चीन में इन दिनों जो हो रहा है, वो किसी भी सस्पेंस थ्रिलर से कम नहीं है। अमेरिकी मीडिया चैनल CNN ने एक रिपोर्ट में बताया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पूरे देश में 200 से ज्यादा डिटेंशन सेंटर बना रहे हैं। इन सेंटरों का मकसद भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे लोगों से पूछताछ करना है। खास बात ये है कि इन सेंटरों में संदिग्धों को बिना किसी वकील या परिवार से मिले छह महीने तक रखा जा सकता है। और ये सब हो रहा है राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत।
जब से 2012 में शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता संभाली है, तब से उनका एक बहुत ही बड़े स्तर का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चल रहा है। इस अभियान के जरिए शी ने न केवल अपने विरोधियों को हटाया, बल्कि सरकारी अधिकारियों और पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए। इन कदमों के तहत कई बड़े नेता और अफसर भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे और उन्हें जेल भेजा गया। अब तक ये अभियान धीरे-धीरे और बड़े स्तर पर बढ़ चुका है।
डिटेंशन सेंटर का क्या मतलब है?
अब राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी इस जंग को और तेज करने के लिए डिटेंशन सेंटर बनाने का फैसला लिया है। इन सेंटरों का मकसद उन लोगों से पूछताछ करना है जो भ्रष्टाचार, बेईमानी या फिर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं। इन सेंटरों का नाम है ‘लिउज़ी’ (Retention in Custody), जिसका मतलब है कि संदिग्धों को बिना परिवार या वकील से मिले छह महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। इसे समझने के लिए कह सकते हैं कि ये एक तरह से ‘गोपनीय हिरासत’ की प्रक्रिया है, जहां संदिग्धों को बिना किसी कानूनी सहायता के रखा जाता है।
जब से शी ने सत्ता संभाली, तब से उन्होंने पार्टी के भीतर के भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए। सबसे पहले तो उन्होंने अपने ही पार्टी के लोगों को नकेल में कसने का काम किया। इसके बाद, चीन की सरकार ने एक तरह की गुप्त हिरासत प्रणाली को लागू किया, जिसे अब डिटेंशन सेंटर के रूप में और बढ़ाया जा रहा है। इसमें संदिग्धों को सरकारी इमारतों, होटलों या किसी अन्य गुप्त स्थान पर बंद कर दिया जाता है, और उनका परिवार या वकील उनसे मिलने नहीं आ सकता। यह सब कुछ पूरी तरह से गुप्त तरीके से होता है।
चीन में ये सब काफी समय से चल रहा था। पहले ये प्रक्रिया बहुत गुप्त होती थी, लेकिन 2018 में जब इस पर काफी आलोचनाएं शुरू हो गईं, तो शी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए ‘शुआंगगुई’ (Double Designation) नामक प्रणाली को खत्म किया। हालांकि, इसके बाद भी उनका अभियान खत्म नहीं हुआ। अब यह नई डिटेंशन प्रक्रिया पूरी तरह से सार्वजनिक है और इसके जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
क्या है इस सिस्टम का मकसद?
शी जिनपिंग का तीसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है, और इस दौरान उन्होंने अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को और कड़ा कर दिया है। अब वे न केवल सरकारी कर्मचारियों, बल्कि स्कूल, अस्पताल और निजी क्षेत्र के लोगों पर भी अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। यही नहीं, अब चीनी सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में इतनी सख्त हो चुकी है कि यदि कोई पार्टी का सदस्य या सरकारी कर्मचारी किसी गड़बड़ी में फंसा पाया गया, तो उसे तुरंत पार्टी से बाहर किया जा सकता है। इस तरह के कदम, शी जिनपिंग के सत्ता में अपनी पकड़ को और भी मजबूत बनाने के लिए उठाए जा रहे हैं।
किसी भी देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाना जरूरी होता है, लेकिन चीन में ये कदम इतना सख्त और कठोर हो गए हैं कि इसका असर केवल भ्रष्टाचार तक सीमित नहीं रह जाता। शी जिनपिंग का मुख्य उद्देश्य सिर्फ भ्रष्टाचार खत्म करना नहीं, बल्कि अपनी सत्ता को और मजबूत करना है। डिटेंशन सेंटर और गुप्त हिरासत प्रणाली को लागू कर उन्होंने अपने विरोधियों और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को नियंत्रित करना शुरू कर दिया है।
क्या ये कदम सही हैं?
जहां एक ओर चीन में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस पर कई सवाल भी उठते हैं। खासकर मानवाधिकारों का उल्लंघन और कानूनी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं। एक तरफ शी जिनपिंग ने अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को मजबूत किया है, वहीं दूसरी ओर इन डिटेंशन सेंटरों और गुप्त हिरासत प्रणालियों की वजह से आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ रहा है।
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