हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री और बीजेपी के सबसे वरिष्ठ विधायक अनिल विज को अब पार्टी की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस अनिल विज के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली के खिलाफ दी गई उनकी हालिया बयानबाजी को लेकर भेजा गया है। ये नोटिस 10 फरवरी को भेजा गया और तीन दिनों के अंदर अनिल विज से जवाब मांगा गया है। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या बीजेपी अब विज पर एक्शन लेने जा रही है और क्या उनका मंत्री पद छीना जाएगा।
बीजेपी आलाकमान की त्वरित कार्रवाई
बीजेपी ने अनिल विज को जो नोटिस भेजा है, उसमें कहा गया है कि उनके बयान पार्टी की नीतियों और आंतरिक अनुशासन के खिलाफ हैं। नोटिस में यह भी चेतावनी दी गई कि यह बयान पार्टी की विचारधारा के खिलाफ हैं और इसके कारण पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है। खासतौर पर, यह बयान ऐसे वक्त में दिए गए जब बीजेपी दिल्ली चुनाव के लिए प्रचार कर रही थी। पार्टी की तरफ से साफ कहा गया है कि ये बयान पूरी तरह अस्वीकार्य हैं। इतना ही नहीं, पार्टी के सूत्रों के मुताबिक इस नोटिस के बाद आलाकमान ने अनिल विज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का मन बना लिया है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी आलाकमान विज को पहले की तरह नजरअंदाज करने के मूड में नहीं है और सख्त कदम उठाया जा सकता है।
अनिल विज का बीजेपी नेतृत्व से विवाद
हरियाणा में अक्टूबर 2024 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही अनिल विज और पार्टी नेतृत्व के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। विज, जो सात बार विधायक रह चुके हैं, और वर्तमान में ऊर्जा, परिवहन और श्रम विभाग के मंत्री हैं, ने कई बार पार्टी नेतृत्व और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के खिलाफ बयान दिए हैं। इस बीच विज ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि पार्टी ने उनके विरोधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री सैनी पर भी तीखा हमला करते हुए यह कहा कि वे “उड़न खटोला” (हेलिकॉप्टर) में बैठकर लोगों की समस्याओं से अंजान हैं।
विज ने यह भी आरोप लगाया कि सैनी की सरकार में उनके खिलाफ साजिश की जा रही है। इन बयानों के बाद पार्टी नेतृत्व से अनिल विज की नाराजगी और बढ़ गई। इसके साथ ही, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बाडौली के खिलाफ भी अनिल विज के बयान सामने आए, जिसमें उन्होंने बाडौली से इस्तीफा देने की मांग की थी। इन आरोपों के बाद ही बीजेपी आलाकमान ने विज को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
क्या इस बार कार्रवाई की जाएगी?
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अनिल विज के खिलाफ इस बार पार्टी कोई नरमी नहीं बरतने वाली है। यह माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान विज को पहले की तरह नजरअंदाज नहीं करेगा और उन्हें कड़ी सजा दी जा सकती है। बीजेपी की छवि ऐसी रही है कि बड़े से बड़े नेता दिल्ली के फैसले को स्वीकार करते हैं, चाहे वह मुख्यमंत्री का पद हो या पार्टी के अन्य पद। ऐसे में अनिल विज का अपने मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ बयानबाजी करना पार्टी के अनुशासन को खतरे में डाल सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी आलाकमान ने इस बार अनिल विज के खिलाफ एक्शन लेने का मूड बना लिया है। कुछ सूत्रों के मुताबिक, इस बार विज से उनका मंत्री पद भी छीना जा सकता है और पार्टी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है।
अनिल विज कीपार्टी से नाराजगी नई नहीं
अनिल विज की पार्टी से नाराजगी नई नहीं है। 2014 में जब बीजेपी ने हरियाणा में अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, तो अनिल विज को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री पद की कुर्सी मनोहर लाल खट्टर को मिली, जिसके बाद विज को झटका लगा था। इसके बाद से विज और खट्टर के बीच विवादों का दौर जारी रहा। खासकर 2019 में, जब खट्टर की सरकार के खिलाफ एंटी इन्कंबेंसी की लहर चली थी, तब विज ने खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना। लेकिन उस बार भी खट्टर को ही तवज्जो दी गई।
इसके बाद, अनिल विज और खट्टर के बीच कई विवाद सामने आए। सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब विज ने स्वास्थ्य विभाग का कामकाज छोड़ दिया था, क्योंकि खट्टर के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने विभाग की एक मीटिंग ली थी। विज इस बात से नाराज हो गए और उन्होंने स्वास्थ्य विभाग का कामकाज छोड़ दिया। इस विवाद के बाद पार्टी आलाकमान ने उन्हें स्वास्थ्य विभाग का कामकाज फिर से सौंपा।
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