफ-साफ बताएं कि ये कंटेंट AI से जनरेट किया गया है। यानी, अगर कोई वीडियो, ऑडियो या तस्वीर AI ने बनाई है, तो उसे इस बात का लेबल जरूर दिखाना चाहिए।

 चुनाव प्रचार में बढ़ता जा रहा है AI का इस्तेमाल?

कुछ साल पहले तक चुनाव प्रचार सिर्फ रैलियों, पोस्टरों और होर्डिंग्स तक ही सीमित था, लेकिन अब डिजिटल मीडिया के जरिए प्रचार करना आम बात हो गई है। चुनावी प्रचार के लिए सोशल मीडिया, विज्ञापनों और वेबसाइट्स का जमकर इस्तेमाल होता है। यहां तक कि अब AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी चुनावी प्रचार में बढ़-चढ़कर इस्तेमाल हो रहा है। AI ऐसे कंटेंट तैयार कर सकता है, जो बेहद आकर्षक और प्रभावी होते हैं। जैसे चुनावी वीडियो, ग्राफिक्स, ऑडियो, टेक्स्ट आदि। लेकिन जब AI से बनाई गई सामग्री चुनावी प्रचार में इस्तेमाल होती है, तो कई बार यह जरूरी नहीं होता कि लोग जान पाते हैं कि ये कंटेंट असल में AI ने तैयार किया है, न कि किसी इंसान ने। यही कारण है कि चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि अगर उनके प्रचार में AI का इस्तेमाल हो रहा है, तो इसे बिल्कुल स्पष्ट तरीके से बताया जाए।

चुनाव आयोग क्यों चाहता है कि AI कंटेंट पर लेबल लगे?

चुनाव आयोग का कहना है कि AI द्वारा तैयार किए गए कंटेंट को लेकर पारदर्शिता बनाए रखना बहुत जरूरी है। अगर किसी वीडियो, पोस्ट, या अन्य सामग्री में यह बताया जाएगा कि यह AI द्वारा तैयार किया गया है, तो लोगों को यह समझने में मदद मिलेगी कि इस कंटेंट को किसी इंसान ने नहीं, बल्कि एक कंप्यूटर प्रोग्राम ने बनाया है। इसके जरिए, वोटरों को भ्रमित करने का खतरा कम होगा। चुनाव आयोग के अनुसार, अगर AI द्वारा बनाई गई जानकारी भ्रामक होती है, तो इससे चुनावी माहौल बिगड़ सकता है। AI का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में केवल एक तकनीकी सुविधा के रूप में किया जा रहा है, लेकिन जब इसका दुरुपयोग होता है, तो यह लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी AI जनरेटेड वीडियो में झूठी या अपमानजनक बातें की जाएं, तो इससे लोगों के मन में गलत धारणाएं बन सकती हैं।

AI कंटेंट के बारे में पारदर्शिता क्यों जरूरी है?

AI का इस्तेमाल जितना फायदेमंद हो सकता है, उतना ही इसका दुरुपयोग भी हो सकता है। खासकर चुनावी प्रचार में। जब AI से जनरेट की गई सामग्री को पारदर्शी तरीके से बताया जाएगा, तो वोटर्स को यह समझने में आसानी होगी कि वे किसे देख रहे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि चुनावी प्रचार में गलत या भ्रामक जानकारी फैलाने से जनता का विश्वास डगमगा सकता है। माना कि AI से बनाई गई सामग्री बेहद आकर्षक हो सकती है, लेकिन यदि यही कंटेंट वोटर्स को गुमराह करता है या उन्हें गलत फैसले लेने के लिए प्रेरित करता है, तो यह चुनाव की निष्पक्षता को खतरे में डाल सकता है। चुनाव आयोग का मकसद यह है कि हर वोटर तक सही और सटीक जानकारी पहुंचे, ताकि वे सही निर्णय ले सकें।

कंटेंट का AI से जनरेट होना क्यों खतरनाक हो सकता है?

अगर AI से जनरेट की गई सामग्री को बिना किसी लेबल के जारी किया जाता है, तो वोटर्स यह नहीं समझ पाते कि यह इंसान ने नहीं, बल्कि एक मशीन ने बनाई है। इसका मतलब है कि लोग यह मान सकते हैं कि जो जानकारी उन्हें मिल रही है, वह पूरी तरह से सच है, जबकि ऐसा नहीं हो सकता। सोचिए, एक वीडियो वायरल होता है जिसमें किसी नेता की छवि को बदलकर दिखाया जाता है या फिर कुछ ऐसी बातें कह दी जाती हैं, जो असल में उस नेता ने कभी नहीं कही। अगर उस वीडियो के बारे में ये बताया नहीं गया कि यह AI द्वारा तैयार किया गया है, तो लोग उसे असल जानकारी समझकर फैला सकते हैं। इससे न केवल उस नेता की छवि को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि चुनावी प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है।

AI का दुरुपयोग रोकने की कोशिश ?

चुनाव आयोग का मुख्य उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखना है। AI का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में ठीक उसी तरह से हो सकता है जैसे अन्य माध्यमों का इस्तेमाल होता है। लेकिन अगर इस तकनीकी उपकरण का गलत तरीके से इस्तेमाल होता है, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा सकता है। यही कारण है कि चुनाव आयोग ने इसे लेकर सख्त निर्देश दिए हैं।

अगर राजनीतिक दलों ने न मानी आयोग की सलाह तो?

अब यह सवाल उठता है कि अगर राजनीतिक दलों ने आयोग के निर्देशों की अनदेखी की तो क्या होगा? चुनाव आयोग ने चेतावनी दी है कि अगर कोई दल AI से जनरेट कंटेंट को पारदर्शी तरीके से पेश नहीं करता, तो इसे चुनावी नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और उस पर कार्रवाई की जा सकती है।

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