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Mount Everest: हर साल क्यों बढ़ती जा रही माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई ?

Why is the height of Mount Everest increasing every year
माउंट एवरेस्ट

माउंट एवरेस्ट, जिसे नेपाली में “सागरमाथा” और तिब्बती में “छो मोलामा” कहा जाता है, ये विश्व की सबसे ऊँची चोटी है। इसकी ऊँचाई लगभग 8849 मीटर है, जो इसे पृथ्वी की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला, हिमालय का एक हिस्सा बनाती है। यह चोटी नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित है और इसकी अद्वितीय सुंदरता और चुनौतीपूर्ण चढ़ाई इसे पर्वतारोहियों के बीच एक लोकप्रिय स्थल बनाती है।

कैसे बढ़ रही माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई ?

माउंट एवरेस्ट, जो कि 8,849 मीटर (29,032 फीट) ऊँचा है, की ऊँचाई पिछले 89,000 वर्षों में लगभग 50 मीटर तक बढ़ गई है। हाल ही में नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। यह अध्ययन बताता है कि हर साल एवरेस्ट की ऊँचाई लगभग 2 मिलीमीटर बढ़ रही है।

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के पीएचडी छात्र एडम स्मिथ कहते हैं, “माउंट एवरेस्ट एक किंवदंती है, जो हर साल और ऊँचा होता जा रहा है।”

बीजिंग की चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ जियोसाइंसेज के भू-वैज्ञानिक जिन-जेन दाई का कहना है कि माउंट एवरेस्ट, हिमालय की अन्य ऊँची चोटियों की तुलना में लगभग 250 मीटर ऊँचा है। हमें लगता है कि पहाड़ जस के तस हैं, लेकिन वास्तव में उनकी ऊँचाई लगातार बढ़ती रहती है। माउंट एवरेस्ट इसका एक बेहतरीन उदाहरण है।

हाल ही में एक अध्ययन ने माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई को एक नई जानकारी दी है। शोधकर्ताओं का दावा है कि माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई केवल टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से नहीं बढ़ रही है, बल्कि अरुण नदी की गतिविधियों के कारण भी यह ऊँचाई में इजाफा कर रही है।

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं के एक समूह ने अपने अध्ययन में यह बताया है कि अरुण नदी, जो माउंट एवरेस्ट से 75 किलोमीटर दूर बहती है, माउंट एवरेस्ट की नींव में मौजूद चट्टानों और मिट्टी को काटकर उसे हर साल लगभग दो मिलीमीटर ऊँचा कर रही है। शोध के सह-लेखक एडम स्मिथ के अनुसार, यह प्रक्रिया बिल्कुल वैसी है जैसे जब एक समुद्री जहाज पर भारी सामान फेंका जाता है, तो जहाज हल्का होकर पानी में ऊपर तैरता है।

अरुण नदी, जो तिब्बत से निकलकर नेपाल में बहती है, माउंट एवरेस्ट के आस-पास की भूगर्भीय प्रक्रियाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जब यह नदी नीचे की ओर बहती है, तो अपने साथ चट्टानों और मिट्टी का मलबा लेकर आती है। यह मलबा पृथ्वी की ऊपरी सतह पर जमा होता है, जिससे नीचे की परत पर दबाव कम हो जाता है। इस दबाव में कमी के कारण, पृथ्वी की निचली परत ऊपर उठती है, जिसे हम ‘आइसोस्टैटिक रिबाउंड’ कहते हैं। इस प्रक्रिया के चलते न केवल माउंट एवरेस्ट, बल्कि उसके आस-पास की अन्य चोटियाँ, जैसे ल्होत्से और मकालू, भी ऊँची हो रही हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि अरुण नदी का कटाव इस क्षेत्र में भूगर्भीय गतिविधियों को सक्रिय करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

“रिवर कैप्चर” एवरेस्ट के लिए खतरनाक

जानकारों का कहना है कि माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई बढ़ने का मुख्य कारण नदियों के प्रवाह में बदलाव है, जिसे “रिवर कैप्चर” कहा जाता है। लगभग 89,000 साल पहले, हिमालय में कोसी नदी ने अपनी सहायक नदी अरुण नदी के एक हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया, जो आज एवरेस्ट के उत्तर में बहती है। इस अध्ययन के अनुसार, रिवर कैप्चर एक दुर्लभ घटना होती है, जिसमें एक नदी अपना रास्ता बदलकर दूसरी नदी में मिल जाती है।

