
90 के दशक में, एक बच्चा घर पर रोता था और एक ब्लैक एंड वाइट टीवी पर दिखाई देने वाले खरगोश से शांत हो जाता था। खरगोश आता था और एक पापड़ की तारीफ करता था और कर्रम, कुर्रम… कुर्रम कर्रम लिज्जत पापड़ कहकर निकल जाता था। 30 साल का हो चुका हर शख्स आज भी वो पापड़ और खरगोश याद करता है। उसी पापड़ा की कंपनी की स्थापना आज के दिन यानि 15 मार्च 1959 को हुई थी।
भारत में शायद ही कोई ऐसा होगा जो लजीज लिज्जत पापड़ के बारे में न जानता हो। लिज्जत पापड़ जितना लोकप्रिय है, इसकी एक बड़ी सफलता की कहानी है। सात दोस्तों द्वारा शुरू किया गया लिज्जत पापड़ आज एक सफल और प्रेरक कहानी बन चुका है।
1959 में मुंबई में रहने वाली जसवंती बेन और उनके छह दोस्तों ने लिज्जत पापड़ शुरू किया था। इसे शुरू करने में इन सात महिलाओं का मकसद बिजनेस शुरू करना या ज्यादा पैसा कमाना नहीं था। ये महिलाएं परिवार के खर्च में हाथ बंटाना चाहती थीं।

चूंकि ये महिलाएं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होती हैं, इसलिए इन्हें घर से बाहर काम करने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पडा इसलिए ये गुजराती महिलाओं ने पापड़ बनाने और बेचने की योजना बनाई, जिसे वे घर पर ही बना सकती थी।
जसवंती जमनादास पोपट ने फैसला किया और उनके साथ पार्वतीबेन रामदास थोडानी, उजाम्बेन नारंददास कुंडलिया, बनुबेन तन्ना, लागोबेन अमृतलाल गोकानी, जयबेन विठलानी पापड़ बनाने लगीं।

पापड़ बनाने की योजना तो बनी थी, लेकिन उसे शुरू करने के लिए पैसों की जरूरत थी। पैसे के लिए, सात महिलाओं ने सर्वेंट ऑफ़ इंडिया सोसाइटी के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता छगनलाल पारेख से संपर्क किया। उसने उन्हें 80 रुपये दिए। उन पैसों से महिलाओं ने पापड़ बनाने के लिए मशीनें और सामग्री भी खरीदीं।
इन महिलाओं ने शुरुआत में चार पैकेट पापड़ बनाकर एक बड़े व्यापारी को बेचे। इसके बाद व्यापारी ने उससे और पापड़ की मांग की। इन महिलाओं की मेहनत रंग लाई और इनकी बिक्री दिन-ब-दिन चौगुनी हो गई।

1962 में इस संस्था का नाम ‘श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़’ रखा गया। चार साल बाद यानी 1966 में लिज्जत को सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1860 के तहत रजिस्टर किया गया।

सिर्फ चार पैकेट बेचकर अपना सफर शुरू करने वाला लिज्जत पापड़ 2002 में 10 करोड़ तक पहुंच गया। वर्तमान में ग्रुप की भारत में 60 से अधिक शाखाएँ हैं, जिनमें 45 हजार से अधिक महिलाएँ कार्यरत हैं।
लिज्जत पापड़ को 2002 में इकोनॉमिक टाइम्स बिजनेस वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। लिहाजा, 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से इन्हे ब्रांड इक्विटी अवार्ड भी मिल चुका है।
OTT INDIA आपको खबरों से अपडेट रखेगा
OTT INDIA देश का नंबर 1 डिजिटल प्लेटफॉर्म है- जो देशवासियो को हर खबर में सबसे आगे रखता है। OTT इंडिया पर पढ़ें नेशनल, इंटरनेशनल, इलेक्शन, बिजनेस, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट समेत सभी खबरें। अब हर समाचार आपकी उंगलियों पर, हमारा नवीनतम Android और iOS ऐप डाउनलोड करें। ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमसे सोशल मीडिया पर जुड़ें।
Leave a Reply