भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से ही राजनीतिक उथल पुथल मचा हुआ है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। वहीं शेख हसीना को सत्ता से बेखदखल हुए 3 महीने हो गए हैं। वहीं उनकी पार्टी अवामी लीग ने फेसबुक पोस्ट में गुलिस्तान इलाके में विरोध मार्च निकालने का ऐलान किया है। जिसे देखते ही युनूस सरकार ने सेना को सड़कों पर उतार कर फ्लैग मार्च करा दिया है।
स्टैंडबाय पर सेना
अवामी लीग के विरोध मार्च ऐलान के बाद जीरो पॉइंट पर वाटर कैनन और बख्तरबंद सेना की गाड़ियों को स्टैंडबाय पर रखा गया था। यही कारण है कि किसी भी अवामी लीग कार्यकर्ताओं को पल्टन, जीरो पॉइंट या गुलिस्तान इलाकों में नहीं देखा गया है। वहीं पुलिस ने विरोध प्रदर्शन से पहले आवामी लीग पर कठोर कदम उठाते हुए उनके सैकड़ों कार्यकार्ताओं को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि राजनीतिक ग्रुप समय-समय पर जुलूसों में यहां आते रहे हैं और नारे लगाकर अपना रुख प्रदर्शित करते रहे हैं।
शेख हसीना फासीवादी
बांग्लादेश में राजनीतिक उथल पुथल ने देश की स्थिति को बिगाड़कर रखा है। ‘काफेला ऑफ जुलाई’ नाम के संगठन ने भी शेख हसीना पर हमला बोला है। संगठन के नेता आरिफ रब्बानी ने कहा है कि ‘फासीवादियों के सहयोगी विदेश से साजिश कर रहे हैं। वे अभी भी देश को अस्थिर करने की बेताब कोशिश कर रहे हैं। पिछले नरसंहारों के लिए पश्चाताप करने के बजाय, वे अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। बांग्लादेशी लोगों की नजर में अवामी लीग एक घृणित पार्टी है। उन्हें कोई शर्म नहीं है, आज उनके घोषित कार्यक्रम को किसी भी कीमत पर विफल किया जाएगा।
शेख हसीना के समर्थन में मार्च
बता दें कि हसीना की पार्टी अवामी लीग के फेसबुक पेज पर सफल विरोध मार्च के लिए आह्वान करते हुए पोस्ट जारी हैं। जिसमें कार्यकर्ताओं के लिए विभिन्न निर्देश दिए गए हैं। इस पोस्ट में पार्टी ने 10 नवंबर को शहीद नूर हुसैन दिवस के उपलक्ष्य में ढाका के जीरो प्वाइंट शहीद नूर हुसैन स्क्वायर पर विरोध मार्च की घोषणा की है। उन्होंने तीन बजे भी मार्च निकालने की घोषणा की थी।
फेसबुक पोस्ट में क्या
आवामी लीग ने फेसबुक पोस्ट के जरिए कहा है कि 3 बजे एक विरोध मार्च निकाला जाएगा। इस प्रदर्शन में लोकतंत्र विरोधी ताकतों को हटाने और बांग्लादेश अवामी लीग के नेतृत्व में लोकतांत्रिक शासन की पुनः स्थापना की मांग की जाएगी। वहीं पोस्ट के जरिए कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के साथ-साथ आम लोगों को भी इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है, जो मुक्ति संग्राम के मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास करते हैं।