US Pressure on Zelensky: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के डोनाल्ड ट्रंप से विवाद के बाद उनके भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं।अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों ने ज़ेलेंस्की के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए उन पर इस्तीफे का दबाव बनाया है। हालांकि, यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू होने और युद्ध की स्थिति के कारण नए चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है।
ज़ेलेंस्की पर इस्तीफे का दबाव
डोनाल्ड ट्रंप ने ज़ेलेंस्की को “तानाशाह” करार दिया है और उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। ट्रंप के करीबी सलाहकारों ने ज़ेलेंस्की के उस बयान पर आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा कि युद्ध का अंत अभी दूर है। यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि ज़ेलेंस्की का इस्तीफा राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर सकता है। ज़ेलेंस्की ने खुद इस्तीफे की संभावना को खारिज कर दिया है और कहा है कि वह तभी इस्तीफा देंगे जब यूक्रेन को NATO की सदस्यता मिल जाएगी।
चुनाव कराने की चुनौतियाँ
यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू है, जिसके तहत चुनाव कराना संभव नहीं है। चुनाव कराने के लिए युद्धविराम और मार्शल लॉ को हटाना जरूरी है। यूक्रेन के चुनाव आयोग के अनुसार, देश में केवल 75% मतदान केंद्र ही चालू हालत में हैं। चुनाव कराने में कम से कम छह महीने का समय लगेगा। यूक्रेन के 70 लाख से अधिक शरणार्थी विदेशों में रह रहे हैं। उन्हें वोटिंग का अवसर देना एक बड़ी चुनौती है।
यूक्रेन की वर्तमान स्थिति
यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष ने देश की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया है। युद्ध के कारण देश में व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। ज़ेलेंस्की के इस्तीफे की स्थिति में संसद के अध्यक्ष कार्यवाहक राष्ट्रपति बनेंगे, लेकिन इससे राजनीतिक अस्थिरता का खतरा बढ़ सकता है।
आगे की राह
चुनाव कराने के लिए युद्धविराम और शांति वार्ता जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए प्रयास करने होंगे। यूक्रेन को NATO की सदस्यता मिलने से उसकी सुरक्षा स्थिति मजबूत हो सकती है। अमेरिका और यूरोपीय देशों को यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य सहायता जारी रखनी होगी। यूक्रेन में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी पक्षों को संवाद और समझौते का रास्ता अपनाना होगा।
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