Yoga For Lungs Health: इन पाँच योगासनों से बढ़ायें अपने फेफड़ों की क्षमता, चीते की तरह दौड़ेंगे

Yoga For Lungs Health: योग, एक प्राचीन अभ्यास जो अपने समग्र लाभों के लिए जाना जाता है, फेफड़ों के स्वास्थ्य (Yoga For Lungs Health) का समर्थन करने और श्वसन क्षमता को बढ़ाने के लिए कई तकनीकों की पेशकश करता है। अपनी दिनचर्या में विशिष्ट योग आसन या मुद्राओं को शामिल करके, आप सांस लेने में शामिल मांसपेशियों को मजबूत कर सकते हैं, फेफड़ों (Yoga For Lungs Health) की कार्यप्रणाली में सुधार कर सकते हैं और समग्र श्वसन दक्षता को बढ़ा सकते हैं। यहां पांच योग आसन हैं जो फेफड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और आपके फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, जिससे आप अधिक स्वतंत्र रूप से सांस ले सकते हैं और ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं।

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भुजंगासन (Cobra Pose)

लाभ: भुजंगासन छाती, फेफड़ों और कंधों को फैलाता है, गहरी सांस लेने और फेफड़ों के ऊतकों के विस्तार को बढ़ावा देता है। यह पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है, समग्र श्वसन क्रिया को बढ़ाता है।
अभ्यास कैसे करें: अपने पेट के बल लेटकर अपनी हथेलियों को अपनी छाती के पास रखकर शुरुआत करें। श्वास लें और अपने ऊपरी शरीर को ऊपर उठाएं, अपने श्रोणि को जमीन पर रखते हुए अपनी पीठ को झुकाएं। कुछ सांसों के लिए इस मुद्रा में बने रहें, फिर सांस छोड़ते हुए वापस चटाई पर आ जाएं।
टिप्स : सांस के प्रति जागरूकता बनाए रखते हुए रीढ़ की हड्डी को लंबा करने और छाती को खोलने पर ध्यान दें। मुद्रा को 3-5 बार दोहराएं, धीरे-धीरे प्रत्येक होल्ड की अवधि बढ़ाएं।

उष्ट्रासन (Camel Pose)

लाभ: उष्ट्रासन छाती और पसलियों को खोलता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता और सांस लेने की क्षमता में सुधार होता है। यह पेट और गले सहित शरीर के अगले भाग को भी फैलाता है, जिससे गहरी और अधिक विस्तृत साँस लेने में सुविधा होती है।
अभ्यास कैसे करें: अपने घुटनों को कूल्हे-चौड़ाई से अलग रखते हुए चटाई पर बैठें। समर्थन के लिए अपने हाथों को अपनी पीठ के निचले हिस्से पर रखें, फिर धीरे से पीछे की ओर झुकें, अपने हाथों से अपनी एड़ियों तक पहुंचें। कुछ सांसों के लिए इसी मुद्रा में रहें, फिर धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं।
टिप्स: पीठ के निचले हिस्से की सुरक्षा के लिए और पूरे आसन के दौरान स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी मुख्य मांसपेशियों को शामिल करें। लचीलेपन और फेफड़ों की क्षमता को धीरे-धीरे बढ़ाने के लिए नियमित रूप से उष्ट्रासन का अभ्यास करें।

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अर्ध मत्स्येन्द्रासन ( Ardha Matsyendrasana)

लाभ: अर्ध मत्स्येन्द्रासन छाती और फेफड़ों को उत्तेजित करता है, गहरी डायाफ्रामिक श्वास को बढ़ावा देता है। यह रीढ़ की हड्डी को भी फैलाता है और परिसंचरण में सुधार करता है, समग्र श्वसन क्रिया और जीवन शक्ति को बढ़ाता है।
अभ्यास कैसे करें: चटाई पर अपने पैरों को सामने फैलाकर बैठें। अपने दाहिने घुटने को मोड़ें और अपने दाहिने पैर को अपनी बाईं जांघ के बाहर रखें। अपने धड़ को दाईं ओर मोड़ें, अपनी बाईं कोहनी को अपने दाहिने घुटने के बाहर की ओर लाएं। कुछ सांसों के लिए इस मुद्रा में बने रहें, फिर दूसरी तरफ से दोहराएं।
टिप्स : पूरे मोड़ के दौरान अपनी रीढ़ को ऊंचा रखें और अपनी छाती को ऊपर उठाएं। छाती और पेट में गहरी सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करें, जिससे प्रत्येक मोड़ के साथ सांस स्वतंत्र रूप से प्रवाहित हो सके।

सेतु बंधासन (Bridge Pose)

लाभ: सेतु बंधासन छाती और फेफड़ों को फैलाता है, श्वसन क्षमता में सुधार करता है और विश्राम को बढ़ावा देता है। यह पीठ और नितंबों की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है, जिससे इष्टतम श्वास यांत्रिकी के लिए सहायता मिलती है।
अभ्यास कैसे करें: अपने घुटनों को मोड़कर और पैरों को कूल्हे की चौड़ाई से अलग रखते हुए अपनी पीठ के बल लेटें। अपने पैरों को दबाएं और पुल की स्थिति में आते हुए अपने कूल्हों को छत की ओर उठाएं। अपनी उंगलियों को अपनी पीठ के नीचे फंसाएं और अपने कंधों को अपने नीचे घुमाएं। कुछ सांसों के लिए इसी मुद्रा में रहें, फिर धीरे से वापस चटाई पर आ जाएं।
टिप्स : अपने पैरों को मजबूती से दबाएं और कूल्हों को ऊंचा उठाने के लिए अपने ग्लूट्स को लगाएं। आसन के लाभों को अधिकतम करने के लिए गर्दन को शिथिल रखें और छाती और पेट में गहरी सांस लें।

प्राणायाम (Pranayama)

लाभ: प्राणायाम अभ्यास, जैसे गहरी पेट से सांस लेना, वैकल्पिक नासिका से सांस लेना और कपालभाति, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने, श्वसन दक्षता में सुधार करने और तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकते हैं।
अभ्यास कैसे करें: रीढ़ की हड्डी ऊंची करके आराम से बैठें और अपनी आंखें बंद कर लें। धीमी, गहरी साँसें लेने, पेट, पसलियों और छाती को हवा से भरने से शुरुआत करें। फिर, एक योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में विभिन्न प्राणायाम तकनीकों, जैसे नाड़ी शोधन (वैकल्पिक नासिका श्वास) या भस्त्रिका (धौंकनी श्वास) का पता लगाएं।
टिप्स : फेफड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ाने, मन को शांत करने और सांसों के साथ गहरा संबंध विकसित करने के लिए अपनी योग दिनचर्या के हिस्से के रूप में नियमित रूप से प्राणायाम का अभ्यास करें।

अपने फेफड़ों के स्वास्थ्य (Yoga For Lungs Health) को बढ़ाने, अपनी फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और अधिक जीवन शक्ति और कल्याण का अनुभव करने के लिए इन योग आसन और श्वास तकनीकों को अपने दैनिक अभ्यास में शामिल करें। अपने शरीर की बात सुनना, गहरी और मन लगाकर सांस लेना और अपने अभ्यास को धैर्य और जागरूकता के साथ करना याद रखें। निरंतर प्रयास और समर्पण के साथ, आप अपने श्वसन कार्य को अनुकूलित करने और अपनी सांस की पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए योग की शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।

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