नई दिल्ली: हाल के दिनों में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुस्लिम बहुल इलाकों में रैलियों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। “बटेंगे तो कटेंगे” के नारे के बाद योगी आदित्यनाथ अब महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में इन नारे के साथ रैलियां कर रहे हैं। इन रैलियों का मुख्य उद्देश्य बीजेपी की रणनीति को लेकर सवाल उठा रहे हैं। क्या बीजेपी मुस्लिम बहुल इलाकों में इस नारे का इस्तेमाल कर रही है ताकि ध्रुवीकरण किया जा सके और चुनावी फायदों को बढ़ावा दिया जा सके?
मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में रैलियों का इरादा क्या है?
योगी आदित्यनाथ ने पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र और झारखंड में ऐसी कई मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर रैलियां की हैं, जहां मुस्लिम आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन सीटों पर योगी ने बटेंगे तो कटेंगे जैसे नारे के माध्यम से अपनी बातें रखी हैं। ये नारा पहली बार अगस्त 2024 में योगी आदित्यनाथ ने दिया था, और अब इसे चुनावी रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी इन इलाकों में रैलियां कर इस नारे को “लिटमस टेस्ट” के रूप में परख रही है। अगर यह रणनीति इन राज्यों में सफल होती है, तो बीजेपी आने वाले चुनावों में इसे और भी बड़े स्तर पर इस्तेमाल कर सकती है।
क्र. नं. | विधानसभा सीट | राज्य | मुसलमानों की आबादी (%) | मुख्य प्रतिद्वंदी | बीजेपी उम्मीदवार | अन्य महत्वपूर्ण जानकारी |
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1 | अचलपुर | महाराष्ट्र | 19% | प्रहार जनशक्ति पार्टी, कांग्रेस | प्रवीण तायडे | दलित समुदाय 17%, आदिवासी 6.13% |
2 | अकोला पश्चिम | महाराष्ट्र | 41.6% | कांग्रेस (साजिद खान) | विजय अग्रवाल | दलित 10%, आदिवासी 3% |
3 | नागपुर मध्य | महाराष्ट्र | 22% | कांग्रेस (बंटी शल्के) | प्रवीण डटके | दलित 9%, आदिवासी 20% |
4 | नागपुर पश्चिम | महाराष्ट्र | 12% | कांग्रेस (विकास ठाकरे) | सुधाकर कोहले | दलित 20%, आदिवासी 8% |
5 | भवनाथपुर | झारखंड | 14% | झारखंड मुक्ति मोर्चा (अनंत देव) | भानुप्रताप शाही | आदिवासी 14% |
6 | हुस्सैनाबाद | झारखंड | 14% | आरजेडी (संजय यादव) | कमलेश सिंह | दलित 22% |
7 | पांकी | झारखंड | 16% | कांग्रेस (लाल सूरज) | शशिभूषण मेहता | – |
8 | लातेहार | झारखंड | 12% | कांग्रेस | – | दलितों के लिए सुरक्षित सीट, मुस्लिम 12% |
9 | कोडरमा | झारखंड | 16% | कांग्रेस | – | मुस्लिम 16% |
10 | बरकागांव | झारखंड | 15% | कांग्रेस | – | मुस्लिम 15% |
बटेंगे तो कटेंगे नारा: बीजेपी की ध्रुवीकरण रणनीति
दरअसल, बटेंगे तो कटेंगे का नारा हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को भड़काने का एक हथियार हो सकता है, जिससे सीधे मुकाबला तय हो सके। कहा जा रहा है कि बीजेपी का यह कदम हिंदी पट्टी में 2019 के लोकसभा चुनाव में जातीय ध्रुवीकरण के बाद आया है। उस चुनाव में बीजेपी को बहुमत हासिल हुआ, लेकिन कई क्षेत्रों में मुस्लिम वोट बैंक के प्रभाव की वजह से चुनावी नतीजे प्रभावित हुए थे। अब बीजेपी इस रणनीति को दूसरे राज्यों में भी आजमा रही है।
कौन-कौन सी विधानसभा सीटों पर हुईं योगी की रैलियां?
योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में महाराष्ट्र और झारखंड की 10 विधानसभा सीटों पर रैलियां की हैं। इन सीटों पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की स्थिति को देखते हुए उनकी रैलियों का खासा महत्व है।
1. अचलपुर (महाराष्ट्र)
12 नवंबर को योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र के अचलपुर में रैली की। यहां मुस्लिम आबादी करीब 19 प्रतिशत है। अचलपुर में दलित और आदिवासी समुदाय भी मौजूद हैं। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी ताकत झोंक रहे हैं।
2. अकोला पश्चिम (महाराष्ट्र)
अकोला पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 41.6 प्रतिशत है। योगी आदित्यनाथ ने यहां बीजेपी के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार किया है। इस सीट पर बीजेपी की लगातार जीत रही है।
3. नागपुर मध्य (महाराष्ट्र)
नागपुर मध्य सीट पर योगी ने एक और रैली की, जहां मुसलमानों की आबादी करीब 22 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में बीजेपी के प्रवीण डटके और कांग्रेस के बंटी शल्के के बीच मुकाबला है।
4. नागपुर पश्चिम (महाराष्ट्र)
नागपुर पश्चिम में भी योगी आदित्यनाथ ने रैली की। यहां मुसलमानों की आबादी करीब 12 प्रतिशत है। इस सीट पर बीजेपी के सुधाकर कोहले और कांग्रेस के विकास ठाकरे चुनावी मैदान में हैं।
5. भवनाथपुर (झारखंड)
झारखंड के भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में योगी ने रैली की है, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 14 प्रतिशत है। यहां बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच मुकाबला है।
6. हुस्सैनाबाद (झारखंड)
हुस्सैनाबाद में भी योगी आदित्यनाथ ने अपनी रैली की। इस सीट पर मुस्लिम और दलित समुदाय का अच्छा-खासा वोट बैंक है।
7. पांकी (झारखंड)
पांकी विधानसभा में भी योगी आदित्यनाथ की रैली हो चुकी है, जहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 16 प्रतिशत है।
लातेहार, कोडरमा और बरकागांव में भी रैलियां
इन सात सीटों के अलावा योगी आदित्यनाथ ने झारखंड के लातेहार, कोडरमा और बरकागांव में भी रैलियां की हैं। इन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटर्स की आबादी क्रमशः 12, 16 और 15 प्रतिशत है। लातेहार और बरकागांव में वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है, जबकि कोडरमा में बीजेपी ने 2019 में जीत दर्ज की थी। इस बार तीनों सीटों पर बीजेपी ने जीत की रणनीति तैयार की है।
बीजेपी की रणनीति: क्या वाकई काम करेगा ये खेल?
मुस्लिम बहुल इलाकों में योगी आदित्यनाथ की रैलियों के बाद बीजेपी की ध्रुवीकरण रणनीति की चर्चा तेज हो गई है। सवाल यह है कि क्या यह रणनीति आगामी चुनावों में बीजेपी को फायदा पहुंचाएगी या फिर इसका असर उल्टा भी हो सकता है? क्या यह मुस्लिम समुदाय के वोट को प्रभावित करेगा और बीजेपी को राज्य में राजनीतिक लाभ होगा?
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इन रैलियों और नारों को लेकर आलोचकों का कहना है कि बीजेपी इस खेल को खतरनाक तरीके से खेल रही है, जिससे राज्य में सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है। दूसरी ओर, समर्थक इसे बीजेपी की चुनावी स्मार्टनेस मानते हैं, जो पार्टी को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक वोटों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकता है।