Z-Morh Tunnel

Explainer: इतनी महत्वपूर्ण क्यों है नवनिर्मित Z-Morh Tunnel? क्या होगा भारत को इससे फायदा? जानिए पूरी डिटेल

Z-Morh Tunnel: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में Z-Morh टनल का उद्घाटन किया, जो भारत के लिए बेहद अहम है। यह टनल जम्मू-कश्मीर के गंदरबल जिले में स्थित है और 8,650 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई है। यह टनल कश्मीर के पर्यटन के लिए बहुत फायदेमंद होगी, साथ ही यह रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगी, खासकर कश्मीर और लद्दाख के बीच, और सर्दियों में कश्मीर को बाकी भारत से जोड़ने में मदद करेगी।

Z-Morh टनल की लंबाई 6.4 किलोमीटर है, जो कश्मीर के सोनमर्ग को गंदरबल जिले के कंगन टाउन से जोड़ने का काम करेगी। इस टनल के खुलने से कश्मीर के अंदरूनी इलाकों में बर्फबारी के दौरान भी यात्रा करना आसान हो जाएगा, क्योंकि इसे साल भर इस्तेमाल किया जा सकेगा।

Z-Morh Tunnel क्यों है भारत के लिए इतनी महत्वपूर्ण 

Z-Morh Tunnel

जम्मू-कश्मीर में सड़क परिवहन को लेकर हमेशा कई समस्याएं रही हैं। यहां की घाटी में भारी बर्फबारी, हिमस्खलन और तूफान की वजह से अक्सर मुख्य रास्ते बंद हो जाते थे। खासकर सोनमर्ग, जो अपनी बर्फीली वादियों और खूबसूरत घास के मैदानों के लिए मशहूर है, यहां सर्दियों में पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता था। यहां इतनी बर्फबारी होती थी कि कई महीनों तक यातायात के सारे रास्ते बंद हो जाते थे। इस इलाके की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर करता है, और अगर यह क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों से कट जाता है, तो इसका सीधा असर पर्यटन पर पड़ता था।

इसके साथ ही सर्दियों में लद्दाख पहुंचने के लिए हवाई यात्रा ही एकमात्र तरीका होता था, क्योंकि भारी बर्फबारी के कारण सड़कें बंद हो जाती थीं। लेकिन अब इस नई टनल के बन जाने से लद्दाख पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा। इस टनल से न सिर्फ आम लोगों को यात्रा में सुविधा होगी, बल्कि भारतीय सेना के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण मार्ग साबित होगा। इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि इसे लोग भी और सेना भी दोनों ही इस्तेमाल कर सकेंगे।

2012 में BRO द्वारा शुरू किया गया था प्रोजेक्ट 

Z-Morh Tunnel

यह प्रोजेक्ट 2012 में बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) द्वारा शुरू किया गया था। शुरुआत में इसे बनाने का काम टनलवे लिमिटेड को सौंपा गया था, लेकिन कुछ वजहों से काम में देर हो गई। फिर नेशनल हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) ने इसे अपने हाथ में लिया और नए टेंडर जारी किए। यह टेंडर एपीसीओ इंफ्राटेक ने जीता, और इसके बाद एक विशेष उद्देश्य वाहन (Special Purpose Vehicle) के रूप में एपीसीओ-श्री अमरनाथजी टनल प्राइवेट लिमिटेड ने काम शुरू किया। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब 2400 करोड़ रुपए थी।

टनल का निर्माण अगस्त 2023 तक पूरा होने का लक्ष्य था, लेकिन समय सीमा में देरी हो गई। इसके बाद, फरवरी 2024 में इसका एक सॉफ्ट उद्घाटन हुआ। हालांकि, जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनावों के दौरान लागू मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) के कारण अंतिम उद्घाटन टल गया। अंत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया।

