sonia gandhi birthday

सोनिया गांधी ने 2004 में प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव क्यों ठुकराया? जानिए पूरी कहानी

sonia gandhi birthday: 2004 का साल था, जब कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की थी। पूरे देश की नजरें उस वक्त सोनिया गांधी पर थीं, क्योंकि उनकी पार्टी को सरकार बनाने का पूरा मौका मिल चुका था। सब यही उम्मीद कर रहे थे कि अब सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनेंगी, और ये पल भारतीय राजनीति के इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हो सकता था। लेकिन जैसे ही यह प्रस्ताव सामने आया, सोनिया गांधी ने उसे ठुकरा दिया। लोगों को यह समझ में नहीं आया कि ऐसा क्यों हुआ? जब ऐतिहासिक मौका सामने था, तो उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इंकार क्यों किया? असल में, इस फैसले के पीछे एक बहुत बड़ी वजह थी – उनका परिवार, और खासकर उनके बेटे राहुल गांधी।

राहुल की एक बात से सोनिया ने छोड़ दी PM की गद्दी

सोनिया गांधी का राजनीति में आना किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं था। एक वक्त था जब वे राजनीति से बिल्कुल दूर थीं, लेकिन धीरे-धीरे उनके पति राजीव गांधी के साथ उनका भी राजनीति से जुड़ाव हुआ। 1991 में जब राजीव गांधी की दुखद मौत हुई, तो सोनिया के सामने यह बड़ा सवाल था कि पार्टी की कमान किसके हाथों में जाएगी। लेकिन सोनिया ने उस समय पार्टी की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया था। उन्होंने यह फैसला किया था कि वे अपने बच्चों, राहुल और प्रियंका के लिए राजनीति से दूर रहेंगी।

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फिर 2004 में जब कांग्रेस ने चुनाव में शानदार जीत हासिल की, तो सोनिया गांधी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे ऊपर था। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब उनके पास यह ऐतिहासिक मौका था, तो उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से मना क्यों किया? असल में, इसका कारण उनका परिवार था, और खासकर उनका बेटा राहुल गांधी। राहुल, जो पहले ही अपने पिता की हत्या के दर्द से गुजर चुका था, वह बिल्कुल नहीं चाहता था कि उसकी मां भी राजनीति के जोखिमों में फंसे। राहुल को यह डर था कि अगर सोनिया प्रधानमंत्री बनतीं, तो उनकी जान को भी खतरा हो सकता था, जैसा उनके पिता और दादी के साथ हुआ था।

sonia gandhi and rahul gandhi

2004 में जब यह तय हो रहा था कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनेंगी, तो राहुल गांधी ने अपनी मां से एक दिन दिल से कुछ कहा। उसने बोला, ‘मां, आप प्रधानमंत्री मत बनिए। पापा की हत्या हो चुकी है, दादी की भी, और अगर आप प्रधानमंत्री बनेंगी, तो मुझे डर है कि आपको भी कुछ हो सकता है।’  राहुल की बातें इतनी इमोशनल थीं कि सोनिया गांधी का दिल सच में भर आया। वह जानती थीं कि राहुल के दिल में जो डर था, वह किसी बेटे का अपनी मां के लिए सबसे बड़ा डर होता है।

प्रियंका भी अपनी मां के लिए बहुत चिंतित थी। वह भी नहीं चाहती थी कि सोनिया यह जोखिम लें। दोनों बच्चों का एक ही डर था – उनकी मां को कुछ हो सकता था, जैसे उनके पापा और दादी के साथ हुआ था।

यह पूरी स्थिति सोनिया के लिए बेहद मुश्किल थी। प्रधानमंत्री बनने का अवसर उनके पास था, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों के डर और उनके प्यार को सबसे ज्यादा अहमियत दी। सोनिया ने फैसला किया कि परिवार की सुरक्षा सबसे ज़रूरी है, और इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया। उनके लिए यह निर्णय राजनीति से ज्यादा, एक मां के दिल की बात थी।

नटवर सिंह ने बताया क्यों ठुकराया पीएम पद?

नटवर सिंह, जो उस समय कांग्रेस के एक बड़े नेता थे, अपनी आत्मकथा में इस घटनाक्रम के बारे में लिखते हैं। उन्होंने बताया कि 17 मई 2004 को, जब सोनिया गांधी के घर यह चर्चा हो रही थी, तब पूरा माहौल तनाव से भरा हुआ था। राहुल गांधी ने अपनी मां से साफ शब्दों में कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री बनीं, तो उनकी जान को खतरा हो सकता है। यह 15-20 मिनट का वक्त बहुत ही घबराहट और तनाव से भरा था। राहुल की जिद और चिंता ने सोनिया को इस फैसले पर पहुंचने के लिए मजबूर कर दिया।

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद को क्यों ठुकराया, यह सवाल आज भी लोगों के दिमाग में है। राजनीति में इतनी बड़ी सफलता के बाद, जब वे सबसे सक्षम उम्मीदवार थीं, तो भी उन्होंने यह जिम्मेदारी क्यों नहीं ली? जवाब बहुत सीधा था—उनके परिवार की सुरक्षा। राहुल और प्रियंका का डर, उनका प्यार और उनकी सुरक्षा के प्रति चिंता, इन सभी कारणों ने सोनिया को यह फैसला लेने के लिए मजबूर किया।

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यह निर्णय सोनिया गांधी के लिए केवल एक राजनीतिक कदम नहीं था, बल्कि यह उनके पारिवारिक दायित्व को सर्वोपरि रखने का प्रतीक था। यह कदम उनके आदर्श और त्याग को दर्शाता है। जब राजनीति और परिवार के बीच संघर्ष होता है, तो सोनिया गांधी ने परिवार को प्राथमिकता दी, जो उनके कद को और भी ऊंचा करता है।

प्रधानमंत्री का पद छोड़ बढ़ गया सोनिया का कद

2004 में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने का मौका तो खो दिया, लेकिन इस फैसले ने उनका कद और भी बढ़ा दिया। जब उन्होंने यह फैसला लिया कि वे प्रधानमंत्री नहीं बनेंगी, तो इसने उन्हें एक और नया पहचान दिला दिया। यह सिर्फ एक राजनीतिक फैसला नहीं था, बल्कि यह साबित कर दिया कि उनके लिए राजनीति से ज्यादा उनका परिवार और उनके बच्चों की सुरक्षा मायने रखती है।

सोनिया गांधी ने यह दिखा दिया कि उनका राजनीति में आना सिर्फ पार्टी के लिए नहीं था, बल्कि उनका उद्देश्य कहीं न कहीं अपने परिवार को भी सुरक्षा देना था। जब उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का मौका ठुकरा दिया, तो लोगों ने उनकी इस सोच और बलिदान को बहुत सराहा। इस कदम से वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक आदर्श मां और एक मजबूत इंसान के रूप में उभर कर सामने आईं।

उनकी इस कुर्बानी ने उन्हें देशभर में एक प्रेरणादायक नेता बना दिया। लोगों ने उन्हें सम्मान और सच्ची श्रद्धा के साथ देखा, क्योंकि उन्होंने अपने परिवार की खुशी और सुरक्षा को पहले रखा, न कि सत्ता की लालच को।