बांग्लादेश

यूनुस सरकार ने भारत को प्रत्यर्पण के लिए लिखा पत्र, शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजने की मांग

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग के लिए भारत को पत्र लिखा है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा कि हमने भारत सरकार से कहा है कि बांग्लादेश सरकार चाहती है कि शेख हसीना न्यायिक प्रक्रिया के लिए बांग्लादेश वापस आएं। अब ये देखना होगा कि भारत सरकार शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजती है या नहीं।

शेख हसीना

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में उग्र हिंसक प्रदर्शन के बाद ही अचानक देश छोड़ दिया था। जिसके बाद वो सीधे भारत आ गई थी। शेख हसीना अभी भी भारत की राजधानी नई दिल्ली में सुरक्षा के साथ रह रही है। भारत सरकार ने उन्हें भारत में शरण दी है। हालांकि शुरूआत में सूत्रों के आधार पर कहा जा रहा था कि शेख हसीना ब्रिटेन सरकार से शऱण मांग रही थी, लेकिन ब्रिटेन सरकार ने नियमों का हवाला देते हुए उन्हें शरण नहीं दिया है।

शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग

बता दें कि आज यानी सोमवार को ही बांग्लादेश सरकार के गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम ने कहा कि उनके मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत से वापसी की मांग करने को कहा है। इसके बाद ही बांग्लादेश विदेश मंत्रालय ने भारत से शेख हसीना की प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है।

बांग्लादेश जाने पर क्या होगा शेख हसीना का?

एक्सपर्ट के मुताबिक अगर भारत सरकार शेख हसीना को बांग्लादेश भेजता है, तो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार शेख हसीना पर दंगा भड़काने से संबंधित मामले पर कार्रवाई करेगी। माना ये भी जा रहा है कि शेख हसीना के बांग्लादेश जाते ही पहले उनकी गिरफ्तारी होगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई कानूनी रूप से होगी।

बांग्लादेश और भारत के बीच कौन सी संधि

बता दें कि भारत और बांग्लादेश की सरकार के बीच साल 2013 में प्रत्यर्पण को लेकर संधि की गई थी। इस 2013 संधि के मुताबिक भारत के बीच प्रत्यर्पणीय अपराध मामलों में आरोपी या भगोड़े आरोपियों और बंदियों को एक-दूसरे को सौंपने का करार हुआ था। बांग्लादेश सरकार ने यह भी कहा था कि इस संधि के तहत वह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। हालांकि इस प्रत्यर्पण संधि की एक धारा में कहा गया है कि प्रत्यर्पित किए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ लगाए गए आरोप अगर राजनीतिक प्रकृति के होंगे, तो अनुरोध खारिज किया जा सकता है।