जब अरुण और कोसी नदियाँ आपस में मिलीं, तो एवरेस्ट के पास कटाव बढ़ गया, जिससे बड़ी मात्रा में चट्टानें और मिट्टी बह गई। इससे अरुण नदी घाटी का निर्माण हुआ। अध्ययन के लेखक दाई का कहना है, “एवरेस्ट क्षेत्र में नदियों की एक दिलचस्प प्रणाली है। ऊपर की ओर बहने वाली अरुण नदी पहले पूर्व की ओर बहती है, फिर अचानक दक्षिण की ओर मुड़कर कोसी नदी में मिल जाती है। इस बदलाव के कारण एवरेस्ट की ऊँचाई बढ़ी है।”

आसान भाषा में कहें तो, जैसे ही अरुण नदी कोसी नदी का हिस्सा बनी, दोनों नदियों के बीच कटाव बढ़ गया। पिछले कई सदियों में अरुण नदी ने अरबों टन मिट्टी को बहाकर एक बड़ी घाटी बना दी। मिट्टी का कटाव और आसपास की जमीन का ऊपर उठना, जिसे आइसोस्टेटिक रिबाउंड कहा जाता है, भी इसकी ऊँचाई में योगदान देता है। दाई कहते हैं, “जब कोई भारी चीज, जैसे बर्फ या चट्टान, पृथ्वी की सतह से हटती है, तो उसके नीचे की जमीन धीरे-धीरे ऊपर उठती है, जैसे माल उतारने पर नाव ऊपर उठती है। एवरेस्ट के साथ भी यही हुआ है।”

कैसे बना था हिमालय?

हिमालय का निर्माण लगभग चार से पांच करोड़ वर्ष पहले भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से हुआ था। यह टकराव माउंट एवरेस्ट और उसके आसपास की चोटियों की ऊँचाई बढ़ाने का एक मुख्य कारण रहा है। लेकिन अब, अरुण नदी की गतिविधियाँ इस प्रक्रिया में एक नया मोड़ लाती हैं।

यूसीएल के अध्ययन में बताया गया है कि जब अरुण नदी ने अतीत में तिब्बत में एक अन्य नदी या जलाशय पर कब्जा किया, तब इसकी कटाव की क्षमता में असाधारण वृद्धि हुई। शोध के अनुसार, इस नदी के तेज बहाव के कारण चट्टानों और मिट्टी का कटाव हो रहा है, जिससे माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई प्रभावित हो रही है।

शोध पर उठाए गए सवाल

हालांकि, कुछ भूवैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के निष्कर्षों पर सवाल उठाए हैं। एडिनबरा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ह्यू सिंक्लेयर का कहना है कि नदी के कटाव की सटीक मात्रा और इसके प्रभाव को मापना कठिन है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल स्थानीय कटाव के कारण पहाड़ों की ऊँचाई का बढ़ना संदिग्ध हो सकता है।

उन्हें यह समझने में कठिनाई हो रही है कि कैसे एक नदी के कटाव का इतना बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। उनका कहना है कि नदी के कारण होने वाले कटाव की सटीक मात्रा और समय, या नदी अपने तल में कैसे नीचे की ओर कटान करती है, इसे समझना चुनौतीपूर्ण है।

यूसीएल के शोधकर्ताओं ने स्वीकार किया है कि इस अध्ययन में कई अनिश्चितताएँ हैं। लेकिन माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई में एक नदी की भूमिका एक नई समझ प्रदान करती है कि पृथ्वी की सतह किस प्रकार गतिशील है।

इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि भूगर्भीय प्रक्रियाएँ और जल धाराएँ एक-दूसरे से कैसे जुड़ी हुई हैं और कैसे एक नदी, जैसे अरुण, दुनिया की सबसे ऊँची चोटी की ऊँचाई को प्रभावित कर सकती है। माउंट एवरेस्ट की लगातार बदलती ऊँचाई इस बात का प्रमाण है कि धरती की सतह सदैव गतिशील और परिवर्तनशील है।

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