USA Presidential Oath

दायां हाथ उठाकर और बाएं हाथ को बाइबिल पर रखकर ही क्यों लेते है शपथ? क्या है इसकी कहानी?

USA Presidential Oath: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का आखिरी चरण इनॉगरेशन डे होता है, यानी शपथ ग्रहण समारोह। इस दिन अमेरिका का नया राष्ट्रपति औपचारिक रूप से अपना पद संभालता है। ठीक वैसे ही जैसे भारत में नई सरकार के गठन पर शपथ ग्रहण समारोह होता है, वैसे ही अमेरिका में भी चुने गए राष्ट्रपति इस दिन पद और गोपनीयता की शपथ लेते हैं।

लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारत में जहां शपथ संविधान के आधार पर ली जाती है, वहीं अमेरिका में कोई ऐसा नियम नहीं है कि शपथ लेते वक्त किसी किताब या धार्मिक ग्रंथ का इस्तेमाल करना जरूरी हो। इसके बावजूद एक दिलचस्प परंपरा है, जिसके तहत हर इनॉगरेशन समारोह खास बनता है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपना दाहिना हाथ उठाते हैं और बाएं हाथ को बाइबिल पर रखकर शपथ लेते हैं। यह परंपरा कब और क्यों शुरू हुई? क्या इसके पीछे कोई नियम है या सिर्फ ऐतिहासिक महत्व? आइए जानते हैं।

बाइबिल पर हाथ रखकर शपत लेने का कारण 

यह परंपरा अमेरिका के पहले राष्ट्रपति, जॉर्ज वॉशिंगटन से जुड़ी है। 1789 में जब उनका शपथ ग्रहण समारोह हुआ था, तो आयोजकों ने बाइबिल लाना भूल गए थे। फिर वॉशिंगटन ने पास के एक masonic लॉज से बाइबिल उधार ली। इसके बाद कई राष्ट्रपतियों ने उसी बाइबिल पर शपथ ली, जैसे जिमी कार्टर, ड्वाइट डी. आइजनहावर, वॉरेन जी. हार्डिंग और जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश।

वॉशिंगटन ने शपथ लेने के बाद बाइबिल को चूमने की परंपरा शुरू की, जो 1853 तक चली। इसके बाद राष्ट्रपति फ्रैंकलिन पियर्स ने इसे बदल दिया और बाइबिल को चूमने की बजाय उस पर अपना बायां हाथ रखा। तब से यह परंपरा खत्म हो गई। कुछ राष्ट्रपति अपनी पारिवारिक बाइबिल पर शपथ लेते हैं, जो उनके लिए विशेष होती है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी अपने परिवार की 19वीं सदी से चली आ रही बाइबिल पर शपथ ली थी।

कैसे लेंगे ट्रम्प शपथ?

2017 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, डोनाल्ड ट्रंप ने ऐतिहासिक लिंकन बाइबल का इस्तेमाल किया था, जिसे 1861 में अब्राहम लिंकन ने शपथ लेते समय लिया था। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी मां, मैरी ऐनी मैक्लियोड ट्रंप द्वारा दी गई दूसरी बाइबल पर भी शपथ ली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बार भी ट्रंप कुछ ऐसा ही कर सकते हैं। उनके शपथ ग्रहण के दौरान लिंकन बाइबल और उनकी मां द्वारा दी गई बाइबल का मिश्रण देखा जा सकता है। इसके अलावा, ट्रंप ने इस खास मौके पर एक नई बाइबल भी लॉन्च की है, जिसे “इनॉगरेशन डे एडिशन बाइबल” कहा जा रहा है। इस बाइबल की कीमत $69.99 है।

जब विमान में ली थी शपथ 

22 नवंबर 1963 को, जब अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की हत्या हुई, तो देश में हड़कंप मच गया। उनकी सुरक्षा में शामिल दो गाड़ियां पीछे चल रहे उप-राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन को तुरंत ये जानकारी मिली कि उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ लेनी होगी। हालात इतने गंभीर थे कि JFK की हत्या को साजिश माना जा रहा था, और सुरक्षा के कारण सभी लोग एयर फ़ोर्स वन विमान में सुरक्षित स्थान पर चले गए।

अब शपथ लेने के लिए एक किताब की ज़रूरत थी, लेकिन विमान में बाइबिल नहीं मिली। फिर, कैनेडी और जॉनसन के करीबी साथी लैरी ओब्रायन ने एक किताब देखी, जो बाइबिल जैसी लग रही थी। वह किताब जज सारा ह्यूग्स को दी गई, और लिंडन बी. जॉनसन ने उस पर हाथ रखकर शपथ ली। बाद में यह खुलासा हुआ कि वह किताब बाइबिल नहीं, बल्कि एक कैथलिक मिसाल थी—एक किताब जिसमें चर्च में होने वाली पूजा का विवरण था।

रूज़वेल्ट ने बिना बाइबिल के ली थी शपथ 

यह एक खास उदाहरण था जब कुछ अमेरिकी राष्ट्रपति शपथ लेते समय बाइबल का इस्तेमाल नहीं करते थे। जैसे 1901 में थियोडोर रूज़वेल्ट ने बिना किसी किताब के शपथ ली, जबकि 1825 में जॉन क्विंसी एडम्स ने बाइबल की बजाय एक क़ानूनी किताब को चुना। उन्होंने ऐसा इसलिये किया ताकि यह साबित किया जा सके कि उनका पहला कर्तव्य संविधान और क़ानून की रक्षा करना है।

 

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