चंद्रबाबू नायडू अधिक बच्चे पैदा करने के लिए क्यों कह रहे हैं?
हम सब में से ज्यादा तर लोगों ने दूरदर्शन पर ‘हम दो, हमारे दो’ जैसे कई परिवार-नियोजन गीतों और स्लोगन को खूब सुना होगा। लेकिन ऐसा लगता है ‘हम दो, हमारे दो’ जैसा यह गीत अब बदल सकता है। यह चर्चा तब शुरू हुई जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को कहा कि राज्य में केवल उन लोगों को स्थानीय चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाएगी जिनके दो से अधिक बच्चे हैं।
नया कानून लाने वाली है राज्य सरकार
इस दिशा में कदम भी उठाया जा चुका है। नायडू सरकार आंध्र प्रदेश में एक नया कानून लाने वाली है। जिसके तहत दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले लोगों को स्थानीय चुनाव लड़ने की अनुमति मिलेगी। वहीं चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली कैबिनेट ने अगस्त में आंध्र प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर उन लोगों पर लगी पाबंदी को भी हटा दिया, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं।
कुल प्रजनन दर लगभग 2 पर आ गई है
आंध्र प्रदेश और अन्य भारतीय राज्यों ने दशकों तक लोगों को दो से अधिक बच्चे न रखने के लिए हतोत्साहित किया। 2000 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एक केंद्रीय राष्ट्रीय जनसंख्या नीति (National Population Policy) पेश की गई थी, जिसका उद्देश्य 2010 तक कुल प्रजनन दर (TFR) को प्रतिस्थापन स्तर पर लाना था।
भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है, जिसने चीन को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, दशकों तक दो-बच्चे के मानक का पालन करने से देश की कुल प्रजनन दर (TFR) लगभग 2 पर आ गई है, जो 2.1 के प्रतिस्थापन दर से कम है।
दक्षिण ने जनसंख्या नियंत्रण में कड़े कदम उठाए
वहीं, दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में कड़े कदम उठाए हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे पांच राज्यों की कुल प्रजनन दर 1.73 है, जो 2.1 के राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। इनकी TFR उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और झारखंड जैसे पांच बड़े ह्रदयस्थल राज्यों की तुलना में भी कम है, जिनकी औसत TFR 2.4 है।
क्या कहा नायडू ने
चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को कहा, “जापान, चीन और कई यूरोपीय देशों जैसे देशों को वृद्ध होती जनसंख्या के परिणामों का सामना करना पड़ रहा है, जहां जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बुजुर्ग है।” क्षेत्रीय उत्तर-दक्षिण असमानता के अलावा जनसंख्या वृद्धि की दर में कुल गिरावट है। जिसके प्रति चंद्रबाबू नायडू भारतीयों को सचेत कर रहे हैं।
दक्षिण में बूढ़ी होती जा रही है आबादी!
चंद्रबाबू नायडू दक्षिण राज्यों की बात करते हुए इस समस्या को उजागर किया, जो जल्द ही पूरे देश को अपनी चपेट में ले सकती है। उन्होंने कहा कि भारत की जनसांख्यिकीय बढ़त 2047 तक बनी रहेगी। लेकिन देश के दक्षिणी हिस्से पहले से ही बूढ़ी होती आबादी के प्रभावों को महसूस करने लगे हैं।
2000 में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति लाई गई थी
बता दें कि साल 2000 में जब राष्ट्रीय जनसंख्या नीति (NPP) लाई गई थी, तो तत्काल ध्यान गर्भनिरोधक और स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे पर था। इसका उद्देश्य साल 2010 तक TFR को प्रतिस्थापन स्तर पर लाना और 2045 तक जनसंख्या स्थिर करना था।
TFR प्रतिस्थापन स्तर से नीचे आ चुकी है
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-2021) के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) पहले ही 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे आ चुकी है। इसका मतलब यह है कि देश की जनसंख्या अब ऐसी दर से नहीं बढ़ रही है। जिससे जनसंख्या स्थिर होने या घटने की संभावना है।
औसतन प्रति दंपती दो से कम बच्चे हैं
ये रिपोर्ट यह दिखाती है कि भारतीय परिवारों में औसतन प्रति दंपती दो से कम बच्चे हैं, जो दीर्घकालिक जनसंख्यात्मक, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव डाल सकता है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 25 वर्ष से कम उम्र के लोग भारत की जनसंख्या का 40% से अधिक हैं। देश की औसत आयु 28 वर्ष है, जबकि अमेरिका में यह 38 वर्ष और चीन में 39 वर्ष है।एक युवा जनसंख्या बढ़ाने में योगदान करती है।
तेजी से घटेगी युवा जनसंख्या
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान (IHD) द्वारा प्रकाशित ‘भारत रोजगार रिपोर्ट-2024’ के अनुसार, भारत की युवा जनसंख्या आने वाले वर्षों में तेजी से घटने वाली है और बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ रहेगी।भारत के उत्तरी राज्य अपेक्षाकृत लंबे समय तक युवा जनसंख्या बनाए रखेंगे। दक्षिणी राज्य जो पहले से ही वृद्ध हो चुके हैं।वहां युवा जनसंख्या कमी देखने को मिलेगी।
साक्षरता-संपत्ति प्रजनन दर को निर्धारित करते हैं
यह भी ध्यान देने की बात है कि साक्षरता और संपत्ति प्रजनन दर को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
NFHS-5 के अनुसार, जो 2019 से 2021 के बीच किया गया था कि माने तो, ” जो महिलाएं अनपढ़ हैं उनके पास औसतन 2.8 बच्चे होते हैं। जबकि 12 या उससे अधिक वर्षों की शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाओं के पास 1.8 बच्चे होते हैं।”
क्या होता है TFR
TFR यानी कुल प्रजनन दर उस औसत संख्या को दर्शाता है, जितने बच्चे एक महिला (15-49 वर्ष) अपने प्रजनन वर्षों के अंत तक वर्तमान प्रजनन दर के अनुसार जन्म देगी।
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