NASA moon time

चांद पर समय क्यों भाग रहा है? वैज्ञानिकों की नई खोज हैरान कर देगी

चांद हमेशा से मानव जाति के लिए रहस्यमय रहा है। हालांकि पिछले कुछ दशकों में वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के कई रहस्यों को सुलझा लिया है, लेकिन अभी भी कई ऐसी बातें हैं जो हमारे लिए पहेली बनी हुई हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है जो हमें चांद के बारे में एक नए नजरिए से सोचने पर मजबूर कर रही है। यह खोज है चांद पर समय की गति से जुड़ी।

चांद पर समय क्यों चलता है तेज?

वैज्ञानिकों ने पाया है कि चांद पर समय धरती की तुलना में थोड़ा तेज चलता है। यह अंतर बहुत छोटा है – प्रति दिन मात्र 56 माइक्रोसेकंड। लेकिन यह छोटा सा अंतर भी लंबे समय में बड़ा हो सकता है और भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए चुनौती बन सकता है।

इस अंतर का कारण है अल्बर्ट आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत (Theory of Relativity)। इस सिद्धांत के अनुसार, जितना अधिक गुरुत्वाकर्षण होगा, उतना ही धीमा समय चलेगा। चूंकि चांद पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वाकर्षण कम है (पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का लगभग एक-छठा हिस्सा), इसलिए वहां समय थोड़ा तेज चलता है।

नए चंद्र मिशनों के लिए क्यों है यह महत्वपूर्ण?

नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां जल्द ही चांद पर फिर से मानव मिशन भेजने की योजना बना रही हैं। आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत, नासा 2026 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजने की योजना बना रही है। इन मिशनों के लिए सटीक समय मापन बहुत महत्वपूर्ण है।

चांद पर सटीक समय की जानकारी नेविगेशन, संचार, डॉकिंग और लैंडिंग जैसी गतिविधियों के लिए जरूरी है। अगर समय का यह छोटा सा अंतर ध्यान में नहीं रखा गया, तो लंबे समय में यह बड़ी समस्या बन सकता है।

चांद के लिए नया टाइम स्केल

इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक एक नया टाइम स्केल या समय मापन प्रणाली बनाने पर काम कर रहे हैं। यह प्रणाली विशेष रूप से चंद्रमा के लिए होगी और इसमें चांद पर समय की तेज गति का ध्यान रखा जाएगा।

नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में चंद्रमा की स्थिति, नेविगेशन और समय मानकों की प्रमुख चेरिल ग्रैमलिंग के अनुसार, ‘हम सिर्फ चांद के लिए एक नया टाइम जोन नहीं बना रहे हैं। हम एक पूरी तरह से नई समय मापन प्रणाली बना रहे हैं जो चांद की विशिष्ट परिस्थितियों के अनुकूल होगी।’

इस नए टाइम स्केल को बनाने के लिए वैज्ञानिक चांद की सतह पर और उसकी कक्षा में घड़ियों का एक नेटवर्क स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। यह उसी तरह काम करेगा जैसे पृथ्वी पर सार्वभौमिक समय की गणना की जाती है।

 

 

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