Womens In Politics: नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव है तो इसमें महिला भागीदारी भी नजर आ रही है। लेकिन मतदान में अग्रणी नजर आने वाली महिलाओं को राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा। देश के बड़े सियासी दलों ने 2024 चुनाव में भी महिला उम्मीदवारों को उतारने में कंजूसी दिखाई है। बड़ी पार्टियों से लेकर छोटी छोटी पार्टियां भी महिलाओं को टिकट देने में झिझकती है।
बीजद सबसे आगे, कांग्रेस सबसे पीछे
इस चुनाव में महिला उम्मीदवार उतारने के मामले में बीजू जनता दल सबसे आगे है। वहीं कांग्रेस सबसे पीछे है। कुल टिकटों के लिहाज से बीजू जनता दल ने 33 फीसदी महिलाओं को टिकट दी है। बीजद ने कुल घोषित 21 टिकटों में से सात टिकट महिलाओं को दिए हैं। वहीं कांग्रेस ने महज 11 फीसदी टिकट महिलाओं को दिए है। कांग्रेस ने घोषित 192 में से केवल 22 टिकट ही महिलाओं को दी है। वहीं भाजपा ने घोषित 417 में से 68 सीट पर महिला प्रत्याशी उतारे हैं। ये कुल सीटों का 16 फीसदी है। वहीं टीएमसी ने 28 फीसदी यानी 42 में से 12 सीट पर महिला उम्मीदवार उतारे हैं।
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बढ़ रही हैं महिला प्रतिनिधि
हम बात लोकसभा में चुनी हुई महिला प्रतिनिधियों की करें तो अब तक के लोकसभा चुनाव में महिला प्रत्याशी और संसद में महिला प्रतिनिधि बढ़ रही हैं। 1957 में 45 महिला उम्मीदवार थीं, जो 2019 में 16 गुना बढ़कर 726 हो गई। 1957 के चुनाव में संसद में महिला हिस्सेदारी 5.4% थी, जो 2019 में बढ़कर 14% हो गई थी। 1962 में महिला-पुरुष वोटिंग प्रतिशत में 17% गैप था, जो 2019 में 1.4% रह गया।
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महिला आरक्षण के बाद मिलेगा पूरा सम्मान
महिला जनप्रतिनिधियों से बातचीत में इस बात का दर्द भी सामने आया कि पुरुषों के बीच उनकी उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा। ऐसे में वे राजनीतिक पटल पर पिछड़ी हैं। हालांकि नए संसद भवन में प्रवेश के बाद सबसे पहले महिला आरक्षण का बिल रखा जा चुका है। इस बिल से अब महिलाओं की उम्मीद भी पूरी हो सकेगी। लेकिन महिलाओं को 2029 में इसके लागू होने तक इंतजार करना पड़ेगा। उसके बाद 33 फीसदी महिलाएं लोकसभा में नजर आएंगी।