झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। लेकिन इस बार की शपथ ग्रहण समारोह में कुछ अलग ही देखने को मिला। हेमंत सोरेन ने अकेले ही शपथ ली, जबकि आमतौर पर पूरा मंत्रिमंडल एक साथ शपथ लेता है। इस फैसले से गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी नाराज बताई जा रही है।
शपथ ग्रहण समारोह
28 नवंबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में हेमंत सोरेन ने चौथी बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। लेकिन इस समारोह में सिर्फ हेमंत सोरेन ने ही शपथ ली, जबकि आमतौर पर पूरा मंत्रिमंडल एक साथ शपथ लेता है।
इस समारोह में INDIA गठबंधन के कई बड़े नेता मौजूद थे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत कई दिग्गज नेता इस समारोह में शामिल हुए। इतने बड़े नेताओं की मौजूदगी में सिर्फ हेमंत सोरेन का अकेले शपथ लेना कई सवाल खड़े कर रहा है।
कांग्रेस चाहती है मंत्री पद
हेमंत सोरेन के अकेले शपथ लेने के पीछे JMM की एक सोची-समझी रणनीति बताई जा रही है। दरअसल, JMM चाहती है कि पहले विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया जाए, उसके बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाए। इस फैसले से कांग्रेस नाराज बताई जा रही है। कांग्रेस चाहती थी कि उसके कुछ विधायकों को भी मंत्री पद दिया जाए और वे भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हों।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘हमें उम्मीद थी कि कम से कम 2-3 कांग्रेस विधायक भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। लेकिन JMM ने अचानक अपना इरादा बदल दिया। यह फैसला हमें नागवार गुजरा है।’ हालांकि, JMM के एक नेता ने कहा कि यह फैसला सिर्फ रणनीतिक है और इसमें किसी तरह की राजनीति नहीं है।
पूरे 5 साल चलेगी सरकार
अब सबकी नजरें विधानसभा में होने वाले विश्वास मत पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि विश्वास मत हासिल करने के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। इस दौरान JMM और कांग्रेस के बीच मंत्री पदों के बंटवारे को लेकर भी बातचीत होगी।
हेमंत सोरेन ने कहा, ‘हमारी सरकार पूरे 5 साल चलेगी। मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द ही किया जाएगा। सभी सहयोगी दलों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।’