एशिया की सबसे लंबी Zojila टनल का एक हिस्सा है Z-Morh 

Z-Morh Tunnel

Z-Morh टनल प्रोजेक्ट सिर्फ पर्यटन और कनेक्टिविटी के लिए ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी बहुत अहम है। यह प्रोजेक्ट जोजिला टनल (Zojila Tunnel) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसका मुख्य उद्देश्य श्रीनगर और लद्दाख के बीच पूरे साल कनेक्टिविटी बनाए रखना है। Z-Morh टनल सोनमर्ग को बाकी हिस्सों से जोड़कर उसे पूरे साल कनेक्टेड रखेगा, जबकि Zojila Tunnel सोनमर्ग को लद्दाख से जोड़ने का काम करेगा। Zojila Tunnel करीब 12,000 फीट की ऊंचाई पर बन रहा है और इसके निर्माण का काम दिसंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।

भारत का पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर लंबे समय से विवाद चल रहा है, और लद्दाख में 2020 में भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच झड़प भी हुई थी। इसके बाद से यह क्षेत्र सुरक्षा के लिहाज से और भी संवेदनशील हो गया है। Z-Morh और Zojila Tunnel के निर्माण से भारतीय सेना को इन इलाकों तक पहुंचने में बहुत आसानी होगी। वर्तमान में, ठंड के मौसम में भारतीय सेना को कनेक्टिविटी के लिए हवाई मार्ग पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे आर्थिक नुकसान भी होता है। ये टनल इस समस्या का हल होगी और सियाचिन ग्लेशियर और पाकिस्तान-नियंत्रित कश्मीर (PoK) जैसे विवादित क्षेत्रों तक सेना की पहुंच को भी बेहतर बनाएगी।

पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा 

Z-Morh Tunnel

Z-Morh टनल न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इलाके के विकास और पर्यटन के लिए भी बहुत जरूरी है। सोनमर्ग और कश्मीर के कई अन्य हिस्से पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर करते हैं। अगर यहां तक पहुंचने के रास्ते बेहतर हो जाएं तो यहां और ज्यादा पर्यटक आएंगे, जिसका फायदा स्थानीय लोगों, व्यापारियों और अन्य व्यवसायों को होगा। अभी सर्दी में बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं, जिससे पर्यटकों का यहां आना बहुत मुश्किल हो जाता है। इससे स्थानीय लोगों को लंबे समय तक काम नहीं मिलता, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है। इस टनल से लद्दाख के साथ व्यापार भी सुधरेगा। कनेक्टिविटी बढ़ने के बाद इस क्षेत्र में निवेश आएगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा और लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर होगा।

तकनीक का बेजोड़ इस्तेमाल

Z-Morh Tunnel

कश्मीर के मौसम की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए Z-Morh टनल को इस तरह से बनाया गया है कि यह हर मौसम में खुली रहे। इस टनल की लंबाई 6.5 किलोमीटर है और इसे न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) से तैयार किया गया है, जिससे इसकी संरचना बहुत मजबूत बनी है। साथ ही, बर्फबारी और हिमस्खलन से बचाव के लिए इसमें खास तकनीक लगाई गई है, ताकि यह टनल सर्दियों में भी बिना किसी समस्या के चालू रहे।

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि 6.4 किलोमीटर लंबी इस सुरंग में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक एस्केप सुरंग भी बनाई गई है। इसके अलावा, सुरंग में भारी वाहनों के लिए 3.7 किलोमीटर लंबी क्रीपर लेन, 4.6 किलोमीटर लंबी पश्चिमी पहुंच सड़क, 0.9 किलोमीटर लंबी पूर्वी पहुंच सड़क, 2 बड़े पुल और 1 छोटा पुल भी शामिल हैं।

इस टनल में एक इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) लगाया गया है, जो हमेशा ट्रैफिक की सही तरीके से निगरानी करता है। साथ ही, यहां पर लगातार रौशनी, वेंटिलेशन सिस्टम और स्वचालित सुरक्षा सुविधाएं भी दी गई हैं, जिससे यह टनल हर मौसम में चाहे सर्दी, गर्मी या बारिश हो, सुरक्षित और उपयोगी रहती है। Z-Morh सिर्फ एक आधुनिक तकनीक का उदाहरण नहीं है, बल्कि यह भारत के एक दूरदराज इलाके को जोड़ने के लिए सुरक्षा, आर्थिक विकास और बेहतर कनेक्टिविटी का वादा भी है।

 

 

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