चैत्र नवरात्रि में करें माँ शक्ति की उपासना, जानिए Puja Vidhi ?
Navratri Special : 22 मार्च 2023, बुधवार से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रहा है. बहुत-सी जगहों पर इसे राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि चैत्र नवरात्रि के नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. चैत्र नवरात्रि के नौ दिन तक माँ दुर्गा के नौ रूपों क्रमशः माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंद माता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी, एवं माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है. प्रतिपदा के दिन घट स्थापना से लेकर माँ शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा होती है. आइये जानें कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त के साथ कलश-स्थापना की विधि के बारे में विस्तार से.
कलश-स्थापना शुभ मुहूर्त एवं पूजा-विधि:
प्रतिपदा प्रारंभः 10.53 PM (21 मार्च 2023) से
प्रतिपदा समाप्तः 08.21 AM (22 मार्च 2023) तक
कलश स्थापना शुभ मुहूर्तः 06.33 AM से सुबह 10.33 AM
कलश स्थापना विधिः
चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर मां दुर्गा का ध्यान कर उनकी व्रत, पूजा और कलश स्थापना का संकल्प लें. अब घर के मंदिर के समक्ष एक चौकी स्थापित करें. इस पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर कलश स्थापित करें. अब दुर्गा जी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाकर चौकी पर स्थापित करें. चौकी के बगल में जमीन पर थोडी सी मिट्टी बिछाकर इस पर जौ छिडककर ऊपर से थोड़ा जल छिड़कें. एक मिट्टी का कलश लें. इसमें जल भरने के बाद इसमें सिक्के, सुपारी, पुष्प, खडा चावल आदि डालें. एक जटावाला नारियल लें, इस पर चुनरी लपेटकर कलश पर रखें. कलश पर रोली अथवा सिंदूर से स्वास्तिक का चिह्न बनायें और इस पर कलाई नारा लपेटें. कलश स्थापना के मंत्र का जाप करते हुए बिछे हुए जौ पर सावधानी के साथ कलश स्थापित करें.
‘ऊं भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं,
पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः’
कलश पर पुष्प अर्पित करें तथा माँ दुर्गा की प्रतिमा के सामने एक बडे दीपक में अक्षय दीप प्रज्वलित करें. माँ के सामने लाल पुष्प, इत्र, रोली, सुपारी, लौंग, सिंदूर, फल एवं दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं. अब माँ शैलपुत्री का ध्यान कर दुर्गा सप्तशदी का पाठ करें. इसके बाद दुर्गा जी की आरती उतारें एवं अंत में प्रसाद का वितरण करें.
कलश स्थापना एवं अखंड दीप का महात्म्य
अखंड दीप प्रज्वलित करने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि इसे नौ दिनों तक निरंतर जलना है. इसके लिए जरूरी है कि दीप का आकार इतना बड़ा होना चाहिए कि कम से कम छह से आठ घंटे तक दीप जलता रहे. मान्यता है कि जिस घर में नवरात्रि में दुर्गा जी की पूजा के साथ कलश स्थापना एवं अखंड दीप प्रज्वलित किया जाता है, माँ दुर्गा जी की कृपा से उसके जीवन में कभी भी स्वास्थ्य, धन एवं अन्य तरह के संकट परेशान नहीं करते.
क्यों है विशेष महत्व चैत्र नवरात्रि का
चैत्र नवरात्रि का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. ये नौ दिन माँ दुर्गा को समर्पित होता है. मान्यता है कि इन नौ दिनों तक व्रत रखते हुए कलश-स्थापना एवं माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा तथा हवन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बुरी शक्तियां दूर होती हैं, तथा घर में सुख-शांति आती है. इसी दिन नववर्ष के साथ-साथ महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व भी पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है.
OTT INDIA आपको खबरों से अपडेट रखेगा
OTT INDIA देश का नंबर 1 डिजिटल प्लेटफॉर्म है- जो देशवासियो को हर खबर में सबसे आगे रखता है। OTT इंडिया पर पढ़ें नेशनल, इंटरनेशनल, इलेक्शन, बिजनेस, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट समेत सभी खबरें। अब हर समाचार आपकी उंगलियों पर, हमारा नवीनतम Android और iOS ऐप डाउनलोड करें। ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमसे सोशल मीडिया पर जुड़ें।
[web_stories title="true" excerpt="false" author="true" date="false" archive_link="false" archive_link_label="" circle_size="150" sharp_corners="false" image_alignment="left" number_of_columns="4" number_of_stories="8" order="DESC" orderby="post_date" view="grid" /]